we are sharing easy to learn Best 37+ Hindi Poem For Kids Class 2 Competition.This articles will help children to learn their school syllabus of Hindi Language.
आज हम कक्षा 2 के लिए सीखने में आसान भाषा में कविता साझा कर रहे हैं। प्राइमरी क्लासों में बच्चों के लिए पाठ्यक्रम के द्वारा भावनात्मक, विश्लेषणात्मक और मानसिक विकास के लिए उन्हें कविता पढ़ाया जाता या फिर कहानियां। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह कविता और कहानियां बच्चों को मानसिक विकास में सहायता करती हैं। कविताएँ, कहानियां बच्चों में पढ़ने, लिखने, बोलने और समझने के कौशल में सुधार करती हैं।
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सूरज दादा
Poem For Class 4
सूरज दादा, सूरज दादा,
क्यों इतना गरमाते हो।
हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा,
क्यों इतना गुस्साते हों।
सोकर उठते जब खटिया से,
तुमको शीश नवाते हैं।
हँसी-खुशी सारा दिन बीते,
ऐसा रोज मनाते हैं।
दिन भर तुम इतना तपते,
गरम तमाचे जड़ देते हो।
पशु-पक्षी व जीव जगत भी,
व्याकुल सबको कर देते हो।
वर्षा का जब मौसम आता,
ओट बादलों की ले लेते हो।
उमड़-घुमड़ जब वर्षा होती,
आसमान में खो जाते हो।
जाड़े में तुम बच्चे बन,
सबको प्यारे लगते हो।
हम भी बैठ खुले आँगन में,
तुमसे बाते करते हैं।
शाम ढले तुम चल देते हो,
हम कमरों में छिप जाते हैं।
ओढ़ रजाई ऊपर से हम,
दुबक बिस्तरों में जाते हैं।
-संगरिया
प्यारी पुस्तक
Poem For Class 2
प्यारी-प्यारी पुस्तक है,
देती दिल पे दस्तक है।
अक्षर-अक्षर ज्ञान भरा है,
अशिक्षा का तिमिर हरा है।
ऊँचा करती मस्तक है,
प्यारी-प्यारी पुस्तक है।
जीवन का निर्माण करे,
जन-जन का कल्याण करे।
करती सेवा अब तक है,
प्यारी-प्यारी पुस्तक है।
चित्र सुंदर इसमें आते,
बालमन को ये लुभाते।
ये भरती ज्ञान अक्षत है,
प्यारी-प्यारी पुस्तक है।
Hindi Poem For Class 2
क से कविता पढ़ना,
ख से खाना खाना।
ग से गुस्सा छोड़ो,
घ से घमंड तोड़ो।
ड. तो खाली रहता।।
च से चाची भीगी,
छ से छतरी गीली।
ज से जूता पहना,
झ से झरना बहता।
इयाँ- तो खाली कहता।।
ट से टेसू खिलता,
ठ से ठंडा लगता।
ड से डमरू बजता,
ढ से ढक्कन खुलता।
ण से तो कण होता।।
त से तितली उड़ती,
थ से थाली सजती।
द से दादी प्यारी,
ध से धूप न्यारी।
न से नाचे नानी।।
प से पल ढलता है,
फ फल लगता है।
ब से बकरी चरती है,
भ से भगदड़ मचती है।
म से मक्खी उड़ती है।।
य से यान उड़ेगा,
र से रथ चलेगा।
ल से लड़की बोलती,
व से वन बढ़ेगा।
श से शीश उठेगा।।
स से सरगम बोले,
ष से षठकोण डोले।
ह से हाथी भोले,
क्ष से क्षमा की वाणी।
त्र से त्रिशूल धारी।।
ज्ञ से बच्चे ज्ञानी,
बोले प्यार की बानी।
अक्षर का खेल निराला,
वर्ण की है यह माला।
झटपट इसको रट डाला।।
-डॉ. प्रीति प्रवीण खरे
Hindi Poem For Class 2
सुन्दर, सुन्दर मीठे आम,
अच्छे, अच्छे, प्यारे आम।
नहीं आम-सा कोई फल,
खाओ इन्हें न छोड़ो कल।
पके, गले, मुस्काते आम,
मिलते ढ़ेरों सस्ते आम।
लगड़ा, सेंदुरिया-मद्रासी,
बम्बइया, तुकमी, बनारसी।
रस से भरे दशहरी आम,
खाओ अभी छोड़ सब काम।
बुला रहे आमों के बाग,
बीने इनको तड़के जाग।
महकें बहुत सफेद आम,
बच्चे देख रहे जी थाम।
कोयल कूके अम्बुआ डाल,
आम तोड़कर धर दें पाल।
खाते नित जो प्यारे आम,
वे पाते फल चारों धाम।
कौन नहीं जो खाता आम,
किसे नहीं है भाता आम।
तृप्ति और सुख मिले तमाम,
तेरे सुने हजारों नाम।
सुन्दर, सुन्दर मीठे आम,
अच्छे, अच्छे प्यारे आम।
-डॉ. चक्रधर नलिन
प्यारे बच्चे
Hindi Poem For Class 2
कितने भोले कितने अच्छे,
सुखद मनोहर प्यारे बच्चे।
मीठी वाणी सहज सरल है,
इनसे सबको प्यार प्रबल है।
नहीं बनावट द्वेष जानते,
प्यार और अपनत्व मानते।
फूलों जैसा कोमल तन है,
नहीं कलुषता निर्मल मन है।
जहाँ कहीं यह मौका पाते,
लगें खेलने धूम मचाते।
करते सब हैं इन्हें दुलार,
लगता बचपन सुखद अपार।
रहती अधर मधुर मुस्कान,
बनते यही राष्ट्र की शान।
भेद-भाव सब दूर भगाते,
जन मन में खुशहाली लाते।
मन से सब मतभेद भुलाते,
सदा सभी को मीत बनाते।
-कैलाश त्रिपाठी
बन्दर मामा
Hindi Poem For Kids Class 2
रौब से निकले बन्दर मामा,
आज सिलाऊं मस्त पैजामा।
मल-मल कर उसको धुलवाऊं,
पानी छिड़क इस्त्री करवाऊं।
सेंट लगा ससुराल जाऊं,
ताम-झाम अपना दिखलाऊं।
रात तक पहुंचे ससुराल,
सबने पूछे उनके हाल।
सासू ने पकवान बनाए,
मिल बांट सबने खाए।
सुबह बीवी की करा विदाई,
शाम को घर लौट आए भाई।
-अरुण यादव
बचपन
Hindi Poem For Class 2
बचपन के दिन,
कितने हैं हसीन।
मजा नहीं आए,
दोस्तों के बिन।।
नीर में ढूँढे रेत,
खेलते ऐसे खेल।
कभी मिट्टी आए,
कभी हाथ आए रेत॥
नीर में देख छवि,
भरें किलकारी।
घर बनाने की कर,
रहे नन्हें तैयारी॥
-गोपाल कौशल
छोटी-छोटी गाड़ी
Hindi Poem For Class 2 Competition
छोटी-छोटी गाड़ी,
बच्चों की रेलगाड़ी,
चाबी भरो।।
दौड़ लगाती किसी,
स्टेशन पर नही रूकती,
बच्चों की मीठी बोली-सी,
बड़ी प्यारी रेलगाड़ी।।
रूठ कर फिर मान जाता,
फिर दौड़ पड़ती रेलगाड़ी।।
-पुरुषोत्तम व्यास
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