15+ एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता | APJ Abdul Kalam Poem In Hindi

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APJ Abdul Kalam Poem In Hindi, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता हिंदी में [ APJ Abdul Kalam Par Kavita in Hindi ] APJ Abdul Kalam Hindi Poems.

‘सपने वे नहीं होते, जो आपको रात में सोते समय नींद में आएं बल्कि सपने वे होते हैं, जो रात में सोने ही न दें।’ ऐसी बुलंद सोच रखने वाले ‘मिसाइलमैन’ अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम (एपीजे अब्दुल कलाम) भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं। जब कलाम ने देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली थी तो देश के हर वैज्ञानिक का सर फख से ऊँचा हो गया था। वे ‘मिसाइलमैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए।

आइए नजर डालते हैं उनके जीवन सफर पर…

आसमान की ऊँचाइयों को छूने के लिए हवाई जहाज और अन्य साधनों से भी जरूरी चीज है हौंसला। हौंसला आपकी सोच को वह उड़ान देता है जिसका शिखर कामयाबी की चोटी पर है।कामयाबी के शिखर तक पहुँचने की आपने यूँ तो हजारों कहानियाँ पढ़ी होंगी लेकिन ऐसी ही एक जीती-जागती कहानी है पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की। भारत के पूर्व राष्ट्रपति जिन्हें दुनिया ‘मिसाइलमैन’ के नाम से भी जानती है का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम् (तमिलनाडु) में हुआ था।

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम डॉक्टर अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम था। कलाम अपने परिवार में काफी लाडले थे लेकिन उनका परिवार छोटी-बड़ी मुश्किलों से हमेशा ही जूझता रहता था। उन्हें बचपन में ही अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हो गया था। उस वक्त उनके घर में बिजली नहीं हुआ करती थी और वे केरोसिन तेल का दीपक जलाकर पढ़ाई किया करते थे।

अब्दुल कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम् के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम् शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम रहा और मेरे शब्दों में उनके कर्मयोगी बनने की शुरुआत वहीं से हुई।

कलाम जब मात्र 19 वर्ष के थे तब द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका को भी उन्होंने महसूस किया। युद्ध की आग रामेश्वरम् के द्वार तक पहुँच गई थी। इन परिस्थितियों में भोजन सहित सभी आवश्यक वस्तुओं का अभाव हो गया था। लेकिन कलाम किसी भी विपरीत परिस्थिति के आगे झुके नहीं। कलाम एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में आए तो इसके पीछे उनके 5वीं कक्षा के अध्यापक सुब्रह्मण्यम अय्यर की प्रेरणा जरूर थी।

अध्यापक की बातों ने उन्हें जीवन के लिए एक मंजिल और उद्देश्य भी प्रदान किया। अभियांत्रिकी की शिक्षा के लिए उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में दाखिला लिया।

वहाँ इन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अध्ययन किया। 1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में आए।

डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं। उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और करीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी। वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे। साथ ही उन्होंने रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई । इन्होंने अग्निएवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।

वह ऐसे विशिष्ट वैज्ञानिक थे जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने डॉक्टरेट की मानद उपाधिसे सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपने जीवन में अनेक अवार्ड्स प्राप्त किए जिसमें 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता इंदिरा गांधी अवॉर्ड भी शामिल है।

18 जुलाई 2002 को कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्तदलों ने समर्थन किया था। 25 जुलाई 2002 को उन्होंने संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

 

 

APJ Abdul Kalam Poem In Hindi

डॉ अब्दुल कलाम जी पर कविता

Dr. APJ Abdul Kalam Poem

 

राम-रहीम में भेद न माना,

सब धर्मों को दिया था मान।

पढ़ते थे कुरान और मन में,

रहता था गीता का ज्ञान।।

 

 

पले अभावों में थे लेकिन,

सन्तोषी वे रहे सदा।

संघर्षों से रहे जूझते,

आगे बढ़ते रहे सर्वदा।।

 

जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन,

किया उन्होंने ज्ञानी बन।

थे निष्काम कर्म योगी वे,

लोभ नहीं था उनके मन।।

 

लगन लगी थी उनके मन में,

दृढ़ संकल्प लिया जीवन में।

पीछे मुड़कर कभी न देखा,

बने मार्ग-दर्शक जन जन में।।

 

कर्मठ बनकर करी साधना,

विज्ञान को उच्च शिखर पहुँचाया।

अन्तरिक्ष में यान भेज कर,

भारत को गौरव दिलवाया।।

 

त्याग तपस्यामय जीवन था,

निश्छल थे और उच्च विचार।

बने राष्ट्रपति भारत के पर,

जन जन से था उनको प्यार।।

 

बड़ी विलक्षण बुद्धि मिली थी,

अनुपम थी प्रतिभा उनकी।

सरल स्वभाव, सादगी से जीती,

मनोकामना भी सबकी।।

 

मन में था अभिमान नहीं,

वे वर्चस्वी थे और मनस्वी।

भारतरत्न से हुए अलंकृत,

रहे विश्व में परम यशस्वी।।

 

तभी अचानक चले गये वे,

छोड़ हमें बीच मँझधार।

उनका सा अब कौन मिलेगा,

रिक्त हुआ मानो संसार।।

 

ब्रह्मलीन हो गये आज वे,

फिर से उनको पड़ेगा आना।

युग युग हम सब याद करेंगे,

भारत को सन्मार्ग दिखाना।।

 

है सलाम तुमको “क़लाम”

तुम तो भारत के गौरव थे।

चिर-शान्ति मिले तव आत्मा को,

तुम ही तो सच्चे मानव थे।

-शकुन्तला बहादुर

 

 

 

 

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