25+ वसंत पंचमी पर सुंदर कविता | Poem On Basant Panchami In Hindi

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Poem On Basant Panchami In Hindi :- बसन्त पंचमी का त्योहार माता सरस्वती की पूजा और आराधना का महत्वपूर्ण दिन होता है। माँ सरस्वती अपने दोनों हाथों में वीणा धारण करती हैं। माँ सरस्वती के तीसरे हाथ में पुस्तक तथा चौथे हाथ में स्फटिक की माला सुशोभित रहती है। जहाँ वीणा संगीत और कला तथा पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है, वहीं स्फटिक की माला इस बात का प्रतीक है कि माँ सरस्वती को भगवान शिव के समान ही तप करना प्रिय है।

वसंत पंचमी विद्या व संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना का दिन होता है। उनके ही आशीर्वाद से हम सभी शब्द, स्वर और संकेतों को समझने में निपुण बनते हैं. श्वेत वस्त्र पहने, हाथों में वीणा लिये और कमल के आसन पर बैठी मां हम सभी को ज्ञान और विद्या से भर दें, यही प्रार्थना करने का अनोखा पर्व है। हम पढ़-लिख कर नेक इंसान बनें और अपने देश-समाज के काम आएं, इसी कामना के साथ हम वसंत पंचमी का स्वागत करते हैं।

भारतीय परंपरा में बसंत पंचमी एक महत्वपूर्ण और आनंदमय पर्व है। यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का संकेत होता है और साथ ही विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा का भी अवसर है। बसंत पंचमी का त्योहार सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। यह देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है और विभिन्न धार्मिक स्थलों पर मनाया जाता है।

बसंत पंचमी का आयोजन मुख्य रूप से मंदिरों और विद्यालयों में किया जाता है। इस दिन छात्रों और कलाकारों को सरस्वती माता की विशेष पूजा की जाती है। छात्र विद्यालयों में परिवार के साथ जाते हैं और वहां उनका आदर्श देवी माता की पूजा की जाती है। विद्यालयों में विशेष संगीत और कला कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें छात्र गीत, नाटक और कविता आदि के माध्यम से अपनी कला प्रदर्शन करते हैं।

बसंत पंचमी का अर्थ होता है ‘वसंत की पंचवीं तिथि’। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन वृषभ राशि में सूर्य उदय होता है और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन की पूजा में सरस्वती माता की मूर्ति को सजाया जाता है और पूजा के बाद भोग चढ़ाया जाता है।

बसंत पंचमी का पर्व भारतीय संस्कृति में गहन महत्व रखता है। यह प्रकृति की नई जीवन प्राणियों की ओर संकेत करता है और शिक्षा, कला और ज्ञान के महत्वपूर्ण स्तम्भ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इस दिन को लोग यह समझते हैं कि सरस्वती माता अपना आशीर्वाद देती हैं और हमें ज्ञान और कला में सफलता प्राप्त होगी।

इस प्रकार, बसंत पंचमी एक आनंदमय और प्रेरणादायक पर्व है जो वसंत ऋतु के आगमन का शुभ संकेत होता है। यह विद्या, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा का अवसर भी होता है। हमें इस पर्व का सम्मान करना चाहिए और ज्ञान और कला में विकास करने की प्रेरणा लेनी चाहिए। हम आज के पोस्ट में बसंत पंचमी पर सुंदर कविता (Basant Panchami Par Kavita) लेकर आएं हुए हैं। आप इन कविताओं को पढ़कर और लिखकर अपने स्कूल के कार्यक्रम और समारोह में भाग भी ले सकते हैं।

बसंत पंचमी

Poem On Basant Panchami

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ज्ञान दायिनी, वीणा वादिनी,

सरस्वती है माता।

जन्मदिवस पर जिनके,

बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता।।

सर-सर पवन सरकती जाए,

भर-भर भँवरे गुनगुनाएँ।

फूलों का रस चूसने को,

रंग-बिरंगी तितलियाँ मंडराएँ।।

खेत-खलिहानों में हरियाली छाई,

सोना-सा सरसों लहराई।

जौ और गेहूँ की बालियाँ देखो,

प्रकृति में अद्भुत छटा बिखराई।।

आमों में बौर छा जाए,

खुशबू जिसका मन महकाएँ।

पीले वस्त्र धारण करके,

जन-जन बसंत पंचमी मनाएँ।।

आओ, बसंत पंचमी ऐसे मनाएँ,

मिल-जुलकर सब शपथ उठाएँ।

निःशुल्क शिक्षा प्रणाली को,

बच्चों के घर-घर तक पहुँचाए।।

-नंदिनी राजपूत

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वीणा वादिनी वर दो माँ

Poem On Basant Panchami

वीणा वादिनी वर दो माँ,

आलोकित जग कर दो माँ।

मन वीणा के तार छेड़ दो,

मुखरित यह जीवन कर दो माँ।

मेरे गीतों के हर स्वर में माँ,

नित तेरा ही आशीष रहे माँ।

तिमिर जग का दूर करो माँ,

जगमग यह जग कर दो माँ।

दुर्जन का संहार करो माँ,

सर्वत्र जग में शांति भरो माँ।

वीणा वादिनी वर दो माँ,

आलोकित जग कर दो माँ।

-वृंदा पंचभाई

बसंत पंचमी उत्सव महान

Poem On Basant Panchami In Hindi

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बसंत पंचमी है प्रिय उत्सव महान,

भारतीय संस्कृति की ये पहचान।

मौसम में हर रंग कुदरत ने घोला,

उमंग है इस उत्सव की जान।

शीतल समीर मंद बहे पुरवाई,

महक उठी धरती महके अमराई।

मौसम मदमस्त हुआ कुदरत का जादू,

खेतों में सरसों खिली, छाई तरुणाई।

खिले खिले फूलो पर भँवरे मंडराते,

लेकर पराग यहाँ वहाँ बाँट आते।

सरसों के फूल लहराते मस्ती में,

पीला रंग प्यारा ये सभी पर चढ़ाते।

-हरजीत निषाद

बसंत पंचमी

Poem On Basant Panchami

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बसंत पंचमी का त्योहार आया,

अपने साथ नए रंग लाया।

खेतों में खिल उठे फूल,

हर जगह है हरियाली छाई।

कोयल की कुहू कुहू में,

गुनगुन भँवरे ने ताल मिलाई।

पीली-पीली सरसों ने,

बागों को है महकाया।

आसमान में पतंगों ने,

उमंग और उल्लास का समा है बांधा,

डाली-डाली चहक रही है,

ऋतुराज का स्वागत कर रही है।

आओ करे माँ सरस्वती का अभिवादन,

हर घर विराजे माँ के कदम।

ज्ञान से रौशन संसार हो,

माँ का आशीष हमारे साथ हो।

-मनीषा जोशी

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हे, विद्या की देवी

Poem On Basant Panchami

हे, विद्या की देवी हम पर ध्यान दो,

हम हैं निपट अज्ञानी हमको ज्ञान दो।

सुना है निर्भय होकर जो भी,

आपकी पावन शरण में आते।

वे प्रकांड पंडित बनकर फिर,

अखिल विश्व पर छा जाते।

भले बुरे की माँ हमको पहचान दो,

हम हैं निपट अज्ञानी हमको ज्ञान दो।

कालिदास से हत बुद्धि को,

ज्ञान का ऐसा पाठ पढाया।

महाकवि के रूप में उन्होंने,

जग में फिर नाम कमाया।

भिक्षा में शिक्षा का हमको दान दो,

हम हैं निपट अज्ञानी हमको ज्ञान दो।

-ओम उपाध्याय

वासन्ती त्यौहार मनाएँ

Short Poem On Basant Panchami In Hindi

वासन्ती त्यौहार मनाएँ,

आओ गाएँ, धूम मचाएँ।।

माघ-शुक्ल पंचमी सुहाई,

धूप गुनगुनी है मुस्काई।

फूली सरसों है पियराई,

गूंजी कोयल की शहनाई।

गेंदा, बैर तथा अमरूदों,

से थाली भर-भरकर लाएँ।।

जन्मदिवस माँ सरस्वती का,

जन्मे इस दिन सुकवि निराला।

आओ सब जन पूजन करके,

पहनाएँ फूलों की माला।

हम बच्चे प्रार्थना कर रहे,

आशीर्वाद हमें मिल जाए।।

हब सबने वासन्ती कुरता,

पीला पाजामा सिलवाया।

बनकर वसन्त, नाचे-कूदे,

गाएँ मिलकर सा रे गा मा।

अम्मा ने गुझिया के संग-संग,

पीले बेसन लड्डू बनवाए।।

आमों में मौर नया आया,

सारे बागों को महकाया।

वासन्ती मौसम है फिरता,

खुशियों के कारण बौराया।

हम सबके जीवन में सौ-सौ,

नव-नव वसन्त आएँ-जाएँ।।

-डॉ. रोहिताश्व अस्थाना

माँ भारती वरदान दो

Poem On Basant Panchami

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संसार सारा एक हो।

हर व्यक्ति जग का नेक हो।।

मिट जाए तम अज्ञान का,

सदबुद्धि विद्या, ज्ञान दो।

माँ भारती! बरदान दो।।

बन्धुत्व की हो भावना।

परमार्थ की हो कामना।।

हित हो मनुजता का सदा,

गन्तव्य एक महान दो।

माँ भारती! वरदान दो।।

विख्यात भारतवर्ष हो।

इसका सतत् उत्कर्ष हो।।

यह हो व्यवस्थित, संगठित,

इसकी प्रगति पर ध्यान दो।

माँ भारती! वरदान दो।।

सहमति, सुमति का वास हो।

नय हर्ष, नव उल्लास हो।।

सर्वज्ञ सुख हो, शांति हो,

सबको उचित सम्मान दो।

माँ भारती! वरदान दो।।

-सुश्री स्नेहलता

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Basant Panchami Kavita

वीणा वाली शारदा मैया,

हमको दे दो ज्ञान।

नन्हे नन्हे बच्चे हैं हम,

करें आपका ध्यान।।

चरणों में हम शीश झुकाते,

करते हैं सम्मान।

हाथ जोड़ कर विनती करते,

करेंगे न अपमान।।

दीप ज्ञान की जल जाये माँ,

करते सभी प्रणाम।

हम भी आगे बढ़ते जायें,

जग में हो सब नाम।।

आशीर्वाद हमें दो माता,

करें नेक हम काम।

पढ़ लिख कर विद्वान बनें हम,

रौशन कर दो नाम।।

-प्रिया देवांगन

जय मां शारदे

Poem On Basant Panchami

माघ शुक्ल पंचमी तिथि,

मां शारदे पूजन की रीति।

उल्लास से मनाते वसंतोत्सव,

ज्ञान का दीप जला कर हम।

मां शारदे से पाकर वरदान,

विश्व में फैलाते ज्ञान-विज्ञान।

शोषण, हिंसा और आतंक,

का हो दुनिया से हो अंत।

मिटे जगत से अत्याचार,

जीते सहिष्णुता सदाचार।

करते यही मंगलकामना,

वीणा पाणि की करके वंदना।

-अंबुज नयन

शारदे वंदन

Poem On Basant Panchami

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चरण कमल में तेरे माता,

अपना शीश झुकाते हैं।

ज्ञान और बुद्धि देने वाली,

तेरे ही गुण गाते हैं।।

श्वेत कमल में बैठी माता,

कर में पुस्तक रखती।

राजा हो, या रंक सभी का,

किस्मत तू ही लिखती।।

वीणा की झंकार सुनकर,

ताल कमल खिल जाते हैं।

बैठ पुष्प में तितली रानी,

भौरे गाना गाते हैं।।

मधुर-मधुर मुस्कान बिखेरे,

ज्ञान-बुद्धि तू देती है

शब्द- शब्द में बसने वाली,

सब कुमति हर लेती है।।

मैं अज्ञानी बालक माता,

शरण तुम्हारी आया हूँ

झोली भर दे मेरी मैया,

शब्द पुष्प मैं लाया हूँ।।

-महेंद्र देवांगन

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मातु शारदे

Basant Panchami Per Kavita

मातु शारदे, मातु शारदे,

हमको ज्ञान व बुद्धि दे।

हम तो ठहरे अबोध बाल,

हमको ज्ञान का वर दे।।

हम नादान ना कुछ जाने,

ज्ञान चक्षु का वरदान दे।

पर सेवा काम आए हम,

ऐसा तू हमको वरदान दे।।

पद्म पुष्प निवासिनी,

कर तू वीणा धारणी।

विद्या-बुद्धि प्रदायिनी,

पुस्तक-हार धारणी।।

मन का तम हटा ज्ञान,

की ऐसी बुद्धि तू भर दे।

हम तो नन्ही सी जान,

आगे बढ़ने का भान दे।।

प्रकाश पुँज दिखाकर,

अज्ञानता को हर दो।

जीवन जगमग कर,

सुर ताल से भर दो।।

-सीमांचल त्रिपाठी

हे माता

Poem On Basant Panchami

हे माता सरस्वती,

दे दो हमको थोड़ा ज्ञान।

कभी थकें न कभी रुकें न,

भले बुरे का रख लें ध्यान।

इधर उधर की बाधा हर लो,

जहाँ जायें, पाएँ सम्मान।

पढ़ लिख कर हो जाएँ बड़े,

हो सबको हम पर अभिमान।

हे माता सरस्वती,

दे दो हमको थोड़ा ज्ञान।

-सुहानी यादव

 

हमें विद्या धन देना

Basant Panchami Poem In Hindi

हे सरस्वती माता,

बस इतनी दया करना।

आए हैं शरण तेरी,

हमें विद्या धन देना।

आकर के बैठना तुम,

जिह्वा हमारी पर।

नहीं दूर कभी होना,

वाणी में विराज रहो।

बोलें अमृतवाणी,

ऐसा हमें स्वर देना।

हे सरस्वती माता,

बस इतनी दया करना।

आए हैं शरण तेरी,

हमें विद्या धन देना।

अज्ञानता दूर करो,

तुम ज्ञान बढ़ा देना।

अंधकार को दूर करो,

उजियारा कर देना।

बन जाएँ ज्ञानी हम,

माँ ऐसा वर देना।

हे सरस्वती माता,

बस इतनी दया करना।

आए हैं शरण तेरी,

हमें विद्या धन देना।

साहस और हिम्मत को,

जीवन में भर देना।

घबराएँ कभी भी नहीं,

निर्भीक बना देना।

हो जाएँ पार भव से,

इतनी शक्ति देना।

हे सरस्वती माता,

बस इतनी दया करना।

आए हैं शरण तेरी,

हमें विद्या धन देना।

-कविता

 

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हे शारदे मां

Poem On Basant Panchami

हे शारदे मां,

हे शारदे मां

अज्ञानता से हमें

तार दे मां,

तू स्वर की देवी

है संगीत तुझसे,

हर शब्द तेरा है

हर गीत तुझसे,

हम हैं अकेले

हम हैं अधूरे,

तेरी शरण हम

हमें प्यार दे मां,

हे शारदे मां…

हे शारदे मां

Basant Panchami Par Kavita In Hindi

हे शारदे मां,

हम आये हैं द्वार तेरे।

हमको इतना वरदान दे,

अज्ञानता से लड़ सकू।

ऐसा तू मुझे ज्ञान दे,

तुम देवी संगीत की हो,

हर राग तुमसे,

हर साज तुमसे।

ज्ञान की भंडार तू है,

हमको इतना ज्ञान दे।

कर सकू तेरी चरण वंदना,

हमको इतना वरदान दे।

पढ़-लिख कर सकू देश की सेवा,

इतना हमको ज्ञान दे।

अनपढ़ को भी गले लगाऊं,

अज्ञानता को दूर भगाऊं।

भेदभाव से मुक्ति पाऊं,

ऐसा तू मुझे ज्ञान दे।

विद्या और बुद्धि का हो जग में संचार,

मां ऐसी कृपा तेरी बनी रहे हम पर,

मां इसी तरह हर साल आना।

अपने साथ ढेर खुशियां लाना।

सबकी झोली खुशियों से भर देना,

चलें सत्य और अहिंसा के मार्ग पे,

हमको इतना वरदान दे।

अज्ञानता से लड़ सकूँ,

ऐसा तू मुझे ज्ञान दे।

-विवेकानंद

 

बसंत पंचमी

Basant Panchami Par Poem

बसंत ऋतु का आगमन,

फूलों से भरे हुए हैं मधुबन।

हरा-भरा लग रहा है पर्यावरण,

सौगंध से समा गया है वातावरण।

सर्दी जा रही है,

आ रहा है बसंत‌।

ऋतु में परिवर्तन लेकर,

अब तुम भी छोड़ो सुस्ताई।

बीत गये दिन लेने वाली अंगड़ाई,

करो अब मन लगा कर पढ़ाई।

अब जो मां शारदे हैं आयी,

आया है बसंत पंचमी का दिन।

आ गयी हैं मां सरस्वती,

उनका तुम आशीर्वाद पाकर।

चलो बन जाओ मेहनती,

आज लेना है यह संकल्प।

मेहनत का न खोजेंगे विकल्प।

-प्रांजल कुमार
 

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वीणा बजाने वाली

Basant Panchami Par Kavita

वीणा बजाने वाली,

वाणी का दान दे दो।

मन में जला के ज्योति,

अधरों पे गान दे दो।।

सेवा के व्रत को ले कर,

जन-जन को मैं जगाऊँ।

अभिमत है इस तरह माँ,

अमृत का पान दे दो।।

मन में जला के ज्योति,

अधरों पे गान दे दो।

सुख दुःख में माँ सदा ही,

बस याद आये तेरी।।

समता हो साथ हर पल,

ऐसा जहान दे दो।

मन मेंजला के ज्योति,

अधरों पे गान दे दो।।

ममता प्रदायिनी भी,

हे! विज्ञान ज्ञान दात्री।

अधिभार बन सकूँ ना,

मुझको अमान दे दो।।

मन में जला के ज्योति,

अधरों पे गान दे दो।

अद्भुत अचूक’ पथ का,

राही है तू सम्भलना।।

अविरल, नमन ओ वन्दन,

भक्ति व ज्ञान दे दो।

मन में जला के ज्योति,

अधरों पे गान दे दो।।

-कृपा शंकर शर्मा

 

इस बसंत के मौसम में

Vasant Panchami Poem In Hindi

फूलों ने इतिहास रचा है,

इस बसंत के मौसम में।

बालों में गुलाब की खुशबू,

गालों पर चंपा चहकी है।

गले चमेली पड़ी हुई है,

और चाँदनी भी महकी है।

फूलों ने मधुमास रचा है,

इस बसंत के मौसम में।

साँसों में भी फूल-फूलकर,

खुश होकर गाए हैं फूल।

कानों में भी झूल-झूलकर,

हर पल मुस्काए हैं फूल।

फूलों ने सब खास रचा है,

इस बसंत के मौसम में।

हरियाली की परी सजी है,

हमें रिझाने आई है।

हम भी चाहें सजी रहे यह,

इसकी आज सगाई है।

फूलों ने मधुहास रचा है,

इस बसंत के मौसम में।

-रावेन्द्र कुमार

पूरी होगी मनोकामना

Poem On Basant Panchami

कोयल की वह मधुर आवाज,

उपवन में सतरंगी फूलों की साज।

लहलहाते फसलों की अनोखी राज,

लो हुआ वसंत ऋतु का आगाज।

वसंत पंचमी का शुभ दिन है आज,

रखते हैं सभी इस दिन उपवास।

मां के पूजन में है अटूट विश्वास,

करेगा सभी बुराइयों का नाश।

हर तरफ शांति का होगा वास,

हम सभी पर बनी रहे हमेशा।

मां शारदे की अनुपम छाया,

सभी करें एक-दूसरे से प्रेम,

कभी न बदलें उनकी यह काया।

पूरी करें मां हमारी मनोकामना,

हर संकट में करें डट कर सामना।

ईमानदारी से करें हम देश-सेवा,

हमारे अंदर भी जगे देशप्रेम की भावना।

-अंकित कुमार

 

सरस्वती स्तवन

Basant Panchami Par Kavita

जय जय जय माँ वीणा पाणी,

स्वर संगीत सभी को भाता।

जो जन सप्तम् स्वर में गाता,

स्वर साहित्य की तू कल्याणी।

ऋतम्भरा मेधा करती तुम,

नन्हे से शिशु है तेरे हम।

माँ कर मूक मुखर वरदानी,

सामवेद स्वर छन्द सुरचना।

नाद ब्रह्म अनहद शुवचना,

झंकृत स्वर कर वीणा पाणी।

नवसृजन साहित्य सम्भारों,

हित समाज की कृपा पसारों।

तेरी महिमा देव नहीं जानी,

मक्खन सा निर्मल माँ कर दे।

सुन्दर भाव हृदय में भर दे,

करहुं कृपा मातु निज जानी।

-पुष्पांजलि तिवारी

 

मुझे उम्मीद है की यह लेख वसंत पंचमी पर कविता के बारे में जो जानकारी दी गयी है वो आपको अच्छा लगा होगा, यदि आपको यह post वसंत पंचमी पर कविता (Poem On Basant Panchami In Hindi) पसंद आया है तो कृपया कर इस पोस्ट को Social Media अपने दोस्तों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें ताकि उन्हें भी इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके। हमारे वेबसाइट Gyankinagri.com को विजिट करना न भूलें क्योंकि हम इसी तरह के और भी जानकारी आप के लिए लाते रहते हैं। धन्यवाद!!!

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