11+ डाॅ भीमराव अंबेडकर पर कविता | Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

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Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi डॉ० बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी सर्वश्रेष्ठ कविता, Ambedkar Poem, Dr Babasaheb Ambedkar Kavita 

डॉ० बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी लोकप्रिय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने दलितों, श्रमिकों, किसानों महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। इसके साथ ही दलित बौद्ध आदोलन को प्रेरित किया। अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया। उनका मानना था कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जिसे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाना चाहिए।

डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के छोटे से गांव के दलित परिवार में हुआ। उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में काम करते थे। दलित परिवार में जन्म लेने के कारण बचपन से ही उन्हें अछूत माना जाता था।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जब स्कूल जाया करते थे, तो उन्हें विद्यालय के अन्य बच्चों के साथ बैठने और पढ़ने की अनुमति नहीं थी उन्हें स्वयं नल या मटके को छूने की इजाजत नहीं थी, यदि स्कूल का चपरासी कहीं इथर उधर चला जाता था तो उन्हें प्यास लगने पर पानी भी नहीं मिलता था, ऐसे में बचपन से ही उनके मन-मस्तिष्क में समाज में हो रहे भेदभाव, ऊंच-नीच और दासता के प्रति क्रांति ने जन्म ले लिया था। 

जिसके चलते उन्होंने न केवल समाज व्याप्त छुआछत का विरोध किया, बल्कि दलित जाति के उत्थान के लिए प्रयास किए।

बाबासाहेब आंबेडकर को पढ़ने का बहुत शौक था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा और बाद में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि ली। जब वे अमेरिका की कोलबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, तो वह लाइब्रेरी खुलने से पहले सुबह ही पहुंच जाया करते थे, देर रात तक वहीं पढ़ाई करते।

एक दिन लाइब्रेरी के एक कर्मचारी ने उनसे पूछा कि, तुम दिन भर किताबों के साथ ही क्यों रहते हो तो अंबेडकर जी ने बड़े विनम्र स्वभाव से उनको उत्तर दिया कि यदि मैं भी अन्य लोग जैसा ही करुंगा, तो मेरे लोगों का ख्याल कौन रखेगा। जो कि मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य है। हम आज के लेख में डॉ० बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी पर सुंदर कविता आपके साथ साझा कर रहा हूं।

 

Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

 

भीमराव आम्बेडकर

Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

 

भीमराव अम्बेडकर बाबा,

शत-शत तुम्हें प्रणाम।

भारत की पावन गाथा में,

अमर तुम्हारा नाम।

 

माता श्रीमती भीमा बाई,

पिता राम मालो सतपाल।

चौदह अप्रैल को आया था,

उनके घर धरती का लाल।

 

महू छावनी में जन्मस्थल,

अम्बाबाड़े ग्राम।

अंग्रेजों की दासता से थी,

भारत को मुक्ति दिलायी।

 

छुआछूत प्रति मुखरित वाणी,

जागरूकता लायी।

जाति- पाति से किया बराबर,

जीवनभर संग्राम।

 

तुम इतिहास पुरुष, भारत के,

संविधान निर्माता।

गणतांत्रिक व्यवस्था पोषित,

जन-जन भाग्य विधाता।

 

सभी बराबर हैं समाज में,

प्रिय संदेश ललाम।

भगवान बुद्ध से हुए प्रभावित,

बौद्ध धर्म की ली दीक्षा।

 

आपस में हो भाईचारा,

मिले सर्वजन को शिक्षा।

छह दिसंबर पुण्य दिवस है,

भीम गए सुरधाम।

शत-शत तुम्हें प्रणाम

-गौरीशंकर वैश्य विनम्र

 

डॉ भीमराव अम्बेडकर

Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

 

विधि-विधान निर्माता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

शोषित दीन-दुखी प्रणेता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

 

अप्रैल चौदह महान दिन,

अम्बेडकर को याद कराता।

जन्म से प्रतिभा दिखाता,

भारत रत्न इतिहास सजाता।

 

ऐ विधि-विधान निर्माता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

दलित पिछड़ों में दीप जलाता,

मानवता का धर्म सिखाता।

 

भारत को पूर्ण स्वराज दिलाता,

समानता की परिधि बनाता।

ऐ विधि – विधान निर्माता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

 

जन्म महू इतिहास बताता,

दिसम्बर छ:निर्वाण रूलाता।

संविधान का जनक कहलाता,

सबको जीने की राह सिखाता।

 

ऐ विधि – विधान निर्माता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

शाही सत्ता भंग कराता,

भारत को गणराज्य बनाता।

 

राष्ट्र-धर्म की अलख जगाता,

देश-प्रेम की शपथ दिलाता।

ऐ विधि – विधान निर्माता,

यह भारत तुम्हें बुलाता।

-राजबहादुर

शत-शत नमन

Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

 

चौदह अप्रैल को खिला,

उपवन में अनुपम सुमन।

जिसकी महक से महका,

भारत का पावन आंगन।

 

डॉ. भीमराव अंबेडकर,

भारत के अनमोल रतन।

नारी को अधिकार दिलाये,

संविधान का करके सृजन।

 

पिछड़ों और वंचितों के,

दुखों का कर दिया दमन।

शिक्षा, संगठन, संघर्ष का,

दिया देश को नारा नूतन।

 

छुआ-छूत मिटाने का वो,

आजीवन करते रहे जतन।

समता स्वतंत्रता न्याय प्रेम,

बनाये विधान की धड़कन।

 

आज प्यार से लोग उनको,

बाबा साहेब कह करे वंदन।

ऐसे महान युग पुरूष को,

करे शत-शत नमन।

-भूपसिंह भारती

 

जन्म दिवस

Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi

 

दिन है आज खुशी का,

हम झूम कर नाचेंगे गायेंगे।

इतिहास बना उस,

भीम बाबा का जनम-दिवस मनायेंगे।।

 

छुत-अछुत भेद को,

बाबा आपने हटाया ऐसे यहाँ।

हर इंसान जी रहा,

सीना ताने सिर ऊँचा खड़े जहाँ।।

इस धरती माँ संग,

एकता के गीत गाते हँसते जायेंगे

इतिहास बना उस,

भीम बाबा का जन्मदिवस मनायेंगे।।

 

किस्सा था अजब यहाँ,

मानवता का बीज नही देखा की,

भीमराव अंबेडकर,

नयी क्रांति आपने दिखलाई यहाँ तभी,

मानव का नया गीत,

मिलकर हम सब गाते जश्न मनायेंगे।

इतिहास बना उस,

भीम बाबा का जन्मदिवस मनायेंगे।।

 

एकता समानता है,

संविधान हमें मिला सबको हैं जहाँ

लोकशाही प्रजातंत्र,

भीमराव आपने हमें दिया हैं, यहाँ

खुशियों से हम रहें,

मिलजुल के नया भारत बनायेंगे।

इतिहास बना उस,

भीम बाबा का जन्मदिवस मनायेंगे।।

 

शिक्षा से गगन छुए,

आत्मविश्वास से परिश्रम किया यहाँ,

अपने मंजिल पर,

सदा रहें राह चले कभी ना हारे जहाँ

जीवन की समस्या,

मुश्किलों का सामना करते ही जायेंगे।

इतिहास बना उस,

भीम बाबा का जन्मदिवस मनायेंगे।।

-कांचन मून

बाबा साहेब

Ambedkar Poem

 

है उठ खड़ा एक प्रश्न मन में

क्या फिर लेगा वो नन्हा-सा बालक जन्म?

ना जाना था किसी ने वो ऐसा कमाल कर दिखाएगा,

जिसको कुछ ना माना था किसी ने।

 

कारण केवल इतना-सा था,

वो बालक था दलितों का,

जैसे-जैसे बड़ा हुआ वो,

कर दिखलाए नए-नए चमत्कार,

 

चुपके-चुपके स्कूलों में पढ़कर, ताने खाकर,

हासिल की इतनी डिग्री जितनी न कर पाएँ वो,

जो पढ़ रहे थे पूरे ऐशो-आराम में।

 

देश को ऐसी धरोवर

जिसका नाम कानून रखा था मेरे बाबा साहेब ने।

फिर रच गया उनका सुनहरे पन्नों में नाम,

जिसने स्त्री शिक्षा की थी नींव रखी।

 

वो वही बालक था जिसको माना जाता था दलित,

पत्नी सविता के साथ मिलकर

न केवल आम लोगों को, बल्कि

आदिवासी लोगों को भी स्वच्छता का पाठ पढ़ाया।

 

था वह वही, था डॉ. भीमराव अंबेडकर,

जिसने दलितों के लिए दलित विमर्श चलाया था।

हे! शत्-शत् नमन मेरे बाबा साहेब को,

जिसने देश को चलाने का अजीवन साहारा दिया।

-स्वीटी

 

डॉक्टर अंबेडकर

Dr Babasaheb Ambedkar Kavita

चलो-चलो याद करें एक महापुरूष को,

जिसने दिया हम दलितों को एक नया जीवन।

14 अप्रैल 1891 में भारत में आए वो,

जिसने की हम दलितों की दूर परेशानी।

 

हिन्दू महार जाति के वो थे,

जिसने भेद-भाव की लकीर को मिटाया।

बचपन का नाम था भीवा

विद्यालय में भीवा राम जी अंबड़वेकर लिखाया।

 

ब्राह्मण शिक्षक ने आंबेडकर नया नाम रख डाला था,

वही हमारे संविधान के पिता कहलाते हैं।

उनके पिता जी ने नाजुक-सी उम्र में

विवाह रमाबाई से करवाया था।

 

आज तक ना इतनी डिग्री किसी ने न पाई है,

जितनी हमारे बाबा साहेब ने पाई है।

11 भाषा का ज्ञान था जिसे,

उन्होंने कई पत्रिका भी छपवाई थी।

 

मूकनायक, जनता, बहिष्कृत,

भारत, समता, प्रबुद्ध भारत पत्रिकाएँ छपवाई थी।

15 अगस्त 1947 देश आजाद होने के बाद,

गांधी, नेहरू ने भी बाबा साहेब जी को याद फरमाया-

लिख दो तुम एक संविधान,

जिससे चले पूरा हिंदुस्तान।

 

बाबा साहेब ने मंजूर किया,

फिर 60 देशो का संविधान अध्ययन किया।

2 साल 11 माह 18 दिन में संविधान लिख दिखाया,

समानता का अधिकार भी इसमें दिलाया।

इतनी पंक्तियों में भी असम्भव आपका अभिनन्दन,

मेरा बाबा साहेब जी को शत्-शत् नमन।

-प्रियंका

 

 

 

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