Top 21+ Poem On Krishna Janmashtami In Hindi [2023] कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता

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कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो पूरे भारत में बड़े ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और हिन्दू पंथ के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र अवसर है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जीवन और उनके धर्मिक दृष्टिकोण के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दू मास भाद्रपद (श्रावण) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे जन्माष्टमी तिथि के रूप में जाना जाता है। इस तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था जो वृंदावन में उत्तर प्रदेश राज्य में हुआ था।

यह त्योहार लोग भगवान कृष्ण के भक्ति और प्रेम की भावना से भरे हुए हैं। इस दिन लोग मंदिरों में जाकर भगवान कृष्ण के प्रतीक्षा में रात्रि जागरण करते हैं और उन्हें खुशनुमा गाने गाकर उनके प्रेमी लीला की याद करते हैं। भजन और कीर्तन के ध्वनियां आसमान तक उठती हैं और लोग एक-दूसरे के साथ प्रसन्नता और प्रेम भाव से यह त्योहार मनाते हैं।

इस प्रकार, कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें अपने धर्म और भगवान कृष्ण के प्रेम के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह एक धार्मिक अवसर के साथ-साथ एक खुशनुमा और उत्साहभरा त्योहार भी है जिसे हम सभी मिलकर खूब धूमधाम से मनाना चाहते हैं। आज के पोस्ट में हम यहां पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पर्व पर सुंदर कविता लेकर आएं हुए हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी 

Poem On Krishna Janmashtami In Hindi

जिन्हें देवकी ने जन्म दिया,

यशोदा ने पाला है।

वसुदेव का पुत्र और,

नन्द जी का लाला है।

पूतना का वध किया,

और ब्रजवासियों को मोहा है।

गोपियों संग रास रचाया,

और गायों को दूहा है।

यमुना तट खेले वह,

ब्रज का जो बाला है।

वसुदेव का पुत्र और,

नन्द जी का लाला है।

हमेशा जो कहते कि मैया,

मैंने माखन नहीं खाया है।

क्रोध में आकर मैया ने,

जिनपर गुस्सा दिखलाया है।

ऊखल से बंधा वह बालक,

मीरा का गोपाला है।

नन्दगाँव का छोरा,

नन्द जी का लाला है।

जिन्होंने दुराचारी,

कंस के हैं लिए प्राण।

कौरवों की भरी सभा में,

द्रौपदी का रखा मान।

महाभारत के युद्ध में

गीता का दिया ज्ञान।

गोकुल का जो ग्वाला है

नन्द जी का लाला है।

-दीपक कुमार रंगारे

बाल कृष्ण पर कविता

Poem On Janmashtami In Hindi

कान्हा तेरी सावली सूरत,

सबको है भाती।

सिर पर मोर मुकुट का ताज,

पहने हो तुम।

बांसुरी बजाकर सबका दिल,

जीत लेते हो तुम।

नटखट अदाओं से सबका,

मन भाते हो तुम।

माखन चोर कहलाते,

हो तुम।

गोपियों के संग रास,

रचाते हो तुम।

माँ देवकी की कोख,

का अभिमान हो तुम।

माँ यशोदा की जान,

हो तुम।

कंस को मारने वाले,

वीर हो तुम।

ब्रज की शान हो तुम,

गोकुल की जान हो तुम।

हम सबको प्यारे,

हो तुम।

हे कृष्ण कन्हैया हम,

सबको प्यारे हो तुम।

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तेरी यादें

janmashtami poem in hindi

जैसे सूरज की किरणों से,

गर्मी हमको मिलती है।

और भोर की लाली में ही,

कली डाल में खिलती है।।

बागों में भी फूल देखकर,

तितली भी इठलाती है।

वैसे ही मन चहक उठे जब,

याद तुम्हारी आती है।।

जैसे कलियाँ देख देखकर,

भौरे गाना गाते हैं।

फूलों की खुशबू को पाकर,

लोग सभी सुख पाते हैं।।

बारिश की पहिली बूंदों से,

सौंधी खुशबू आती है।

वैसे ही मन चहक उठे जब,

याद तुम्हारी आती है।।

-महेन्द्र देवांगन

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मेरे कान्हा

poem on krishna in hindi

कृष्णा-कृष्णा बोलो भैया,

राधे-राधे बोल।

मोहन मुरली वाले कान्हा,

अपनी आँखें खोल।

पनघट सूना चिंतित गोपी,

राह देखते ग्वाल।

माखन चोरी करके खाएँ,

सारे बाल गोपाल।

भारी संकट आया कान्हा,

बंजर पड़ा अकाल।

धरती माता अब है प्यासी,

है जन-जन बेहाल।

निर्झर सरिता ताल तलैया,

शुष्क खेत खलिहान।

जल बिन त्राहि-त्राहि चौतरफा,

कृपा करो भगवान।

-सुशीला साहू

कृष्ण लीला

poetry on krishna in hindi

माखन मुख लिपटा हुआ,

मैया पकड़े कान।

बालरूप में कृष्ण,

पाते सभी का सम्मान।।

बैठे कदंब के पेड़ पर,

करे राधिका तंग।

सुनाते मुरली मधुर,

बैठ गोपियों के संग।।

कृष्ण प्रेम की बांसुरी,

है राधा के नाम।

पावन सच्चा प्रेम है,

जैसे चारों धाम।।

गीत प्रेम के गा रहे,

सारे मिलकर आज।

दौड़ आई राधा,

छोड़कर अपने काज।।

धड़कन में है राधिका,

नस-नस में है प्रीत।

वृदावन गूँजता,

कृष्ण का ही संगीत।।

भोली-भाली राधिका,

पनिया भरने जाय।

छेड़े मोहन राह में,

गोपियाँ भी शरमाय।।

राधा बैठी राह में,

लिए कृष्ण की आस।

छलिया मन को छल गया,

कैसे करूं विश्वास।।

-प्रिया देवांगन

मधुर मुरलिया रहा बजाए

janmashtami par kavita

नटखट कान्हा,

मधुर मुरलिया रहा बजाय।

खींची जाएँ जब गोपियाँ,

कदंब ऊपर चढ़ जाय।

इत-उत ढुंढे बावरी हो,

वह पत्तों में छिप जाय।

छलिया, नटखट, कृष्णा,

सबको बड़ा सताय।

कान्हा के मोहनी मुस्कान से,

भला कौन बच पाय।

मुरली की मधूर धुन में,

भला कौन न खो जाय।

जमूना तीर, कदंब के नीचे,

कृष्णा जब बुलाय।

कौन होगा वो बावला,

जो इस बुलाने पर ना जाय।

कान्हा तेरा चाँद सा मुखड़ा,

हर पल मुझे सताय।

बता मुझे तू, तेरे सिवा मुझे,

कुछ और क्यों न भाय।

तुझ संग प्रीत लगाके मोहन,

मन बड़ा पछताय।

तेरे चरण-कमल का भौरा बना,

मन अब कहाँ जाय।

नटवर है रास-रचैया,

सबको उँगलियों पे नचाय।

वो भी नाचे तेरी धुन में,

जो कभी नाच ना पाय।

तेरी मोहनी माया व्यापे सबको,

कोई बच ना पाय।

इस माया से वही उबरे,

जिसको मोहन तू ले बचाय।

प्राण पखेरू तुझसे मिलने,

पंख रहे फड़फड़ाय।

लाख करे ये जतन,

पर ये पिंजड़ा तोड़ ना पाय।

धीरज धर जी में अपने,

सखियाँ रही समझाय।

पाने तेरा शांति भरा आलिंगन,

मन रहा छटपटाय।

अंत समय आया कृष्णा मेरा,

सुध -बध रहा गँवाय।

बता क्या के मैं जतन,

जो मुझे तेरे दरस हो जाय।

देर न कर दे दर्शन प्यारे,

प्राण-पखेरू ना उड़ जाय।

तेरे दर्शन पाकर कान्हा,

जीवन मेरा धन्य हो जाय।

-लोकरश्वरी कश्यप

राधा नाचे कृष्ण नाचे

short Poem On Krishna Janmashtami In Hindi

राधा नाचे कृष्ण नाचे,

नाचे गोपी जन।

मन मेरा बन गया,

सखी री सुंदर वृंदावन।

कान्हा की नन्ही,

ऊंगली पर नाचे गोवर्धन।

राधा नाचे कृष्ण नाचे,

नाचे गोपी जन।

मन मेरा बन गया,

सखी री सुंदर वृंदावन।

श्याम सांवरे, राधा गोरी,

जैसे बादल बिजली।

जोड़ी जुगल लिए गोपी दल,

कुञ्ज गलिन से निकली।

खड़े कदम्ब की छांह,

बांह में बांह भरे मोहन।

राधा नाचे कृष्ण नाचे,

नाचे गोपी जन।

वही द्वारिकाधीश सखी री,

वही नन्द के नंदन।

एक हाथ में मुरली सोहे,

दूजे चक्र सुदर्शन!

कान्हा की नन्ही,

ऊँगली पर नाचे गोवर्धन।

राधा नाचे कृष्ण नाचे,

नाचे गोपी जन।

जमुना जल में लहरें नाचें,

लहरों पर शशि छाया।

मुरली पर अंगुलियां नाचें,

उंगलियों पर माया।

नाचें गैय्यां, छम छम छैंय्यां,

नाच रहा मधु-बन।

राधा नाचे कृष्ण नाचे,

नाचे गोपी जन।

मन मेरा बन गया,

सखी री सुंदर वृंदावन।

-नरेन्द्र शर्मा

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बांसुरी

Poem On Krishna Janmashtami In Hindi

बांसुरी वादन से खिल जाते थे कमल,

वृक्षों से आंसू बहने लगते।

स्वर में स्वर मिलाकर,

नाचने लगते थे मोर।

गायें खड़े कर लेतीं थी कान,

पक्षी हो जाते थे मुग्ध।

ऐसी होती थी बांसुरी तान।

नदियां कल-कल स्वरों को,

बांसुरी के स्वरों में मिलाने को थी उत्सुक

साथ में बहाकर ले जाती थी।

उपहार कमल के पुष्पों के,

ताकि उनके चरणों में,

रख सके कुछ पूजा के फूल।

ऐसा लगने लगता कि,

बांसुरी और नदी मिलकर,

करती थी कभी पूजा।

जब बजती थी बांसुरी,

घनश्याम पर बरसाने लगते,

जल अमृत की फुहारें।

अब समझ में आया,

जादुई आकर्षण का राज

जो आज भी जीवित है।

बांसुरी की मधुर तान में माना हमने भी,

बांसुरी बजाना पर्यावरण की

पूजा करने के समान है।

जो कि‍ हर जीव में प्राण फूंकने की

क्षमता रखती, और सुनाई देती है,

कर्ण प्रिय बांसुरी।

-संजय वर्मा

जन्माष्टमी पर्व पर कविता

Krishna Janmashtami Par Kavita In Hindi

चारों ओर उत्सव है छाया,

संग अपने जन्माष्टमी का त्योहार लाया।

मेरे कान्हा का जन्म दिवस है आया,

बरखा के संग हरियाली लाया।

जन्माष्टमी के पावन अक्सर पर,

सबका मन हर्षाया।

कान्हा के माखन मिश्री का भोग लगाकर,

खूब झूला झूलाया।

घर को साफ सुथरा बनाया

पुष्प मालाओं से खूब सजाया

आज हम सभी ने मिलकर

जन्माष्टमी का त्योहार मनाया।

जन्माष्टमी पर्व पर कविता

Krishna Janmashtami Par Poem In Hindi

देखो फिर जन्माष्टमी आयी है,

माखन की हांडी ने फिर मिठास बढ़ाई है।

कान्हा की लीला है सबसे प्यारी,

वो दे आपको खुशियां सारी।

माखन चुराकर जिसने खाया,

बंशी बजाकर जिसने नचाया।

खुशी मनाओ उसके जन्म की,

जिसने दुनिया को प्रेम सिखाया।

जन्माष्टमी पर कविता

Hindi Kavita On Janmashtami

माखन चोर नन्द किशोर,

बांधी जिसने प्रीत की डोर।

हरे कृष्णा हरे मुरारी,

पूजती जिन्हें दुनिया सारी।

आयो उनके गुण गाये,

सब मिलकर जन्माष्टमी बनाएं।

हाथी घोडा पालकी,

जय कन्हैया लाल की।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

Poems On Lord Krishna In Hindi

कृष्ण पक्ष की अष्टमी और भादों का माह,

भरत भूमि पर हुआ था चेतन पुंज प्रवाह।

चेतन पुंज प्रवाह धन्य थी मथुरा नगरी,

शक्ति अलौकिक तेज पुंज बनकर एक उभरी।

युग प्रवर्तक कृष्ण अवतरित होकर आये,

वासुदेव देवकी माता के पुत्र कहाये।

उनके मामा कंस का बड़ा क्रूर था काम,

वीर कृष्ण को मारने किये उपाय तमाम।

किये उपाय तमाम जतन लाखों कर डाले,

किन्तु पक्ष में रही गेंद कृष्णा के पाले।

वो तो थे भगवान, कंस क्या कर सकता था,

विष्णु का अवदान भला कब मर सकता था।

सदा सत्य के साथ में रहे कृष्ण भगवान,

दिया धर्म को विजय का दुनिया को वरदान।

दुनिया को वरदान बने अर्जुन के साथी,

सदा जलाई धर्म दीप में सच की बाती।

कुरुक्षेत्र में अर्जुन को जो ज्ञान कराया,

वही संकलित ग्रंथ ज्ञान, गीता कहलाया।

एक-एक श्लोक में छुपे गूढ़ संदेश,

जीवन की सच्चाई है गीता के उपदेश।

गीता के उपदेश जिन्होंने समझे जाने,

नहीं रहा कुछ शेष उन्हें दुनिया में पाने।

पढ़ो रोज गीता और औरों को पढ़वाओ,

स्वयं ले गीता ज्ञान, ज्ञान घर-घर पहुंचाओ।

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव

श्रीकृष्ण की पूजा और आराधना के साथ-साथ, कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्म से संबंधित कथाएं और लीलाएं भी सुनाई जाती हैं। श्रीमद्भगवद गीता की उपदेशित बातों का स्मरण करके लोग अपने जीवन में धर्मिकता की अपनाने का संकेत भी प्राप्त करते हैं।

बच्चे इस त्योहार को खास उत्साह और मस्ती से मनाते हैं। उन्हें खुशियों का एहसास होता है जब उन्हें मक्खन मिश्रित मिश्री खिलाई जाती है और उन्हें भगवान कृष्ण के विशेष प्रसाद के रूप में घर-घर जाकर बांटा जाता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दू समाज में एकता और सद्भावना का प्रतीक है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद का संदेश देते हैं और दूसरों के साथ भाईचारे और प्रेम का संदेश भी पहुंचाते हैं।

इस खास अवसर पर हमें यह समझना चाहिए कि हम अपने जीवन में धर्म, प्रेम और सदयता के मूल्यों को समझें और उन्हें अपने जीवन में अमल में लाएं। भगवान श्रीकृष्ण के प्रेमी और भक्त बनकर हम सभी दुखों से मुक्त हो सकते हैं और एक प्रकार से सुखी और समृद्ध जीवन जी सकते हैं।

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