33+ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर कविता | Poem On Mahatma Gandhi In Hindi

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Motivational Poem On Mahatma Gandhi In Hindi :- महात्मा गांधी, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने अपने अद्वितीय विचारों और अद्भुत आदर्शों के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और भारतीय जनता को आजादी की ओर प्रेरित किया।

महात्मा गांधी का जीवन एक साधना का पर्वर्तन था। वे अपने जीवन में सरलता के साथ जीते थे और उनकी आदर्शों में उनकी महानता छुपी हुई थी। उन्होंने अहिंसा का महत्व बताया और सत्याग्रह के माध्यम से भारतीयों को विशेषतः अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी।

महात्मा गांधी का ‘सत्याग्रह’ एक अत्यधिक प्रभावकारी आंदोलन था जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने अपने अनशनों, धर्मिक त्याग के माध्यम से और विशेषतः नमक सत्याग्रह के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दिलाई।

महात्मा गांधी ने समाज में असमानता, असहमति और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त विरोध किया। उन्होंने जातिवाद और जातिगत अलगाव के खिलाफ भी लड़ा और ‘हरि जनसंघ’ की ओर से सामाजिक सुधार के लिए कई प्रकल्पों का संचालन किया।

महात्मा गांधी की मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई, लेकिन उनका आदर्श और विचार आज भी हमारे दिलों में बसे हुए हैं। उनके द्वारा प्राकृतिक और आध्यात्मिक जीवन के मूल्यों का महत्व बताया गया था, और उनके उपदेशों का अनुसरण करके हम सभी एक बेहतर और सशक्त भारत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

समापकता के रूप में, महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अद्वितीय नेता और आदर्श व्यक्ति थे। उनके आदर्शों और मूल्यों का पालन करके हम सभी एक औरत और सशक्त भारत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं और उनकी यादें हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।

poem On Mahatma Gandhi in hindi

बापू

Motivational Poem On Mahatma Gandhi In Hindi

बापू आपकी कथा निराली,

जीवन प्रेरणा देने वाली।

सत्य-अहिंसा अपनाया,

देश को आजाद कराया।

ज्ञानवान सत्यवान आप थे,

बहु गुणों की खान आप थे।

निर्बल का संबल आप थे,

स्वाभिमानी, धैर्यवान आप थे।

निश्छल जीवन, सीधा-सादा,

कातें सूत चरखा लिए सदा।

सब जीवों में राम दिखाया,

सदा प्रेम का पाठ पढ़ाया।

-वीरेन्द्र कुमार साहू

 

वह गांधी था

Poem On Mahatma Gandhi In Hindi

नाम से कोई महान ना बना,

काम ने नाम किया।

ऐसी एक शख्शियत,

जिसे दुनिया ने प्रणाम किया।

काम किये महान,

राष्ट्रपिता कहलाये वो।

पूरी दुनिया में शांति फैलाई,

शांतिदूत कहलाये वो।

किसी ने कहा बापू,

किसी ने कहा महात्मा।

लेखकों ने लेख में लिखा,

महान थी उसकी साधना।

देश को आज़ाद किया,

देश को किया स्वच्छ।

देश को एक किया,

मणिपुर हो या कच्छ।

उस गांधी की सोच निराली,

जिसने देश पर अपने प्राण दिए।

देश पर ऐसी श्रद्धा देख,

विरोधी भी निःशब्द हुए।

गाँधी को मौन आशा मानो,

किरण खुद दिख जाएगी।

सूर्य को तुम घूर के देखो,

वो गांधी कि परछाई है।

-अमृताष मिश्रा

 

बापू महान

Poem On Mahatma Gandhi

वह तारीख थी 2 अक्टूबर 1986

गुजरात का पोरबंदर था स्थान

माता पुतलीबाई ने जन्म दिया था।

एक पुत्र संतान

किसे पता था वह पुत्र

बनेगा वर्तमान भारत का निर्माता।

किसे ज्ञात था वह

कहलाएगा भारत का राष्ट्रपिता।

यही थे वे जिसने

न उठाया शस्त्र

हमेशा सत्य और अहिंसा

को बनाया अपना अस्त्र।

अत्याचारों से तंग आकर

किया लोगों का संगठन|

अंग्रेजों को अँगूठा दिखाकर

छेड़े कई आंदोलन।

वह था तूफान ,था एक आँधी

था उसका एक सपना।

कि आजाद होकर रहेगा

भारत अपना।

आखिरकार 15 अगस्त 1947

को आ गई वो घड़ी

जब भारत को अंग्रेजों से

मिली आज़ादी।

वे थे भारत के गौरव

थे भारत के सम्मान

कुछ ऐसे ही थे

हमारे बापू वीर महान।

-दिब्येंदु मंडल

गांधीजी

Poem On Mahatma Gandhi

देश को आजाद कराने,

चल पड़ते राह पकड़कर।

स्वाधीनता की अलख जगाते,

गांव-गांव में घूम कर,

वह मूल समस्याओं को पहचानते।

स्वतंत्रता की मांग के लिए राष्ट्रधुन गाते थे,

सबको एक साथ चलने के लिए।

सत्य के आग्रही बनाते,

देश घूमे, प्रदेश घूमे।

स्वतंत्रता संग्राम में,

बापू नाम का सम्मान मिला।

राष्ट्रपिता का नाम मिला,

देश अपना आजाद हुआ।

-नितेश कुमार सिन्हा

कौन है ये महान आत्मा

Hindi Poem On Mahatma Gandhi

हाथ में लाठी, पहन लँगोटी,

आजादी का एक सिपाही।

अहिंसा की अलख जगाता,

सच्चाई के पथ का राही।

छुआछूत अपराध बड़ा है,

भेदभाव है बड़ी बुराई।

ऊँच-नीच न, सब हरिजन हैं,

बहुत सरल सी सीख सिखाई।

जरूरतें जितनी सीमित हों,

उतना ही बेहतर है भाई।

लूट-खसोट, कालाबाजारी,

अपरिग्रह है स्याह कमाई।

दो ही चाबी हैं विकास की,

साफ-सफाई और पढ़ाई।

नहीं किसी को दुख पहुँचाओ,

अपनी समझो पीर पराई।

‘हे राम’ अंतिम शब्दों से,

महात्मा की हुई विदाई।

जनमानस में बसा हुआ वो,

राष्ट्रपिता की पदवी पाई।

-आशा शर्मा

बापू महान

Hindi Poem On Mahatma Gandhi

कमर थी झुकी,

तेज चाल न रुकी,

एक बूढ़ा जवान,

छाती अपनी तान,

दे रहा था जंतर,

आजादी का मंतर।

करो या मरो,

न किसी से डरो,

मिलजुल कर रहना,

जुल्म नहीं सहना,

सादगी जिसकी पहचान,

वो था बापू महान।

-शिवचरण सरोहा

महात्मा गाँधी

Hindi Poem On Mahatma Gandhi

खादी पहन कर दी आजादी,

स्वदेशी मंत्र लाया,

पहले बापू फिर महात्मा,

राष्ट्रपिता कहलाया।

अपना सर्वस्व किया समर्पित,

देश के लिए ,

सत्य अहिंसा के बल पर,

देश आजाद करवाया।

ऊँच-नीच का भेद मिटाकर,

सबको गले लगाया,

दया प्रेम अपना कर,

मानवता का पाठ पढ़ाया।

वर्ण व्यवस्था तोड़ कर,

दी धर्म की परिभाषा,

आजादी के दीवानों में

विश्वास जगाया।

असंख्य वीरों ने दी कुर्बानी

तब आजादी पाई,

मुफ्त में नहीं मिली,

हमने इसकी कीमत चुकाई।

हंसकर फाँसी पर झूले,

सीने में गोली खाई,

तब तीन रंग की विजय पताका

गगन में है लहराई।

देश में आतंक मिटा

समाजवाद लाएँ,

सत्य राह पर खुद चलें,

औरों को चलना सिखलाएँ।

विश्व बंधुता के आंगन में,

शांति का पैगाम दें,

हर हाथों को काम देकर,

आत्मनिर्भर बनाएँ।

गाँधी जी के सपनों को

साकार करें,

आओ नव भारत का

निर्माण करें।

-शोभा रानी तिवारी

सपने में राष्ट्रपिता

Hindi Poem On Mahatma Gandhi

सुबह सुबह जब नींद खुली तो,

गोलू का सिर चकराया था।

समझ नहीं पा रहा था वह,

रात सपने में क्या आया था।

धरे गाल पर हाथ, बिचारा सोच रहा था,

सर्दी में भी अपनी पसीना, पोंछ रहा था।

दादाजी जैसे संन्यासी,

रात सपने में आए थे।

घुटनों तक ही बंधी थी धोती,

सिर पर थी एक अजीब सी टोपी।

न था कोई वस्त्र देह पर,

ओढ़ महज पतली सी चादर।

ठिठुरन भरी सर्दी में भी,

आँखों में अद्भुत चमक सी थी।

मुख पर थी प्यारी मुस्कान,

खड़े थे वह सीना तान।

गोलू था कि काँप रहा था,

सपने में भी थर थर थर।

हटा रजाई देख रहा था,

आँखों में अचरज भर कर।

इतनी सर्दी और तन पर कपड़े थोड़े,

वह था कि पड़ा था रजाई में, शरीर को मोड़े।

पास आकर, उन्होंने अपने मुख खोले,

सरस, मधुर वाणी में बड़े स्नेह से बोले।

उठो ओ गोलू प्यारे,

आलस छोड़ो ओ दुलारे।

माँ भारती के वीर बनो तुम,

विश्राम के लिए न अधीर बनो तुम।

त्याग, अहिंसा, सत्य, सादगी,

को औजार बनाओ।

वैर-भाव को दूर भगाकर,

सबको गले लगाओ।

मन से ताकतवर बनो तुम,

मेरी सीख अपनाकर।

राष्ट्रहित की राह चलो तुम,

मोहन को मित्र बनाकर।

कहकर चले गये दादाजी,

उठ बैठा झट वह।

सोच रहा था, देखा था जो

किसे बताए,

उसके मन की उलझन वह

कैसे सुलझाए।

नजाने क्या याद आया उसको,

दौड़ा-भागा पहुँच गया वो।

देखते ही पहचान गया वह,

दादाजी के कमरे में।

ठिठक गया देख तस्वीर वो

टंगी थी जो फ्रेम में,

अच्छा तो क्या राष्ट्रपिता

उसे स्वयं जगाने आये थे।

नेकी की राह दिखाने,

स्वयं बापू सपने में आये थे।

गोल गोल आँखें कर अपनी,

बैठ गया वह वहीं धम्म से।

तय किया,निश्चय किया,

चलकर सत्य की राह पर मन से।

मित्रता निभाएगा मोहन से,

प्यार करेगा अपने वतन से।

-डॉ.राशि सिन्हा

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