Top 27+ Best Poem On Water In Hindi | जल पर कविता

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Poem On Save Water In Hindi :-

 

Poem On Save Water In Hindi

 

मैं पानी हूँ मुझे बचाओ

Poem On Water

 

मैं पानी हूँ मुझे बचाओ,

व्यर्थ जल ना कभी गिराओ।

ताल-तलैया लगे सूखने,

अब तो तरस मुझ पर खाओ।

 

बूंद-बूंद के लिए तरसते,

मुझको थोड़ा और बचाओ।

जल संकट से बचना है तो,

बच्चो! मुझको नहीं बहाओ।

 

जल बिन दुनियाँ जल जायेगी,

जीव-जन्तु सब मर जायेंगे।

करो प्रतिज्ञा मिल-जुलकर सब,

जल का संचय करते जाओ।

 

रहे धरा यह हरी-भरी अब,

दुनियाँ वालो! होश में आओ।

-डॉ. ब्रजनन्दन वर्मा

 

मैं हूँ पानी

Poem On Water

 

मैं हूँ पानी।

ना मेरा कोई रंग,

ना मेरा कोई रूप।

 

फिर भी मेरी जरूरत है,

चाहे ठंड हो या धूप।

मुझ में बसा है सारा संसार।

 

फिर भी कोई क्यों,

नहीं करता मुझसे प्यार?

मैं हूँ पानी।

 

जहां मैं बहता हूँ,

वहां मैं बहता ही रहता हूँ,

मेरी कीमत ना जाने कोई।

जितना चाहे उतना सब मुझे फेंके।

मैं हूँ पानी।

 

जिस दिन हो जाऊंगा मैं अनमोल,

लोग मेरे लिए रोएंगे उस दिन।

हो जाऊंगा इस दुनिया से गोल।

मैं हूँ पानी।

 

जितना हो सके पेड़-पौधे लगा लो।

अभी भी वक्त है मुझे बचा लो।

मैं हूँ पानी।

-प्रमिला जांगड़े

 

जल-कल

Poem On Water In Hindi

 

जल है तो,

हमारा कल है।

जल है तो,

जीवन निर्मल है।।

 

जल है तो,

वन में हलचल है।

जल है तो,

फूल खुशहाल है।।

 

जल है तो,

पेड़ों में फल है।

जल है तो,

जानवरों का दल है।।

 

जल है तो,

किसान का हल है।

जल है तो,

खेतों में फसल है।।

 

जल है तो,

जीवन सफल है।

जल न हो तो

जीवन व्यर्थ है।।

 

इसलिए देशवासियों,

जल का थोड़ा जतन करो।

पर्यावरण को थोड़ा,

स्वच्छ और पवित्र रखो।।

-श्री प्रेम सिंह

 

जल का महत्व

Poem On Save Water In Hindi

 

कितना सुंदर कितना प्यारा,

बहती अविरल नदी की धारा।

मीठे-मीठे जल के स्रोत लिये,

बहती हुई रखती हो अटल प्रण।

 

पहाड़, जंगल सबों के बीच,

दिखाती हो तुम अपना दम।

बूंद-बूंद से सागर बनकर,

जगत जीव को सजीव बनाकर।

 

अपनी महिमा बतलाती हो,

कितना सुंदर कितना प्यारा।

बहती अविरल नदी की धारा,

जल की धारा में ही होता।

 

नव सृजन का है उद्भव,

पौधे, जीव, पंछी पाकर।

गाते स्वर में नव गुणगान,

जग के सृजन।

 

जग के प्रलय में,

तुमने अपनी भूमिका निभायी।

तुम्हारे बिन अब भी अधूरा,

यह जग, यह जीवन।

 

तू अब भी शाश्वत है,

कितना सुंदर कितना प्यारा,

बहती अविरल नदी की धारा।

-नितेश कुमार सिन्हा

 

जल संरक्षण

Poem On Water In Hindi

 

मत करो मुझे बर्बाद,

इतना तुम रखो याद।

नहीं तो प्यासे रह जाओगे,

मेरे बिना नही जी पाओगे।

 

जन-जीवन को मै हूँ बचाती,

लोगों को जीवन दान दिलाती।

इतना तुम रखो याद,

नहीं तो प्यासे रह जाओगे।

 

मेरे बिना नही जी पाओगे,

पंच महाभूतों में मेरा निर्माण हुआ।

बसुधा में बसी हूँ, मुझे बचाओ आज,

यही मेरी फरियाद यही मेरी आवाज।

 

इतना तुम रखो याद,

नहीं तो प्यासे रह जाओगे।

जल-छानन, जल सरंक्षण को,

एक तकनीक बनाओ।

 

नहीं तो प्यासे रह जाओगे,

मेरे बिना जी नही पाओगे।।

-नीलम सरोज

 

पानी को सहेजें

Poem On Water In Hindi

 

पानी की है कमी इस कदर,

सूख गई हैं झीलें।

दरक गई उपजाऊ भूमि,

ताल रहे ना गीले।।

 

नदियों, कुओं, तालाबों से,

रूठ गया है पानी।

कहते हैं कुछ समझदार,

ये है अपनी नादानी।।

 

पर्यावरण बिगाड़ा हमने,

हरे पेड़ कांटे हैं।

पंछी का दाना छीना है,

दुःख सबको बांटे हैं।।

 

अभी वक्त है वर्षा का,

जल को चलो सहेजें।

खेतों में लहराएं फसलें.

इतना ही पानी भेजें।।

-राजकुमार जैन 

 

जल है जीवन का आधार

Poem On Water In Hindi

 

जल है जीवन का प्रबल मुख्य आधार।

जल प्रकृति का बड़ा मूल्यवान उपहार।।

जल से ही जीवन चले होते अनेक काम।

जल के विभिन्न उपयोग करते सुबह-शाम।।

 

नहीं रहा अगर जल तो सब हो बेकार।

इसे बचाने के लिए हमें होना है तैयार।।

जल ना होगा तो कल भी कहां होगा।

जल संचय हम सबको ही करना होगा।।

 

नहीं बहाना व्यर्थ जल की बूंद-बूंद बचाना।

आने वाले कल को सुरक्षित-बेहतर बनाना।।

भर पानी फिर टोंटी को बंद है करना।

बहे न पानी बेकार हमें ही ध्यान धरना।।

 

लगा के पाइप निरंतर नहीं गाड़ी-बाइक धोना।

आज नहीं बचाया जल तो कल पड़ेगा रोना।।

नहीं करना गंदगी पावन गंगा-माता है हमारी।

हो सकता है वरना पेयजल का संकट भारी।।

-वर्णिका चौहान

 

छप छप करता पानी

Poem On Water In Hindi

 

जब नदियों में बहता रहता,

कल-कल करता पानी।

आता जब ऊँचे झरनों से,

झर-झर गिरता पानी।

 

जब-जब बादल बाबा गरजे,

टिप-टिप बरसे पानी।

बारिश में तालाब पहुँच कर,

चुप-चुप रहता पानी।

 

पनिहारी के सर पे बैठा,

छल-छल छलके पानी।

जब घर के नल से आता है,

खर-खर करता पानी।

 

हम जब भी पानी पीते हैं,

गट-गट गटके पानी।

बच्चे इसमें जब भी खेले,

छप-छप करता पानी।

 

धरती का श्रृंगार है इससे,

चुनर धानी धानी।

बिन इसके जीवन की,

है कल्पना बेमानी।

-पुखराज सोलंकी

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