आज की पोस्ट में यहां पर कुछ बेहतरीन शिक्षाप्रद पर आधारित बाल कविता Top 150+ Best New Short Hindi Poem For Kids | हिंदी कविता में साझा करने जा रहा हूं।
बंदर को जुकाम
Hindi Poem
हद से ज्यादा खाये आम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।
ठंडा गरम साथ में खाता।
ऊपर से पानी पी जाता।।
खूब नहाता सुबहोशाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।
छींक छींककर सर चकराया।
टूटा बदन ताप भी आया ।।
नाक हो गई उसकी जाम।
तब बंदर को हुआ जुकाम ।।
बंदर ने भालू बुलवाया।
भालू ने काढ़ा पिलवाया।।
मला माथ पर झंडू बाम।
तब छू मंतर हुआ जुकाम ।।
डॉ. कैलाश सुमन
मेंढकी रानी
Hindi Poem
दुल्हन बनी मेंढकी रानी,
दूल्हा मेंढक राजा।
गड़गड़-गड़गड़ बादल जी ने,
खूब बजाया बाजा।
तड़तड़- तड़तड़ बिजली चमकी,
भागा दूल्हा राजा।
कूदा , उछला कुएं मे जाकर,
बोला दुल्हन आजा।
बोली दुल्हन मटक-मटककर,
डरो न दूल्हे राजा।
चलो घूमने कुएं से बाहर,
सैर करेंगे आजा।
दुनिया बड़ी बहुत सुंदर है,
ओ-मेरे दूल्हे राजा।
देखेंगे कम्प्यूटर पिक्चर,
हवा खायेंगे ताजा।
दुनिया बदली हम बदलेंगे,
पियेंगे लस्सी माजा।
नहीं बनेंगे कुएं मेंढक
तू ही बाहर आजा।
निकला कुँए से बाहर मेंढक ,
नाचे रानी राजा।
डॉ. सुधा गुप्ता
सच बोलो
Hindi Poem For Kids
मुख जब खोलो,
सच-सच बोलो,
सच से फिर तुम
कभी भी न डोलो।
झूठ हमेशा
जमकर हारा,
सच का जब भी ,
खुला पिटारा।
झूठ लुभाता,
सत्य डराता,
सबको फिर भी,
सच ही भाता।
सत्यमेव
जयते का नारा,
क्या जाने ये
झूठ बिचारा।
सत्य की जीत,
झूठ की हार
ऐसा होता ,
हर इक बार।
महेंद्र कुमार वर्मा
स्कूल चले हम
Short Hindi Poem
स्कूल चलें हम, स्कूल चलें
सब मौज मस्ती भूल चलें,
अब आयी बारी पढ़ने की,
भविष्य अपना गढ़ने की।
नई किताबें नई हैं पैंसिल
बेमतलब की छुट्टी कैंसिल,
पिछले बरस से भी अच्छे
अंक लाएंगे हम सब बच्चे।
नया-नया जमेट्री बॉक्स है
नया-नया है बस्ता सबका,
स्कूल भेज रहा बच्चों को
भारत का हर इक तबका।
मैडम जी ने उम्मीद जताई
करेंगे हम सब खूब पढ़ाई,
छुट्टियों के दिन बीत चलें
स्कूल चलें हम स्कूल चलें।
पुखराज सोलंकी
मन करता है
New Short Hindi Poem
मन करता है सूरज बनकर,
आसमान में दौड़ लगांऊ।
मन करता है चंदा बनकर,
सब तारों पर अकड़ दिखाऊं।
मन करता है बाबा बनकर,
घर में सब पर धौंस जमाऊं।
मन करता है पापा बनकर,
मैं भी अपनी मूंछ बढाऊं।
मन करता है तितली बनकर,
दूर-दूर उड़ता जाऊ।
मन करता है कोयल बनकर,
मीठे-मीठे बोल सुनाऊं।
मन करता है चिड़िया बनकर,
ची-चीं चूं-चूं शोर मचाऊं।
मन करता है चर्खी लेकर,
पीली-लाल पतंग उड़ाऊ।
सुरेन्द्र विक्रम
रिश्तों की भागदौड़
Hindi Poems
बस एक पहचान ही काफी है
इतिहास बनाने के लिए
खुद का अहसास ही काफी है
खुद को समझाने के लिए
तुम क्या कर लोगे
बनाकर दहशत लोगों मे
एक नजरिया ही काफी है
सही निशाने के लिए
गनीमत है कि तुम्हें मिल गया
कोई तुम्हें समझने वाला
एक तिनका काफी होता है
डूबते को बचाने के लिए
आखिर एक हंसी जो काफी होती
सबको मनाने के लिए.
अतुल रॉय