Poem On Children’s Day In Hindi :- भारत में 14 नवंबर के दिन चिल्ड्रंस डे मनाया जाता है, जिसे बाल दिवस के नाम से सब जानते हैं। 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन होता है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उनकी अपनी भी केवल एक ही बेटी थी, इंदिरा गांधी। बहुत छोटी थी इंदिरा, जब उनकी माताजी का देहांत हो गया था। ऐसे में बेटी की सारी जिम्मेदारियां नेहरू जी पर ही आ गईं। यह भी एक कारण हो सकता है कि नेहरू जी बच्चों से बहुत जुड़े हुए थे। नेहरू जी का बच्चों से इतना जुड़ाव था कि उन्हें बच्चे चाचा कहते थे और अब तो वह सब बच्चों के लिए चाचा नेहरू ही कहलाते हैं।
नेहरू जी का मानना था कि बच्चों का बचपन बहुत कीमती होता है और हर बच्चे को उसका बचपन जीने का अधिकार होना चाहिए। वह बच्चों को एक उद्यान में लगे फूल की तरह मानते थे। उनका मानना था कि जिस तरह एक उद्यान में लगे फूल उद्यान की शोभा बढ़ाते हैं, उसी तरह एक देश में रहने वाले बच्चे उस देश की शोभा बढ़ाते हैं, उसका मान बढ़ाते हैं और उसका भविष्य होते हैं। इसलिए बच्चों का बहुत ध्यान से लालन-पालन करते हुए उनका विकास करना चाहिए क्योंकि वे देश के भविष्य हैं और इस देश को चलाने की जिम्मेदारी अंततः उन्हीं पर आएगी।
बच्चे ही देश की असली मजबूती होते हैं और किसी भी समाज की नींव भी, इसलिए आज के पोस्ट में बच्चों के दिवस पर यानि बाल दिवस पर सुंदर कविता प्रस्तुत किया जा रहा है।
हम बच्चे प्यारे-प्यारे
Poem On Children’s Day
हम बच्चे प्यारे- प्यारे हैं।
मां की आंखों के तारे हैं।।
मां के हैं हम लाल।
उसकी आंखों के तारे हैं।।
अगर कभी हम रूठ जाएं।
चंदा मामा को बुलाती है।।
प्यारे -प्यारे गीत सुना कर।
दूध रोटी खिलाती है।।
अगर कभी जब नींद सताए।
लोरी गा के सुलाती है।।
अगर कभी जो हम डर जाएं।
हम को गले लगाती है।।
उछल कूद करते रहते।
हम बच्चे प्यारे-प्यारे हैं।।
-सपना यदु
बाल दिवस
Bal Diwas Par Kavita
चौदह नवंबर जन्म हुआ है,
वो चाचा कहलाते हैं।
बच्चे सब मिल इस शुभ दिन को,
बाल दिवस मनाते हैं।
नेहरू चाचा की थी इच्छा,
ज्ञान और विज्ञान बढ़े।
बच्चे बनकर नौनिहाल,
भारत माँ का उत्थान करें।
चाचा ने ये कहा था बच्चों,
तुम गुलाब सम खिल जाना।
अपनी सौंधी खुशबू से,
इस देश की बगिया महकाना।
इस दिन होती हैं स्पर्धा,
पुरस्कार वितरण होते।
वीर-बहादुर बच्चों के यहाँ,
नाम सभी उज्ज्वल होते।
भारत में हम इस शुभ दिन को,
धूमधाम से मनाते हैं।
मेले लगते जगह-जगह,
चाचा के गीत सुनाते हैं।
-सुशीला शर्मा
बाल दिवस
Poem On Children’s Day In Hindi
गुलाब का फूल, टोपी पहने,
शान से वो आते थे।
काम के बाद सबसे पहले,
बच्चों से प्यार दिखाते थे।
14 नवंबर चाचा का जन्मदिन,
बाल दिवस के रूप में मनाते हैं।
खेल-कूद और खाने के साथ,
कई उपहार भी लाते है।
बच्चो के संदर भविष्य का,
देखा नेहरू जी ने सपना।
आओ करे साकार इसे,
बनाकर ये लक्ष्य अपना।
गरीब बच्चों को खाना देकर,
और एक छत बनाते है।
हर बच्चे को पढ़ाकर,
चलो आगे बढ़ाते है।
-श्रेयानवी सिंह
बाल दिवस
Poem On Children’s Day In Hindi
जन्म दिवस नेहरू चाचा का,
बाल दिवस कहलाता है।
बड़े प्रेम से बच्चा-बच्चा,
इसको यहाँ मनाता है।
नेहरूजी को नन्हें मुन्ने,
बच्चे बहुत सुहाते थे।
जब भी मिलता समय-समय वे,
बच्चों संग बिताते थे।
बच्चों संग स्नेह प्रेम सब,
कुछ इतिहास बताता है।
जन्म दिवस नेहरू चाचा का,
बाल दिवस कहलाता है।
था गुलाब चाचा को प्यारा,
इसे लगाते अचकन पर।
इसे देखकर ध्यान चला,
जाता हो शायद बचपन पर।
बच्चों के ओंठो पर भी तो,
यह गुलाब मुस्काता है।
जन्म दिवस नेहरू चाचा का,
बाल दिवस कहलाता है।
आज़ादी के बाद देश की,
सत्ता खूब संभाली थी।
नंगा भूखा देश में,
फैली तब कंगाली थी।
प्रथम आगमन खुशहाली का,
नेहरू युग को जाता है।
जन्म दिवस नेहरू चाचा का,
बाल दिवस कहलाता है।
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बाल दिवस
Poem On Children’s Day
आता है हर वर्ष ये दिन,
झूमें नाचें बच्चे संग-संग।
देते चाचा नेहरू को श्रद्धांजलि हम,
थे ये देश के प्रधानमन्त्री प्रथम।
करते थे बच्चों से प्यार,
हर जयंती पर होता बच्चों का सत्कार।
कच्ची मिट्टी है बच्चों का आकार,
सच्चे साँचे में ढ़ले यही है दरकार।
ना हो अन्याय से भरा इनका जीवन,
प्रतिज्ञा करो न करोगे बाल शोषण।
नन्ही सी कलि है ये,
भारत का खिलता कमल है ये।
बाल दिवस पर है इन्हें सिखाना,
जीवन अनमोल है यूँ ही ना गँवाना।
देश के भविष्य हो तुम,
शक्तिशाली युग की ताकत हो तुम।
-रोनक
हम बन जाएँ चाचा नेहरु
Poem On Children’s Day
बन ठन कर हम कोट पहनते,
जेब में लाल गुलाब रखते।
खिलखिलाते फूल सा हरदम,
चाचा नेहरु से हम लगते।
मेला ठेला देखन जाते,
चाट पकौड़ी मजे से खाते।
नए लिबास में सजधज कर हम,
बाल दिवस पर्व खूब मनाते।
मंच पर हम आलाप लगाते,
महफिल अपनी खूब सजाते।
नाचे गाए रंग जमाएं,
पों पों बाजा ढोल बजाते।
प्रण करते हैं आज के दिन हम,
सच बोलेंगे अब निस दिन हम।
नेकी से हम कभी ना डिगे,
पहले पहल इंसान बनें हम।
दया धर्म हम सदा ही रखते,
मात पिता का मान भी करते।
दिखाए गुरुवर उन राहों पर,
हम आगे को बढ़ते रहते।
हर रंग में हम ढल जाते हैं,
जैसा बनाओ बन जाते हैं।
संस्कारों पर ही चलकर हम,
गुमराह कभी न हो पाते हैं।
काम से कभी न हम घबराते,
अपना काम समय पर करते।
खेल खेल में नलिन ये बच्चे,
बड़े से बड़ा काम कर जाते।
-नलिन खोईवाल
ये भोले भाले बच्चे
Children’s Day Par Kavita
ये भोले-भाले बच्चे,
ये मन के होते सच्चे।
ये गम से होते बेगाने,
ये खिलौनों के दीवाने।
इनके साथी हैं खिलौने,
इनको लगते बड़े सलोने।
ये खिलौना ही संसार है,
ये खुशियों का आधार है।
ये फूल से होते प्यारे,
ये रूप के होते न्यारे।
ये माँ के होते दुलारे,
ये माँ-माँ तभी पुकारे।
ये माँ के नन्हें राजा,
ये पिता के युव राजा।
माँ की गोद है भाता,
इसी में हैं मज़ा आता।
माँ की गोद ही संसार है,
यही खुशी का आधार हैं।
इसी में मिलता प्यार है,
माँ में ही ममता दुलार है।
-अशोक पटेल
बाल दिवस
Poem On Bal Diwas
बाल-दिवस है आज,
साथियो, आओ खेलें खेल।
जगह-जगह पर मची हुई,
खुशियों का सेलाब।
जन्म,दिनांक चाचा नेहरू की,
फिर आई है आज।
उन जैसे नेता पर सारे,
भारत को है सान।
वह दिल से भोले थे इतने,
जितने हम नादान।
बूढ़े होने पर भी मन से वे थे,
सदा जवान।
हम उनसे सीखे मुसकाना,
सारे संकट झेल।
हम सब मिलकर क्यों न,
रचाएं ऐसा सुख संसार।
भाई-भाई जहां सभी हों,
रहे छलकता प्यार।
नही घृणा हो किसी हृदय में,
नहीं द्वेष का वास।
आँखों में आंसू न कहीं हों,
हो अधरों पर हास।
झगड़ नही परस्पर कोई,
हो आपस में मेल।
पड़े जरूरत अगर,
पहन ले हम वीरों का वेश।
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा,
हमको रहे स्वदेश।
मातृभूमि की आजादी हित हो,
जाए बलिदान।
मिट्टी मे मिलकर भी माँ की,
रखे ऊंची शान।
दुश्मन के दिल को दहला दें,
डाल नाक-नकेल।
बाल दिवस है आज।
साथियो, आओ खेलें खेल।
चाचा नेहरू बड़े ही प्यारे
Bal Diwas Par Kavita
चाचा नेहरू बड़े ही प्यारे,
सबके मन को भाते।
हाथ मे बच्चे गुलाब लेकर,
मन्द-मन्द मुस्काते।
चाचा नेहरू रोज सिखाते,
बच्चों तुम खूब पढ़ना।
माँ भारती के वीर सिपाही,
हम सबको है बनना।
यह देश हमारा सबसे प्यारा,
नही किसी से झगड़ना।
मिलजुल के रहना है सबको,
दुनिया से आगे है बढ़ना।
आओ मिलकर एक शपथ ले,
भारत को स्वच्छ बनाना है।
हम माँ भारती के वीर सिपाही,
अपना कर्तव्य निभाना है।
चाचा नेहरू का यह संदेश,
सभी जगह फैलाना।
जन जन को यह पता चले,
भारत को स्वर्ग बनाना।
-अहिबरन पटेल
बच्चे
Bal Diwas Par Kavita
द्वेष, कपट, छल से अनजान,
चंचल, मासूम, हठी, नादान।
बच्चे होते कितने प्यारे,
सबकी होते आंख के तारे।
भेदभाव न जानें बच्चे,
तभी तो लगते हैं अच्छे।
फिक्र गमों से दूर रहते,
अपनी मस्ती में चूर रहते।
बच्चों की हर एक अदा,
होती है सबसे जुदा।
धरती पर है स्वर्ग वहाँ,
मुस्कुराता है बचपन जहाँ।
-हरिन्दर सिंह गोगना
बाल दिवस
Poem On Children’s Day In Hindi
जन्म दिन चाचा नेहरू का
उसको अमर बनायेंगे,
मिल-जुलकर हम सारे बच्चे
बाल दिवस मनायेंगे।
जो बच्चे पढ़ने-लिखने को
हरदम तरसा करते हैं,
दीन-हीन निर्बल जो बच्चे
पीड़ा कितनी सहते हैं।
उन बच्चों को ढूंढ-ढूँढ़ कर
हम तो खूब पढ़ायेंगे,
नन्हे-मुन्ने जो हैं लाचार
उनका क्यों माने कसूर?
दो रोटी के लिए वे हर दिन
हैं मेहनत को मजबूर,
चलो-चले हम उन बच्चों को
मिलकर न्याय दिलायेंगे।
-प्रमोद सोनवानी
मीठी बोली
Bal Diwas Par Kavita
खिल-खिलाते प्यारे बच्चे,
भावनाओं में होते कच्चे।
प्रेम करो तो झुक जाते हैं,
होते दिल के पूरे सच्चे।।
क्षण में रूठे मन जाते हैं,
प्यार से अपने बन जाते हैं।
फूलों से ये कोमल होते,
मीठे बोल होते अच्छे।।
गली मोहल्ले चहका करते,
बातों से हैं फूल खिलाते।
हँसते खिलते गाते रहते,
शाला के ये प्यारे बच्चे।।
इनको सीख सिखाओ अच्छी,
भारत माँ का रूप हैं बच्चे।
जैसा ढालों ढल जायेंगे,
गीली मिट्टी के बरतन हैं कच्चे।।
-कमलसिंह चौहान
बाल दिवस का न्यारा दिन
Poem On Children’s Day
चौदह नवम्बर प्यारा दिन।
बाल दिवस का न्यारा दिन।
नेहरु जी का जन्म दिवस।
ये पर्व बढ़ाता जीवन रस।
प्रतियोगिताएं होती अनेक।
बढ़ाती सबसे कौशल विवेक।
मिल-जलुकर सब हँसते गाते।
सारे बच्चे खुशी मनाते।
प्यार खुशी का उत्सव यह।
सारे देश का गौरव यह।
-सुमेश निषाद
हम बच्चे
Bal Diwas Par Kavita
कभी नहीं डरते आँधी से,
हम बच्चे तूफान हैं।
सीना ताने, बढ़ते जाते,
अपनी मंजिल गढ़ते जाते।
कोई भी मुश्किल आ जाए,
साहस भरकर लड़ते जाते।
हर आफत हमसे घबराती,
हम इतने बलवान हैं।
हम बादल से दयावान हैं,
हम ऊँचे पर्वत जैसे।
इतनी विनयशीलता हममें,
विंध्याचल है नत जैसे।
तेज हवा में भी हँसते हम,
फूलों की मुस्कान हैं।
तितली जैसे रंग-बिरंगे,
भौरों-सा गुन-गुन करते।
इस धरती की फुलवारी में,
हम अपनी खुशियाँ भरते।
झूठ नहीं छू सकता हमको,
सच्चाई की आन हैं।
-सूर्यकुमार पांडेय
सुंदरवन में बाल दिवस
Bal Diwas Par Kavita
सुंदरवन के विद्यालय में,
बाल दिवस की थी तैयारी।
सूट-बूट में सभी सजे थे,
मुखड़े पर मुस्कान थी प्यारी।
मंच सजा था गुब्बारे से,
लगा था लाउडस्पीकर भी।
सभी जानवर आ पहुंचे थे,
सजकर आए सब टीचर भी।
मिस्टर हाथी थामे माइक,
जब संबोधन आरंभ किए।
नन्हे चीकू, लडू, बंदर,
सब आये दीपक-थाल लिए।
दीप जलाकर आयोजन का,
सबने फिर शुभारंभ किया।
कोयल गायी ईश वंदना,
शावक ने मिलकर डांस किया।
जंगल के पशुओं ने उस दिन,
लुत्फ उठाया आयोजन का।
चहक रहे थे सारे बच्चे,
मान बढ़ा था सुंदरवन का।
-रेखा भारती मिश्रा
अच्छे बच्चे
Poem On Children’s Day
अच्छे बच्चे जो होते हैं
आज्ञाकारी वो होते हैं,
मात-पिता का कहना माने
अच्छे बीज वही बोते हैं।
करते परिश्रम रात-दिन वो
व्यर्थ समय न कभी खोते हैं,
विनम्रता का बाना पहने
आदरभावी वो होते हैं।
करते सहायता सबकी वो
जो बड़े सहाई होते हैं,
नहीं किसी का करें अनादर
सबके ही प्यारे होते हैं।
-महेन्द्र सिंह शेखावत
चाचा नेहरु
Bal Diwas Par Kavita
गर बढ़ना जीवन में आगे,
आलस्य त्याग,
श्रम करना सीखो।
और संकल्प शक्ति से,
मनचाहे सपनों की,
इबारत लिखना सीखो।
बढ़ते रहो लक्ष्य की ओर,
लांघ लेना चाहे विराट,
समुद्र हो या मेरू।
दे गये यही संदेश सबको,
‘आराम हराम’ के प्रणेता,
बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु।
-डॉ. सेवा नन्दवाल
बचपन
Bal Diwas Poem In Hindi
फूलों सा महकता बचपन,
तारों सा चमकता बचपन।
इठलाता हँसता हुआ बचपन,
प्यारी हँसी खिलखिलाता बचपन।
सहगामी संग हँसी ठिठोली,
कितने रंग दिखाता बचपन।
कभी रूठना कभी मनाना,
सच्ची यारी निभाता बचपन।
चाँद तारे जमीं लाते बचपन,
मन को बहुत लुभाते बचपन।
बचपन कितनी प्यारी होती,
रंग बिरंगी सतरंगी बचपन।
विहंगों सा चहकता बचपन,
बासुंदी सा रसीला बचपन।
आँगन गूंजे किलकारी बचपन,
भोलापन सबका निराला बचपन।
-महेन्द्र साहू
प्यारे बच्चे
Poem On Bal Diwas
नन्हे-मुन्ने प्यारे बच्चे
सबको लगते अच्छे
जब मिलता संगत
दुलार का बैठे पंगत
मुस्कान बिखेरते चेहरे
छू मंतर यूं तनाव हरे
मीठी नटखट बातूने
बाल गोपाल की बातें
हर अदा मनमोहनी
सूरत उनकी सोहनी।
सूर्यदीप कुशवाहा
बच्चे मन के सच्चे
Bal Diwas Kavita
ये बच्चे मन के सच्चे
ये लगते हैं बड़े अच्छे.
ये उमर के रहते कच्चे
भोले-भाले हैं ये बच्चे.
ये होते हैं बड़े प्यारे
ये मा के राज दुलारे.
ये फूल से होते न्यारे
सबकी आंख के तारे.
इन्हें लोरी है बड़ा भाता
जन्मों से है इसी से नाता.
आनन्द इसी में है आता
सब कुछ है उसकी माता.
ये घर आँगन के रौनक
ये फूलों से मन मोहक.
इनकी आँखे सम्मोहक
ये होते हैं बड़े रोचक.
इनकी मीठी है किलकारी
इनकी बाते बड़ी निराली.
इनकी चाल है मतवाली
इनकी हँसी बड़ी निराली.
इन्हें खिलौने बड़े हैं भाते
ये खेलो में समय बिताते.
ये खिलौनो से बतियाते
इन्हें अपना दोस्त बनाते.
अशोक कुमार पटेल
मन के अच्छे होते हैं बच्चे
Bal Diwas Par Kavita
दिल से कोमल होते बच्चे,
खुशियाँ नित बढ़ाते बच्चे।
पिता के नयनों के तारे हैं,
माँ के बनें सहारा बच्चे।।
मिल जुलकर रहते हैं बच्चे,
खुश होते और हँसते बच्चे।
अपने में ही मगन हैं रहते,
दर्द किसी से न कहते बच्चे।।
हृदय इनका निर्मल होता,
रूई की भाँति होते बच्चे।
अपना नहीं पराया कोई,
सबसे हिल-मिल रहते बच्चे।।
मन के अच्छे होते हैं बच्चे,
धुन के पक्के होते हैं बच्चे।
दृढ़-संकल्पी होते हैं ये,
देश का भविष्य होते हैं बच्चे।।
नरेश कुमार निक्की
बच्चे अजब गजब
Bal Diwas Par Kavita Hindi Mein
हम बच्चे हैं अजब-गजब।
काम हमारे अजब-गजब।।
दिनभर करते रहते खटपट।
दौड़ें-भागें सरपट-सरपट।।
हल्ला-गुल्ला, धूम-धड़ाका।
खूब लगाते चौका-छक्का।।
इक-दूजे को देते धक्का।
कर दें सबको हक्का-बक्का।।
राजू पेड़ पर बैठा लटका।
पप्पू झाड़ी में जा अटका।।
मुन्नू ने चुन्नू को पटका।
माँ ने फिर डाँटा फटका।।
दिन भर खेलें, थकें नहीं हम।
सब कामों में आगे हरदम।।
अंजनी शर्मा
बच्चे
Poem On Children’s Day
फूलों सा महकेंगे,
चिड़ियों सा चहकेंगे।
हम भारत मां के बच्चे,
चांद सितारों सा चमकेंगे।
खेल खेल में करते हैं,
बड़ा-बड़ा दम भरते हैं।
काम कौन सा है बड़ा,
जो हम नहीं कर सकते हैं।
हम भारत के बच्चे हैं,
दिल दिमाग के सच्चे हैं।
निर्मल मन और सबल तन,
लेकर कितने अच्छे हैं।
प्यारे प्यारे राज दुलारे,
हम धरती के चांद सितारे।
अपनी मोहक मुस्कानों से ,
सौ सौ बल्ब हुए उजियारे।
रतनसिंह किरमोलिया
फूलों से मुस्काते
Poem On Children’s Day
जरा निकट से देखो बच्चे,
फूलों से मुस्काते।
ऊँच-नीच का भेद न जानें।
सारे जग को अपना मानें।
थोड़ा इनसे प्यार करो तो,
हँसते और हँसाते।
फूलों से मुस्काते।
इन बच्चों का हँसना कविता।
इन बच्चों का रोना कविता।
ये बच्चे कुछ भी करते हैं,
तो कविता बन जाते।
फूलों से मुस्काते।
इनका भोलापन कहता है,
बच्चों में ईश्वर रहता है।
केवल कविगण इनको समझे,
ये इनके मन भाते।
फूलों से मुस्काते।
जरा निकट से देखो बच्चे,
फूलों से मुस्काते।
डॉ. परशुराम शुक्ल
छोटे बच्चे
Bal Diwas Par Kavita
हमें न समझो तुम छोटे बच्चे
हम काम बड़ा कर सकते हैं
गरीब बेसहारों का सहारा बन
हम दुखियों के दुख हर सकते हैं
हम आज के बच्चे ही कल के पिता हैं
समाज की कुरीतियों को हटा सकते हैं
हम तो अपने देश के स्वर्णिम भविष्य हैं
यहां फैले कदाचार को मिटा सकते हैं
बड़े होकर गद्दारों को सबक सिखलाएंगे
दुश्मनों को हम उनकी औकात दिखलाएंगे
भारत मां की आंखों में आंसू ना आने देंगे
अन्याय एवं अत्याचार को यहां ना छाने देंगे
हम छोटे हैं पर हमारे हौसले बुलंद बड़े हैं
देश को उन्नति की राह ले जाने पे अड़े हैं
सही मार्गदर्शन मिले तो ऊंची उड़ान भर लेंगे
पुण्य पथ पर चलकर कठिन काम कर लेंगे
रीना गुप्ता
बीते बचपन
Bal Diwas Par Poem
कितना सुंदर होता बचपन।
खिल जाता था पूरा तन मन ।।
कुत्ते बिल्ली घर पर आते।
चुन्नू मुन्नू साथ खिलाते।।
पेड़ो को होती हरियाली।
चढ़ते उस पर डाली डाली।।
सुंदर दिखते बाग बगीचे।
बैठ खेलते बच्चे नीचे।।
बैलो की गाड़ी में चढ़ते।
आगे-आगे सब है बढ़ते ।।
खुला-खुला सा होता आंगन ।
कितना सुंदर होता बचपन।।
माँ आँगन चूल्हा सुलगाती।
भोजन उसमें रोज पकाती।।
साथ-साथ मिलकर है रहते।
कभी किसी से कुछ ना कहते।।
रंग-बिरंगे चिड़िया आती।
चीव-चींव की गीत सुनाती ।।
दौड़-दौड़ भौंरा भी आते।
पुष्प रसों को वह पी जाते।।
प्रिया देवांगन
बाल दिवस
Beautiful Poem On Children’s Day
बाल दिवस जब आता है तो
बच्चे खिल खिल जाते हैं,
चाचा नेहरू के जन्मदिवस को
खुश होकर खूब मनाते हैं।
नेहरू जी थे बच्चों को प्यारे
चाचा भी जान छिड़कते थे,
अपने बीच में उनको पाकर
गुलाब के जैसा महकते थे।
स्नेह प्यार का अटूट यह बंधन
अपने आप में एक मिसाल,
देश का भविष्य खुशहाल बने
यह सोचा करते चाचा महान।
ऊँच-नीच का भेद मत रखना
मिलजुल कर प्यार से रहना,
आओ बच्चों संकल्प करें हम
मानें चाचा नेहरू का कहना।
इंद्रजीत कौशिक
काश! कि हम बच्चे ही रहते
Short Poem On Children’s Day
काश! कि हम बच्चे ही रहते
सैर सपाटा करते दिन भर,
खूब नाचते, हँसते – गाते।
हँसी ठिठोली, आँख मिचौली,
ऊधम करते शोर मचाते
झूठ – मूठ के नाटक करते।
कभी मचलते, कभी चहकते,
मुस्कानों के फूल खिलाते।
कभी रूठते, रोते – हँसते,
मम्मी को भी खूब सताते
पापा से हम कुछ – कुछ डरते।
फुसला कर छोटी बहना को,
चोरी- चपरी टॉफी खाते।
बबलू, चिंटू, को दिखला कर,
मुँह बिचकाते, खूब चिढ़ाते
और किसी से कभी न डरते।
सुनाने को नित नई कहानी
दादी से हम जिद पर आते,
परियों जैसे पंख लगा कर।
चंदा – मामा के घर जाते,
स्वप्नलोक में विचरण करते।
काश! कि हम बच्चे ही रहते।
डॉ. कृष्णा कुमारी
वही कहानी
Poem On Children’s Day In Hindi
वही कहानी सबको कहती
जो बच्चों के मन को भाती,
जिससे मिलती उनको शिक्षा
वही कहानी उन्हें सुनाती।
गांधी, सुभाष, राजा-रानी
या प्रेरक बातें बतलाती,
जिसको बच्चे अपना लेते
वही कहानी उन्हें सुनाती।
मोबाइल से रहना दूर
यह बच्चों को मैं समझाती,
खेल-कूद से बनती सेहत
गुर यह उनको मैं बतलाती।
अव्वल नम्बर कक्षा में लाना
मैं मैथड़ उनको सिखलाती,
पर बने नहीं किताबी-कीड़ा
उनमें खेल की लगन जगाती।
साधना श्रीवास्तव
दीवाने
Bal Diwas Par Kavita
हम बच्चे हैं दीवानें
हम भोले हैं अंजने
कोई मेरी भी तो सुन लो
हम आये बात सुनने।
मम्मी भी डाट सुनाये
पापा भी रौब जमाये
भैया दीदी और चाचा
सब अपनी बात मनाये।
हम क्यों माने हम क्यों माने,
वो पहले मेरी माने
हम बच्चे है दीवानें
दादा जी हमें बुलाये।
सेहत का राज बताये
मुझको और दीदी को भी
हर दिन कसरत करवए
हम तो मानें हम तो मानें।
बस बात उन्हीं की मानें
हम बच्चे हैं दीवानें।
पद्मा झा
बच्चों की आवाज
Bal Diwas Par Kavita
बचपन ना छीनो हम बच्चों को,
हम भी आगे जा सकते हैं
दे दो मौका मुझे पढ़ने का
पढ़-लिखकर देशसेवा करने का,
हमें बनने दो किसी गुरु का शिष्य ,
जुड़ा है देश का भविष्य मुझसे,
नन्हे हाथों में दे दो कलम
लोगों ने पकङाया मुझे औजार ।
खेलने कूदने के उम्र में ना करो,
तुम मुझपर अत्याचार ।
अगर ऐसे फैलेगी अशिक्षा ,
मांगेंगे सङक किनारे भीक्षा।
देश हो जाएगा तब गरीब
बताओ ! कैसे चमकेगा
अब, भारत माता का नसीब।
वीणा कुमारी
आँखों का तारा
Bal Diwas Par Poem
बनना है आँखों का तारा,
काम करेंगे प्यारा-प्यारा।
नहीं बड़ों को आँख दिखाना,
चिड़ियों को देना तुम दाना,
कभी फेंकना मत तुम खाना,
सदा सफलता को अपनाना,
खुशियों का सब खोल पिटारा,
काम करेंगे प्यारा-प्यारा,
अपना उल्लू सीधा करना,
छल से अपनी पेटी भरना,
ये सब काम कभी मत करना,
सदा धैर्य से आगे बढ़ना,
सच्चाई की बनकर धारा,
काम करेंगे प्यारा-प्यारा,
काला अक्षर भैंस बराबर,
आस्तीन का साँप सरासर,
करें दाल में हरदम काला,
इन पर जड़ना होगा ताला,
जग का होगा सुखद नज़ारा,
काम करेंगे प्यारा-प्यारा,
रण से नौ-दो-ग्यारह होना,
कायर बनकर कभी न रोना,
दीन-हीन को राह दिखाना,
संयम साहस को अपनाना,
सबका बनना एक सहारा,
काम करेंगे प्यारा-प्यारा,
वेधा सिंह
ऐ! मेरे प्यारे बच्चों
Poem On Bal Diwas
ऐ! मेरे प्यारे बच्चों,
तुम हो भविष्य भारत के।
ऐ! मेरे दुलारे बच्चों,
तुम ही हो ताज वतन के।
तुम रखना तिरंगा ऊँचा,
तुम रखना झंडा ऊँचा।
लहराना इसको हरदम,
चाहे निकलता हो दम।
संस्कृति अमर तुम रखना,
है यह पहचान हमारी।
उन्नति से भरना खजाना,
जिसे जाने दुनिया सारी।
रहे कोई न ऊँचा-न-नीचा,
तुम भेद सभी यह मिटाना।
भष्टाचार, धमाका, महँगाई,
तुम इनको जड़ से मिटाना।
हो सच्चाई पहचान तुम्हारी,
जिस पर गर्वित हो यह जमाना।
ना झुकना अधर्म के आगे,
तुम धर्म का पताका फहराना।
जिए शान से भारतवासी,
सम्मान में झुके जमाना।
माँ, बेटी, बहू, बहन तुम,
इनको दर्जा दिलाना।
रहे फर्ज हमेशा ऊपर,
इसे दर्द में नहीं बुलाना।
जान देनी पड़े तो क्या फिर,
धरती माँ का कर्ज चुकाना।
हमने पाई है ऊँचाई,
तुम इसकी सीमा बढ़ाना।
आकाश छुआ है हमने,
तुम उससे आगे जाना।
ऐ! मेरे प्यारे बच्चों तुम हो,
भविष्य भारत के।
ऐ मेरे दुलारे बच्चों,
तुम ही हो ताज वतन के।
संगीता पांडेय ‘हिंदुस्तानी’
चाचा नेहरू
Poem On Bal Diwas
बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू का
जन्मदिन बाल दिवस है।
हम बच्चों की चंचलता पर,
कहां चलता किसी का बस है।
सैर-सपाटा, खेल-खिलौने,
हमको बहुत ही भाते हैं।
यही सोचते दिन बचपन के,
पंख लगा क्यों उड़ जाते हैं?
यही कह रहे चाचा नेहरू,
यही हमें दे रहे हैं टास्क।
बच्चों खूब खेलो-कूदो तुम,
पर भूल न जाना लगाना मास्क।
अतिक्ष जैन
बाल दिवस
Bal Diwas Par Kavita In Hindi
बाल दिवस है प्यारे बच्चो,
तुम्हें बधाई मन से।
भरकर रखना अपनी दुनिया,
निश्छल अपनेपन से।।
सदा खिलो तुम पुष्पों जैसा,
नभ जैसा यश फैले।
पंथ कठिन है, चलो सँभलकर,
भाव न हों बस मैले ।।
क्या अच्छा है और बुरा क्या
इसका ज्ञान तुम्हें हो।
अच्छे और बुरे स्पर्शों की
पहचान तुम्हें हो।।
अच्छे और बुरे लोगों का
अंतर तुम्हें पता हो।
करे परेशाँन तुमको कोई,
झट यह बात बता दो।।
कोरोना के बाद हाँ अब
फिर विद्यालय जाना है।
सावधान हम रहें हमें
यह खुद को समझाना है।।
मास्क पहनना, दो ग़ज़ दूरी,
रखना साफ़-सफ़ाई।
ये बातें कोविड के युग में
सबसे बड़ी दवाई।।
अबे-तबे से प्यारे बच्चो
बात नहीं तुम करना ।
मन के शब्दकोश में
पावन शब्द हमेशा भरना ।।
कमरे औ मोबाइल तक
यह बचपन सिमट न जाए।
खेले-कूदे हर इक बच्चा
सेहतमंद कहाए।।
आभासी दुनिया है झूठी,
असली दुनिया जानो।
लंबी फ्रैंड लिस्ट से पहले,
अपना घर पहचानो।।
घंटों डिजिटल गेम
खेल न समय गँवाया जाए।
घर का समय अगर घर को दो
घर खिल-खिल मुस्काए ।।
ध्यान न भटके रहे
लक्ष्य पर नित बढ़ते जाओगे।
ऐसा करके जीवन में
तुम कभी न पछताओगे।।
तुमपर है विश्वास दी गई
सीख सदा मानोगे।
बदले-बदले युग में
अपना बचपन पहचानोगे।।
डॉ. विनोद ‘प्रसून’
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