Poem On Bee In Hindi :- आज के पोस्ट में मधुमक्खी रानी पर सुंदर कविता आपके साथ साझा किया गया हैं। यह कविता पसंद आएं तो दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें। धन्यवाद!!!
मधुमक्खी
Poem On Bee In Hindi
बाग-बाग मैं मड़राती हूँ,
मधुमक्खी मैं कहलाती हूँ।
रंगबिरंगे फूल मुझे प्रिय,
उनका रस मेरा आहार।
मैं नुकसान न पहुँचाती हूँ,
मन से प्रकट करूं आभार।
फूल-फूल का रस लाती हूँ,
रस को रखती हँ छत्तों में।
जिसको नन्हे -मुन्ने पीते,
शहद तो मुझको भी भाता है।
छत्तों में हर मौसम बीते,
श्रम से शहद बना पाती हूँ।
शहद बड़ा पौष्टिक गुणकारी,
इसका मीठा-मीठा स्वाद।
मधुमक्खी-पालन का धंधा,
जो करता, होता आबाद।
मंत्र धनार्जन बतलाती हूँ,
मधुमक्खी मैं कहलाती हूँ।
-गौरीशंकर वैश्य विनम्र
प्रकृति का नन्हा मेहमान
Poem On Bee In Hindi
आसमान से देखो धरती पर,
प्रकृति का नन्हा मेहमान आया.
भिन्न -भिन्न करते आया,
ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर।
ऊंचे भवन इमारतों पर छाया
प्रकृति का नन्हा मेहमान आया।
लाखों की संख्या में वे रहते,
जहां रहते साथ में वे रहते।
तरह-तरह के घर बनाते रहते,
कभी समतल तो कभी लंबी टीला।
अलग-अलग झुंड में वे रहते,
कभी सब हो जाते एक झुंड में।
प्रकृति का नन्हा मेहमान आया,
भिन्न-भिन्न करते आया।
भवर, सारंग और मधमक्खी,
कई नामों से उसे पुकारते।
कुछ ना करो तो वो रहता मतवाला,
अगर उसको करो छेड़खानी तो,
झुंड में टूट पड़ते और देते डंक से सबक।
प्रकृति का नन्हा मेहमान आया,
मीठे-मीठे शहद, मधुरस वह हमें दे जाता,
प्रकृति का नन्हा मेहमान देखो आया।
-वसुंधरा कुर्रे