Today Here we have the best collection of Hindi Peacock Poems in Hindi. These Poems are written by Famous Hindi Poets. So please share this Poem on peacocks in Hindi.
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह देखने में पक्षियों की तुलना में बहुत ही सुन्दर लगता है। अपने चमकिली पंखों के कारण यह बड़ा ही सुन्दर और आकर्षक होता है। आज यहां हमारे पास भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर पर सुंदर कविता हिंदी में सबसे अच्छा संग्रह उपलब्ध है।
अक्सर छोटे बच्चों छुट्टी के समय या गृह कार्य के लिए स्कूल या विद्यालय में राष्ट्रीय पक्षी मोर पर कविता लिखने के लिए दिया जाता है। आप इन कविताओं को आनंदित होकर पढ़ें और साथ ही अपने दोस्तों के साथ भी इसे साझा अवश्य करें, उनके भी इस बारे में जानकारी प्राप्त हो सकें। धन्यवाद !!!
मोर
Poem On Peacock
प्यारे बच्चों देखो मोर। सुबह डाल पर करता शोर।। लम्बे इसके कितने बाल। उड़ कर पार करे दीवाल।।
कहते लोग सर्प है खाता। दानों से भी नेह लगाता।। बादल देख मुदित हो जाता। फिर सबको वह नाच दिखाता।।
चमकीली है उसकी काया। प्रकृति की वह अद्भुत माया।। सुन्दर मुकुट शीश पर भाता। बच्चों को वह खूब सुहाता।। |
-डॉ. राम प्यारे प्रजापति
मोर
Poem On Peacock
घोर घटा जब नभ में छाये, अंधकार छा जाता है। बादल गरजे बिजली कड़के, मोर नाचने आता है।।
जंगल में यह दृश्य देखकर, मन मयूर खिल जाता है। खुश हो जाते जीव जंतु सब, भौंरा गाने गाता है।।
पंखो को फैलाये ऐसे, जैसे चाँद सितारे हों। आसमान पर फैले जैसे, टिम टिम करते तारें हों।। |
-महेन्द्र देवांगन
पंख पसारे मोर
Poem On Peacocks
नील गगन में काले बादल, रिमझिम जल बरसाते बादल। तड़-तड़ कर बिजली है चमके, कितना अच्छा नाचे मोर।
रंग बिरंगे पर फैलाकर, सब मित्रों को पास बुलाकर। झूम -झूम कर नाचे मोर, देख रहे है चुन्नी मुन्नी, मचा मचा कर कितना शोर। |
-अंजूलता भास्कर
मोर
Poem On Peacock In Hindi
जब बादल छा जाते हैं, मोर पंख फैलाते हैं। झूम झूम बादल संग ही, सुंदर नाच दिखाते हैं।
टिप टिप बूंदें जब पड़ती, ठुमक ठुमक लहराते हैं। कभी पेड़, कभी डाल पर, गीत खुशी के गाते हैं।
नीले रंग के भाते मोर, हरे पंख फैलाते मोर। सिर पर सुंदर कलगी लेके, सबके मन को भाते मोर।
कृष्ण मुकुट शोभा कभी, कभी सवारी शारदा मोर। अपनी सुंदरता के कारण, राष्ट्रीय पक्षी कहलाते मोर। |
-अनुज शर्मा
मोर
Hindi Poem On Peacock
झम झम झम वर्षा घनघोर, छम छम छम छम नाचे मोर। खोले पंख आकाश खुले में, ठुमक ठुमक चलता हर ओर।
चहक चहक के नाच दिखाता, मद्धम मद्धम करता शोर। इंद्रधनुष सा पंख फैलाता, लगता दिखने में चितचोर।
नीली लम्बी गर्दन मोर की, उस पर बिंदी सोने कण की। कलगी सुंदर सर लगी मोर की, भरती सुंदरता दुनिया भर की।
जितना सुंदर पंख मोर का, मोहक उतना नहीं किसी का। चंद्रमा पंख पर इसके विराजे, कृष्ण मुकुट पंख मोर का साजे।
शिवपुत्र कार्तिकेय का ये वाहन, भाता मोर को बरसता सावन। छाते जब जंगल में बादल, संग मोर झूमे सब जंगल।
हाथों में सत्ता की डोर, इसकी महत्ता चारों ओर। पक्षियों का राजा कहलाता, राष्ट्रीय पक्षी कहलाता मोर। |
-समृद्धि सिन्हा
राष्ट्रीय पक्षी मोर
Poem On Peacock In Hindi
किस कदर सुन्दर मनोहर, लगता है ये मोर। गगन में घन देख कर, नाच उठता है मोर।।
इसके मस्तक पर, सुसज्जित कलगी प्यारी। इसके परों की आभा, भी कितनी निराली।।
अपने मुकुट में प्रभु भी, सजाते हैं इसका पंख। राजा इसकी आकृति का, बनवाते हैं सिंहासन।।
कें, कें करके गुंजरित, करता है ये वन। इसकी शोभा से सुशोभित, होते हैं उपवन।।
कीट, सर्प, फल-फूल, का है मोर पक्षी। मोर भारत का बना है, राष्ट्रीय पक्षी।। |
-रेनू भटनागर
मोर
Poem On Peacock
प्यारे बच्चों देखो मोर। सुबह डाल पर करता शोर।। लम्बे इसके कितने बाल। उड़ कर पार करे दीवाल।।
कहते लोग सर्प है खाता। दानों से भी नेह लगाता।। बादल देख मुदित हो जाता। फिर सबको वह नाच दिखाता।।
चमकीली है उसकी काया। प्रकृति की वह अद्भुत माया।। सुन्दर मुकुट शीश पर भाता। बच्चों को वह खूब सुहाता।। |
-डॉ. राम प्यारे प्रजापति
मोर
Poem On Peacock In Hindi
कितना अच्छा लगता मोर, पंख उठाकर नचता मोर। जब जब बादल गर्जन करते, कुहू कुहू चिल्लाता मोर।
रंग बिरंगे पंखों वाला, कितना सुंदर सजता मोर। बाग बगीचों में रहता है, खेतों ऊपर उड़ता मोर।
अपना सिर पर धारण करता, जो है प्यारा माखन चोर। कितना अनुपम कितना सुंदर, राष्ट्रीय पक्षी है मोर। |
-कुंवर वीर सिंह
प्यारा लगता मोर
Poem On Peacock
बहुत ही प्यारा लगता मोर, मन को खींच ले अपनी ओर। लंबे-लंबे हैं उसके पंख, जो होते हैं रंग-बिरंगी।
सिर पर होता मुकुट सा मौर, मन को खींच ले अपनी ओर। जब-जब काले बादल छाते, खुद को फिर वे रोक न पाते।
नाचता है, हो भाव विभोर, मन को खींच ले अपनी ओर। पीहू-पीहू की गीत वो गाता, मोहक सरगम सुर सजाता।
फिर थम जाता जंगल का शोर, मन को खींच ले अपनी ओर। |
-जीवन चन्द्राकर
आये मोर थिरकने के दिन
Poem On Peacock In Hindi
आये मेघा बरसने के दिन, सोयी धरती जगने के दिन। लो फिर आये आसमान का इंद्रधनुष से सजने के दिन।
जंगल में मंगल होता अब आये मोर थिरकने के दिन। खेतों में फसलों के आये पुनः परचम लहरने के दिन। |
-केशव दिव्य
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