A beautiful Stories In Hindi Jadui Ghada Aur Bhoot Ki Kahani | जादूई घड़ा और भूत की कहानी हिंदी में
आज के इस पोस्ट में पंचतंत्र पर आधारित शिक्षाप्रद छोटी सी कहानी प्रस्तुत की गई है जो हमें पढ़ने के साथ साथ नैतिक सीख भी प्रदान करती हैं। नैतिक कहानियां की बात की जाए तो छोटे बच्चे हमेशा पढ़ने के लिए उत्सुक रहते हैं। वे जानते हैं कि यह एक ऐसी शिक्षा है। जिसमें नैतिक ज्ञान के साथ साथ मनोरंजन और रोमांचक जैसी बातों का उल्लेख किया जाता है। जिससे आए दिन उनके सोचने और समझने की शक्ति भी तीव्र होती हैं।
जादूई घड़ा और भूत
Jadui Ghada Aur Bhoot
एक गांव में सड़क के किनारे एक बहुत ही ऊंचा बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर दो जुड़वां भूत रहते थे एक भूत बहुत ही अच्छा था और दूसरा भूत बहुत ही शरारती था। अच्छा वाला भूत नेक और दयालु था। वह हमेशा लोगों की भलाई करता रहता था दूसरा भूत उसके ठीक विपरीत था। वह लोगों को परेशान करता था साथ ही साथ नुकसान भी करता था। पास में एक गांव चुनावगढ़ था। उस गांव में दो तरह के लोग रहते थे। एक बहुत ही अमीर और दूसरे बहुत ही गरीब थे।
एक सेठ वहां का सबसे अमीर व्यक्ति था। वह बहुत ही धूर्त, अत्याचारी, बेईमानी और लालची था। वह गरीब लोगों को कर्ज देता था। उनसे बहुत ही ऊंची दर पर ब्याज वसुल करता था। सब गरीब उसके कर्ज के तले दबें हुए थे।
एक दिन सेठ और उसका नौकर गांव में भ्रमण करने के लिए निकल पड़े। उसी गांव में एक गरीब आदमी केशव नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह भी बेईमान सेठ के कर्ज के बोझ के तले दबा हुआ था।
बेईमान सेठ उसके घर के समीप पहुंच कर जोर-जोर से चिल्लाने लग जाते हैं, वो कहते है कि ” अरे केशव बाहर निकल और मेरा सारा ब्याज का पैसा चल लौटाओ।
केशव रोते हुए घर से बाहर निकल कर आता है, और सेठ जी से गिरगिराते हुए कहता है कि मालिक बस मुझे तीन-चार दिन का ओर समय दे दिजिए। मैं आपका सारा ब्याज का कर्ज वापस कर दूंगा।
सेठ ने कहा नहीं मैं तेरा यह बात नहीं मानूंगा और मैं तुम्हारी बंधी हुई गाय को लेकर जा रहा हूं। जब तुम्हारे पास पैसा आए तो मुझे वापस कर देना और अपना गाय लेते जाना। केशव विनती करता रहा लेकिन सेठ ने उसकी एक बात न सुनी और केशव की गाय हांकते हुए ले गए।
कुछ समय के पश्चात एक दिन केशव भूतों वाले पेड़ के किनारे से गुजर रहा था। जब वह पेड़ के समीप पहुंचा तब उसे अचानक पेड़ से चिखने-चिल्लाने की आवाज सुनाई पड़ी। वह पेड़ की तरफ देखने लगा, अब आवाज भी बंद हो चुकी थी। फिर से किसी ने केशव के पीछे से धोती खींच ली। केशव ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई भी नहीं था।
वह डर के मारे कांपने लग जाता है और जल्दी-जल्दी आगे की तरफ बढ़ने लग जाता हैं। अचानक से उसके सामने एक बहुत ही बड़ा खूंखार भेड़िया आ जाता हैं। उसने अपनी लाठी से जैसे ही मारना चाहा तो वह अचानक से गायब हो जाता हैं। केशव जैसे ही पीछे मुड़कर देखता है तो पेड़ पर एक भूत बड़ी-बड़ी आंख भाड़ कर उसे ही देख रहा था।
केशव बुरी तरह से डर जाता है और वह किसी तरह से घर पहुंचता है। घर में वह एक घटियें पर किसी तरह से जा गिर पड़ता है।
यह सब घटना को देखकर उसे बहुत ही तेज बुखार आ जाता हैं। हालांकि केशव के परिवार में वह केवल अकेला ही था। उसका जीगरी दोस्त माधव उसके घटियें के समीप बैठ जाता हैं।
माधव कहता है कि मित्र तुम चिंता मत करो। में अभी चुनचुनपुर गांव से वेध जी से दवा लेकर आ रहा हूं। उनका दवा खाते ही तुम दौड़ने लग जाओगे। इतना कहकर माधव गांव के वेध जी के पास चला जाता हैं।
वह उदास मन से सोचते हुए उसी भूतिया पेड़ के नीचे से गुजर रहा था।
भूतिया पेड़ ने कहा कि क्या बात है भाई तुम बहुत ही उदास लग रहे हो?
माधव यह आवाज सुनकर इधर उधर देखने लग जाता है वह सोचने लग जाता है कि यह आवाज किधर से आ रही हैं।
पेड़ पर बैठा भूत ने कहा कि, ” डरो मत भाई मैं तुम्हें मदद करना चाहता हूं।” मैं एक ईमानदार और नेक भूत हूं। ठीक ठीक से बताओ तुम्हें क्या परेशानी है।
माधव ने राहत की सांस ली और अपनी परेशानी पेड़ पर बैठा भूत को बताने लगता है। कहता है कि क्या बताऊं मेरा प्रिय मित्र केशव कुछ समय पहले ही यहां से गुजरते हुए इस रास्ते से घर जा रहा था। उसे कुछ भयानक अजीबो गरीब आवाज और चीखें सुनाई पड़ रहा था। फिर उसे अचानक एक खूंखार भेड़िया दिखाई पड़ा जो कुछ समय के पश्चात गायब हो गया। फिर माधव ने जैसे ही पीछे मुड़ा तो आपको देख लिया और वह तुरंत घर जाकर घटियें पर जा गिरा तब से वह बिमार हो गया। इसीलिए मैं अपने दोस्त माधव को जान बचाने के लिए वेध जी के पास जा रहा हूं।
अच्छा वाला भूत माधव की बात सुन रहा था और उसने कहा कि माधव वह में नहीं था बल्कि वह मेरा जुड़वा भाई था। वह बहुत ही शरारती है। वह राह में आने और जाने वाले लोगों को इसी तरह से परेशान करता रहता है। तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे दोस्त की रक्षा करता हूं।
अच्छा वाला भूत ने अपने हाथ को जैसे ही आगे किया तो उसके हाथ में एक जादू की बूटी प्रकट हो जाता है। उसे माधव को देते हुए कहता हैं कि इसे तुम लो और अपने दोस्त केशव को खिला देना। वह तुरंत ठीक हो जाएगा। इतना सुनकर ही माधव जादूई बूटी को लेकर अपने दोस्त के घर चला जाता है।
माधव ने जैसे ही जादुई बूटी को अपने दोस्त के मुंह में खिलाया तो तुरंत ही स्वस्थ होकर बैठ गया। उसे देखने में ऐसा प्रतीत ही नहीं हो रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है। वह माधव को देखकर बहुत ही खुश हुआ और कुछ समय गपशप करने के बाद वह जंगल की तरफ लकड़ियां काटने के लिए चला जाता है। वह नित्य प्रति दिन लकड़ी काट कर बाजार में बेच दिया करता था।
एक दिन की बात है। केशव जंगल से लकड़ियां काटकर घर की तरफ लौट रहा था। दोपहर का समय था। भूख-प्यास के कारण उसे चलना भी कठिन लग रहा था। वह रास्ते में पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा। वह जिस पेड़ के नीचे आराम कर रहा था वह वही भूतिया वाला पेड़ था।
उसके सामने एक भूत चिल्लाते हुए प्रकट हो जाता हैं। उसे देखकर केशव डर के मारे कांपने लग जाता है। वह कहने लग जाता है कि मुझे माफ कर दो। भूत भाई मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं। मैं एक दिन भी न कमाऊं तो सुख से रोटी भी नहीं खा सकता। मुझे माफ़ कर दिजिए कल से मैं यहां कभी भी दोबारा नहीं आऊंगा।
भूत ने कहा- अरे भाई मुझसे डरो मत। मैं वह नहीं जो तुम समझ रहे हो। मैं एक ईमानदार भूत हूं। मैं तुम्हें मदद करना चाहता हूं। तुम मुझ पर विश्वास कर सकते हों।
केशव शांत अवस्था में भूत से पूछने लग जाता है कि आप मेरी मदद क्यों करना चाहते हों।
भूत कहता है कि तुम एक सच्चे और ईमानदार इंसान हो। इतना कहने के पश्चात अच्छे वाले भूत ने केशव को एक जादुई घड़ा देता है। फिर दोबारा भूत कहा कि तुम इसे घर लेकर जाओ और सदैव ही इसे अपने पास रखना। यह तुम्हें प्रतिदिन ही 10 सोने के सिक्के देगा। इस सोने से सिक्के से अपना और दूसरों लोगों को भी मदद करना।
केशव वह जादूई घड़ा लेकर अपने घर की ओर चला जाता हैं। उस दिन से केशव अपना और दूसरों लोगों का भी मदद करने लग गया। बाद में केशव गांव के अमीर व्यक्तियों की श्रेणी में आ गया। और उसके साथ साथ गांव के गरीब व्यक्ति भी अच्छा जीवन बिताने लग गए।
यह बात सेठ जी को ज़रा सा भी पसंद नहीं आया। आखिर केशव को क्या प्राप्त हुआ है जिससे की यह इतना अमीर व्यक्ति बन गया। सेठ जी को पता लगाने पर यह ज्ञात हुआ कि यह सब उस पेड़ पर रहने वाले भूत की देन है।
सेठ जी ने भी उसी तरह से पुराने फटे हुए कपड़े पहन कर उसी भूतिया पेड़ के पास पहुंच गए। वहा पर पेड़ के नीचे बैठकर भूत का इंतजार करने लग गए।
कुछ क्षण व्यतित हुआ हि नहीं बुरे वाले भूत ने अपना चमत्कार दिखाना शुरू कर दिया। रह रह कर अजीबो ग़रीब आवाजें सुनाई पड़ना। बीच बीच में डरावनी चीखें भी सुनाई पड़ रहा था। यह सब सुनकर सेठ जी डरे नहीं बल्कि वे अपने लालच के कारण यहां पर आएं हुए थे। वे जानते थे कि केशव की तरह भूत भी मेरा मदद करेगा।
जब सेठ जी खड़े हुए तो उनका अचानक से किसी ने पीछे से धोती पकड़ ली। जब पीछे मुड़कर देखा तो एक भूत उनका धोती पकड़ा हुआ था। सेठ जी ने कहा कि भूत भाई में बहुत ही गरीब आदमी हूं। मेरे पास कुछ खाने के लिए पैसे नहीं हैं।मेरी गरीबी को दूर करने के लिए कोई उपाय बताएंये।
अच्छा वाला भूत प्रकट होता है और सेठ जी को घुर घुर देखते हुए कहता है कि सेठ तुम ग़रीबों का खुन चुसकर पैसा इकट्ठा करते हो और अपने आप को गरीब कहते हो। तुम्हें शर्म नहीं आता। तुम पैसे से अमीर हो लेकिन दिल से बहुत गरीब हो। चलों जाओ यहां से नहीं तो वरना जान से हाथ धो बैठेंगे।
यह बात सुनकर सेठ जी धोती संभालते हुए भाग खड़े हो जाते हैं। और रास्ते में ठोकर खाकर एक दल-दल में गिर जाते हैं। यह दृश्य देखकर दोनों जुड़वां भूत बहुत ही खुश होते हैं।
नैतिक शिक्षा : – इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि मेहनत का फल मीठा होता है। और बेईमान का बुरा हाल होता है।
मुझे आशा है कि मेरे द्वारा लिखा हुआ यह Jadui Ghada Aur Bhoot Ki Kahani आप सभी को जरूर पसंद आई होगी । आप सभी बच्चों के लिए कुछ नई सीख भी मिली होगी।
आप सभी को यह मन का विचार प्रेरणादायक पर आधारित नैतिक कहानी कैसी लगी हमें नीचे के Comments Box में लिखकर जरूर बताए |