कर्म का फल | Karm Ka Phal Story In Hindi

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Karm Ka Phal Story In Hindi :- राजा देवशक्ति का एक ही पुत्र था। उसके पेट में एक सर्प रहता था, इसी कारण राजपुत्र एकदम क्षीणकाय हो गया था। हरदम पीड़ित रहता। अनेक श्रेष्ठ वैद्यों से उसकी चिकित्सा कराई गई, फिर भी वह स्वस्थ नहीं हुआ।

निराशा से खिन्न राजपुत्र एक दिन भवन छोड़कर चुपके से निकल पड़ा और और घूमता- भटकता किसी दूसरे राज्य में आ पहुंचा। वह भिक्षा मांग कर पेट भर लेता और एक मंदिर में सो जाता।

उस राज्य के राजा का नाम बलि था। उसकी दो पुत्रियां थीं। वे प्रतिदिन सुबह पिता को प्रणाम करतीं। प्रणाम करने के बाद उनसे एक कहती-महाराज की जय हो, जिससे हम सब सुख रहें। दूसरी कहती-महाराज, आपको आपके कर्मों का फल अवश्य मिले।

राजा बलि दूसरी बेटी के कटु वचन सुनकर बहुत क्रोधित होता था। एक दिन उसने मंत्रियों को आदेश दिया- कटु वचन बोलने वाली मेरी इस पुत्री को किसी परदेसी से ब्याह दो, जिससे यह अपने कर्म का फल भुगते।

मंत्रियों ने मंदिर में रहने वाले उसी भिखारी राजकुमार के साथ उस राजकुमारी का विवाह करा दिया। राजकुमारी संयोग से प्राप्त होने वाले उस रोगी पति के कारण जरा भी दुखी नहीं हुई। वह प्रसन्नता के साथ पति की सेवा करती हुई वहां रहने लगी। फिर कुछ दिन बाद वह पति को साथ लेकर दूसरे राज्य में चली गई।

एक बार राजकुमार सिर जमीन पर ही टिकाकर सो गया। वह सो रहा था तो उसके पेट में रहने वाला सर्प उसके मुख से बाहर निकलकर हवा खाने लगा।

उस बीच पास की ही बांबी में रहने वाला सांप भी बिल से बाहर निकल आया। उसने पेट में रहने वाले सांप को झिड़कते हुए कहा – तू तो महादुष्ट है, जो इस सुंदर राजकुमार को इतने दिनों से पीड़ित कर रहा है।

पेट में रहने वाले सांप ने कहा और तू कौन-सा बहुत भला है? अपनी तो देख, तूने अपनी बांबी में सोने से भरे दो-दो कलश छिपा रखे हैं। कभी किसी को लेने नहीं देता है।

बांबी वाले सर्प ने कहा – क्या कोई इस उपाय को नहीं जानता कि राजकुमार को पुरानी राई की कांजी पिलाई जाए तो तू तुरंत मर जाएगा। तब पेट में रहने वाले सांप ने भी उसका भेद खोल दिया तुम्हारी बांबी में खौलता तेल या पानी डालकर तेरा वध किया जा सकता है- ये तू क्यों भूलता है?

राजकुमारी वहां लौट आई थी और वहीं छिपकर दोनों सांपों की बातें सुन रही थी। उन दोनों के बताए हुए उपायों से उन दोनों का ही नाश कर दिया। पेट वाले सांप के मरते ही राजकुमार स्वस्थ हो गया।

फिर बांबी में से गँड़े धन को निकालकर वह वापस अपने राज्य में चली गई और अपने स्वस्थ-सुंदर पति के साथ सुख से रहने लगी। -सक्षम

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