कठोर और सहनशील | Kathor Aur Sahanashil Story In Hindi

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Kathor Aur Sahanashil Story In Hindi :- आश्रम के गुरुजी जो कि बहुत बुढ़े हो चुके थे, एक बार इतने बीमार पड़े कि उनके बचने की कोई उम्मीद नहीं रही। जब उन्हें लगा कि उनका अंतिम समय आ गया तो उन्होंने अपने सभी विद्यार्थियों को अपने पास बुलाया।

विद्यार्थियों ने गुरुजी के पास इकट्ठा होकर कहा, ‘हमारे लिए क्या आदेश है गुरुवर?

”गुरुजी बोले, ‘तुम सभी मेरे मुंह के अंदर झांको, देखो और बताओ कि तुम्हें क्या नजर आता है?’ कहकर उन्होंने अपना मुंह पूरी तरह खोल दिया। गुरुजी की आज्ञा से हतप्रभ हुए सभी विद्यार्थियों ने उनके मुंह के अंदर झांकना प्रारंभ किया।

बीच-बीच में एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। “क्या दिखाई दिया?’ गुरुजी ने पूछा। सभी विद्यार्थियों को मुंह में जीभ के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया।

उनमें से एक ने उत्तर दिया, ‘जीभ दिखाई दी गुरुजी। ‘ठीक कहते हो, मगर दांत कहां गए?” विद्यार्थी गुरुजी के प्रश्न का उत्तर नहीं दे सके और एक- दूसरे का मुंह ताकने लगे।

गुरुजी कोशिश करके उठ बैठे। बोले, ‘दांत क्रूर और कठोर थे, इसलिए शीघ्रता से नष्ट हो गए। जीभ कोमल और सहनशील होती है,

अतः उम्र के आखिरी समय में भी जीवित रहकर अपना काम कर रही है। कोमलता और सहनशीलता आदमी का उम्र भर साथ देती है। यह हमेशा याद रखना।

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