रहस्यमयी गोलबट्टा | Rahasyamayi Golbatta Story In Hindi

5/5 - (1 vote)

Rahasyamayi Golbatta Story In Hindi :- सैंकड़ों वर्ष पूर्व बर्मा के एक गाँव में एक बुढ़िया रहा करती थी। उसके बेटे-बहू अकाल मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे, पर रामन और सामन नाम के दो पोते थे।

मरने के समय उसने दोनों पोतो को बुलाकर कहा, ‘बेटा, मेरे पास सोना-चांदी तो है नहीं, हाँ रसोईघर में एक सिल और एक गोलबट्टा है। बेटा रामन, तुम सिल ले लो और छोटा सामन गोलबट्टा ले ले। इन दोनों से तुम अपने दिन आराम से गुजारो।’ यह कहकर बुढ़िया ने प्राण त्याग दिये।

”मुझे सिल का क्या करना है? मैं रसोई बनाकर जिऊँ ?’ यह सोचकर बड़ा रामन पास के गाँव में गया और बड़ी लगन से मेहनत करता हुआ अपना समय गुजारने लगा।

इधर छोटे भाई सामन ने सोचा, ‘गोलबट्टे का कोई उपयोग न होता तो इसे दादी मुझे क्यों देती?

‘यह विचार कर वह गोलबट्टे को सदा अपने पास रखता। सामन जहाँ भी जाता, गोल बट्टे को अपने साथ ले जाता। सामन अपने गुजारे के लिए प्रतिदिन जंगल में जाता, सूखी लकड़ियाँ बीनकर गाँववालों को बेच देता और अपना पेट भरता।

एक दिन सामन जंगल में लकड़ी बीन रहा था, तब एक बहुत बड़ा भेड़िया उसकी तरफ आ निकला। सामन घबराकर पास के एक वृक्ष पर चढ़ गया। तुम डरो मत! मैं तुम्हारी हानि करने के लिए यहाँं नहीं आया हूँ। तुम्हारे पास जो एक गोल बट्टा है, उसे कुछ देर के लिए मुझे दे दो, मेरा साथी एक भेड़िया कुछ देर पहले मर गया है।

यदि हम उस गोलबट्टे को उसके नथुनों में सुंघवा देंगे, तो वह जीवित हो जायेगा।’ भेड़िया बोला। ‘क्या मेरे गोलबट्टे में सचमुच ऐसी अद्भुत महिमा है ?’ सामने ने पूछा “तुम गोलबट्टा लेकर मेरे साथ चलो। तुम्हें स्वयं मालूम हो जायेगा।

Rahasyamayi Golbatta Story In Hindi

भेड़िये की बात सुनकर सामन का कुतूहल जाग उठा। वह पेड़ से उतर कर भेड़िये के साथ चल पड़ा। कुछ दूर चलने पर उसने देखा कि एक स्थान पर एक भेड़िया मरा हुआ पड़ा है। सामन ने अपना गोल बट्टा भेड़िये की नाक में सुंघाया।

दूसरे ही क्षण भेड़िये में जान आ गयी। ‘तुम्हारे गोल बट्टे की महिमा उसकी गंध में है जब तक यह रहस्य दूसरों के लिए गुप्त रहेगा, इसकी महिमा बनी रहेगी।’ भेड़िये ने सामन को बताया।

सामन गोलबट्टे के इस रहस्य से अत्यन्त प्रसन्न हुआ और अपने गाँव की और चल पड़ा। रास्ते में उसे एक मरा हुआ कुत्ता दिखाई दिया। उसने अपना गोलबट्टा निकालकर मृत कुत्ते के नथुनों के पास रखा। कुत्ता झट उठ खड़ा हुआ और पूंछ हिलाता हुआ सामन के पीछे चल पड़ा।

शीघ्र ही सामन की ख्याति आसपास के इलाकों में फैल गयी। वह प्राणदाता वैद्य के रूप में सबका प्रिय बन गया। किन्तु किसी को भी इस बात का आभास नहीं था कि प्राणदाता सामन नहीं, बल्कि उसका गोलबट्टा है। उन्हीं दिनों एक घटना हुई। राजा की इकलौती पुत्री का देहान्त हो गया।

सामन ने अपनी चमत्कारी पत्थर से राजकुमारी को पुनः जीवित कर दिया। राजा ने ऐसे चमत्कारी युवक को अपना दामाद बनाने में अपना गौरव समझा और राजकुमारी का विवाह सामन के साथ बड़ी धूमधाम से संपन्न किया। सामन को राज्य का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।

राजा का दामाद और वारिस बनने के बाद भी सामन मृत व्यक्तियों को प्राण- दान देता रहा। अब उस राज्य में किसी को भी मृत्यु का भय न रहा।

एक दिन सामन के मन में एक विचार आया। उसने सोचा कि गोल बट्टे के सुँघाने से यदि मृत व्यक्ति जीवित हो सकता है, तो उसे सूंघने से वृद्धावस्था को भी रोका जा सकता है। यह बात जानने के लिए सामन प्रतिदिन गोल बट्टे को सूंघता और राजकुमारी को गोलबट्टा सूंघना भला तो न लगता, पर अपने पति को एक प्रतापी, यशस्वी वैद्य मानकर वह उसका कहना मान लेती।

परिणामस्वरूप दोनों पति-पत्नी नित्य नवयौवन को प्राप्त कर बरसों तक वैसे ही बने रहे। समय बीता, इस दंपति के सुन्दर नवयौवन को सालों से एक सा देख चंद्रमा ईष्या से भर उठा। वह सामन का गोलबट्टा हड़पने की ताक में रहने लगा।

एक दिन सामन ने देखा कि उसका गोलबट्टा काई से सना पड़ा है। गोलबट्टे से काई हटाने के लिए सामन ने गोल बट्टे को धूप में रख दिया और खुद उसका पहरा देने बैठ गया। पति को इस तरह पहरा देते देख राजकुमारी ने उसे टोका, तुम शीघ्र ही राजा बननेवाले हो। गोलबट्टे का पहरा देने के लिए तुम्हारे पास अनेक सेवक है, किसी को नियुक्त कर दो।

”सामन बोला, ‘मैं अपने कुत्ते के अलावा अन्य किसी पर विश्वास नहीं करता।’ यह कहकर उसने अपने कुत्ते को गोलबट्टे के पहरे पर बैठा दिया और स्वयं महल के अन्दर चला गया। धीरे-धीरे रात हो गई। अवसर देख चंद्रमा गोलबट्टे के पास उतर आया। उसने बट्टा उठाया और भागने लगा।

उस रोज अमावस्या थी। उस अंधेरे में कुत्ता चंद्रमा को नहीं देख पाया। पर वह गोलबट्टे की गंध से सुपरिचित था। उस गंध के सहारे कुत्ता चंद्रमा का पीछा करता रहा, लेकिन गोलबट्टा लेकर आज तक नहीं लौट पाया।

बर्मा के निवासियों का विश्वास है कि वह कुत्ता आज भी चंद्रमा का पीछा कर रहा है। चंद्रग्रहण के समय वे लोग चिल्लाकर कहते हैं- ‘लो देखो, चंद्रमा को कुत्ते ने निगल लिया।’ और ग्रहण की समास्ति पर बोलते हैं – ‘कुत्ते ने चंद्रमा को उगल दिया है।’ उनका विश्वास है कि कुत्ता कभी भी चंद्रमा को पूर्ण रूप से नहीं निगल पाता। –सक्षम बर्मा की लोककथा पर आधरित

अन्य हिंदी कहानियाँ एवम प्रेरणादायक हिंदी प्रसंग के लिए चेक करे हमारा मास्टर पेज – Hindi Kahani

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment

एडवरटाइज हटाएं यहाँ क्लिक करें