मेहनत का फल | Mehanat Ka Phal Story In Hindi

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Mehanat Ka Phal Story In Hindi :- दूरदराज गाँव के एक घर में कुसुम और उसके पति मोहन रहते थे। दोनों ही की यह दूसरी शादी थी और दोनों की एक- एक बेटी थी। कुसुम अपनी बेटी प्रीति को बहुत प्यार करती थी। वो उसे पहनने के लिए नये- नये कपड़े देती और कभी उसे काम करने के लिए नहीं कहती। इस तरह वह बहुत ही आलसी हो गई थी। वह पूरा दिन बिना कुछ किये बैठी रहती और खुद की प्रशंसा करती रहती थी।

दूसरी ओर कुसुम अपनी सौतेली बेटी प्रिया से बहुत बुरा व्यवहार करती थी। सारा दिन उसे काम में लगाये रहती। वह कहती – ‘बैठी क्यों हो चलो उठो और घर साफ करो। प्रिया ने कहा – अरे माँ! मैंने तो सुबह ही घर साफ किया है। तो कुसूम बोली – मुझसे बहस मत करो जो मैं कहती हूँ वही करो। प्रिया बोली – ठीक है माँ मैं साफ कर दूँगी। कुसुम प्रिया से घर का सारा काम करवाती वह फिर भी कभी शिकायत नहीं करती। कुसुम उससे वही काम बार-बार करवाती।

उसके पिता यह सब देख के मन ही मन बहुत दुखी होते। मोहन ने प्रिया से कहा – ‘मेरी प्यारी बेटी मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ । इसलिए मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर पा रहा हूँ । मैं बहुत ही शर्मिन्दा हूँ। नहीं पिता जी! आपने बचपन से मेरी देखभाल की अब मेरी बारी है। मैं आपकी देखभाल करूंगी। मैं कल ही काम करने जाऊंगी। जिससे हमें कुछ रुपये मिल सकते हैं ।

ये सब कुसुम सुन रही थी। उसने सोचा कि कल मैं इसे किसी धनवान के यहाँ काम करने लिए भेजूंगी और उससे जो पैसा आयेगा वो मैं लूंगी।

इससे मैं और मेरी बेटी का जो सपना था वो पूरा हो जायेगा। वह प्रिया को अपने परिचित धनी व्यक्ति के यहाँ जाने को कहती है। मोहन ने गुस्से से कहा – ‘तुम आपनी बेटी को क्यों नहीं भेजती हो । तो कुसुम ने जवाब दिया – ‘मेरी बेटी बहुत ही सुन्दर और कोमल है उसके काम करने से उसकी कोमलता नष्ट हो जायेगी । तुम्हारी बेटी इतनी सुन्दर भी नहीं है और वह काम भी कर लेती है।

दूसरे दिन प्रिया काम करने के लिए तैयार होकर नाश्ता करने जाती है कुसुम उसे खाने को कुछ नहीं देती है । प्रिया कुछ नहीं बोली और बाहर निकल गयी। मोहन ने उससे कहा – ‘बेटी ! रास्ते में जो कोई भी तुमसे सहायता मांगे उसकी मदद कर देना । वह कई दिन तक चलती जाती है लेकिन हिम्मत नहीं हारती है । तभी रास्ते में उसे बोलने वाला पेड़ मिला।

पेड़ ने कहा सुनो! मेरी ये सूखी डालें तोड़ दो । प्रिया पेड़ पर चढ़कर सूखी डालें तोड़ने लगी। उसने देखा पेड़ पर पत्तियाँ आने लगी हैं । वह आगे बढ़ गयी । थोड़ी दूर पर उसे एक मुर्झाया हुआ पेड़ मिला। उसके पास एक अजीब सा फावड़ा रखा था। पेड़ ने प्रिया से कहा – ‘क्या तुम मेरे चारों तरफ खुदाई करोगी बदले में तुम्हारे लिए मैं कोई अच्छा काम करूंगा।

प्रिया फावड़ा लेकर खुदाई करने लगती है। काम पूरा कर वह आगे बढ़ जाती है। आगे उसे कुआं मिलता है वह भी मदद माँगता है। ऐसे धीरे-धीरे रात हो आती है और वह एक घर के पास पहुँचती है अन्दर जाकर पूछती है – ‘क्या मैं घर में एक रात के लिए रुक सकती हूँ । वह घर परियों का था। परी कहती है – ‘तुम क्या करने के लिए जा रही हो। प्रिया कहती है – ‘मैं काम करने के लिए निकली हूँ ।

परियाँ कहती हैं तो तुम मेरे यहाँ काम क्यों नहीं करती हो वह उसको सात कमरे में से छ: कमरे साफ करने के लिए कहती हैं । प्रिया एक साल तक छः कमरे साफ करती रही कभी उसने सातवें कमरे पर नजर नहीं डाली। एक साल बाद जब उसके पास बहुत पैसे हो गए। तो उसने सोचा कि इतने पैसे में मेरे पिता का इलाज हो सकता है। वह परियों से अलविदा कहती है।

परियाँ उसकी ईमानदारी से खुश होकर उसे सातवें कमरे में ले जाती हैं वहाँ सोना और चाँदी से पूरा कमरा भरा था। परियों प्रिया को खूब सारा सोना-चाँदी देकर विदा करती हैं।

प्रिया अपने घर की ओर चल देती है। इधर कुसुम अपनी बेटी प्रीति के साथ मोहन का घर छोड़कर कहीं और चली जाती है। प्रिया के खूब सारा धन लाने का समाचार सुनकर वह बेटी-बेटी कहते हुए उसे गले लगाना चाहती है। मोहन कुसुम को डॉटकर भगा देता है। प्रिया अपने पिता के साथ सुख से रहने लगी।

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