Poem On Moon In Hindi :- चंद्रमा एक खगोलीय पिंड है जिसने सदियों से मनुष्यों को आकर्षित किया है। यह पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है और विभिन्न संस्कृतियों और पौराणिक कथाओं में इसका बहुत महत्व है। चंद्रमा रात के आकाश में एक मनोरम दृश्य है और इसने अनगिनत कवियों, लेखकों और कलाकारों को प्रेरित किया है।
चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 384,400 किलोमीटर दूर है और इसका व्यास लगभग 3,474 किलोमीटर है। यह लगभग वृत्ताकार पथ में पृथ्वी की परिक्रमा करता है और लगभग 27.3 दिनों में एक परिक्रमा पूरी करता है, जो इसके घूमने की अवधि भी है।
अपने गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण चंद्रमा का पृथ्वी के ज्वार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण की बातचीत ज्वारीय बल बनाती है, जिससे समुद्र के ज्वार का उदय और पतन होता है। इस घटना का समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और तटीय क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
इसने पूरे इतिहास में अपनी सुंदरता, प्रतीकात्मकता और हमारे ग्रह को आकार देने में भूमिका के साथ मनुष्यों को मोहित किया है। चाहे वैज्ञानिक अन्वेषण के विषय के रूप में हो या कलात्मक अभिव्यक्तियों के संग्रह के रूप में, चंद्रमा हमें मंत्रमुग्ध करता रहता है और हमें ब्रह्मांड के विशाल चमत्कारों की याद दिलाता है।
बच्चे हमेशा चांद को देखना पसंद करते हैं। उन्हें अपना मामा मानते हैं। वह हमेशा अपने ओंठो पर चंदा मामा का शब्द रटे लगाएं रखते हैं। बच्चों और चंदा मामा के बीच अनमोल रिश्ता है। आज उन्हीं के उपलक्ष्य में हम यहां पर चांद पर सुंदर कविता -Top 33+ Best Poem On Moon In Hindi साझा कर रहा हूं।
चांद नहीं है मेरा मामा
Poem On Moon In Hindi

छोड़ो नानी मुझे भुलाना,
झूठी बातों में भरमाना।
थाली में मत कभी दिखाना,
चांद नहीं है मेरा मामा।
चन्दा मेरा मामा होता,
तब तो आना-जाना होता।
नहीं भूलता गुड़िया लाना,
चांद नहीं है मेरा मामा।
हाथ पकड़कर मुझे घुमाता,
कभी नहीं वह मुझे रुलाता।
दिया नहीं कुरता-पाजामा,
चांद नहीं है मेरा मामा।
मम्मी का भैया जो होता,
नहीं गगन में ऐसे सोता।
कभी न करता ऐसा ड्रामा,
चांद नहीं है मेरा मामा।
कभी दिन में नजर न आता,
सोता जब मैं, सिर सहलाता।
नहीं गया उसका चिड़काना,
चांद नहीं है मेरा मामा।
-डॉ. ब्रजनन्दन वर्मा
प्यारे चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा कितने प्यारे,
सबके मन को भाते हो।
रंग-बिरंगे सपने लेकर,
रोज रात में आते हो।
कभी होते पूरे गोल तो,
कभी गायब हो जाते हो।
कभी खेलते आंख-मिचौली,
कभी दूर से ही मुस्काते हो।
अपने श्वेत रंग से तुम,
सबको ही ललचाते हो।
जगमग-जगमग करते हो,
और सबको प्यारे लगते हो।
लेकर अपनी शीतलता तुम,
पास मेरे भी आओ न।
संग अपने तारों की तुम,
टोली भी लेते आओ न।
चंदा मामा कितने प्यारे,
मन को सबको भाते हो।
रंग-बिरंगे सपने लेकर,
रोज रात में आते हो।
-मोनिका राज
चाँद मेरा दोस्त
Poem On Moon In Hindi
सूरज डूब गया है चंदा,
जल्दी बाहर आओ ना।
कितने सुन्दर दिखते हो,
मुझको यूं तरसाओ ना।
रोज़ नहाऊं रगड़, रगड़ कर ,
तुमसा क्यों हो पाऊं ना।
कैसे घटते, बढ़ते रहते,
मुझको ये बतलाओ ना।
साथ में कितने तारे लाते,
दिन में क्यों हो छुप जाते।
सूरज से लेते हो रोशनी,
अंधकार सारा मिटाओ ना।
देखो कितनी काली रात है,
अम्बर पर छा जाओ ना।
कल थे आधे आज हो पूरे,
इसका राज़ बताओ ना।
चुप चुप क्यों बैठे हो आज,
मीठी सी लोरी गाओ ना।
तुम तो लगते सबको प्यारे,
मुझको दोस्त बनाओ ना।
-आसिया फ़ारूक़ी
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा आसमान से,
उतर कर धरती पर आए।
देख कर उनको सारे बच्चे,
मामा मामा कह कर बुलाए।
बोले मामा सब बच्चों से
अपना हाल चाल बताओ।
कौन चांद पर जाएगा,
अपना अपना नाम बताओ।
बच्चे चांद पर जाने को,
हो गए झटपट तैयार।
चांदा मामा ले कर पहुंचे,
सबको चांद के पार।
चंदा मामा के साथ,
बच्चों ने रात बिताई।
बच्चों को फिर मामा ने,
चांद की खूब सैर कराई।
सुबह मेरी आंख खुली तो,
मैं बिस्तर पर अपने को पाया।
सपना देख रहा था,
मम्मी ने हमें बताया।
-बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
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चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा, चंदा मामा,
प्यारे प्यारे, चंदा मामा।
पास नहीं मेरे आते हो,
दूर बहुत तुम रहते हो।
अंगुल भर कभी होते हो,
कभी आधी रोटी से दिखते हो।
कभी गोल माँ की बिंदी से,
रोज रूप बदला करते हो।
सजा थाली चंदन, रोली की,
माँ तुम्हारी पूजा करती है।
आशाओं के दीप जला कर,
आरती नित उतारा करती है।
मंगल कामना मन में रखती,
तुमको जल भर अर्घ्य चढ़ाती।
चौथ पुन्नी उपवास भी करती,
रहे सौभाग्य कुशल मांगती।
भोग लगाती पकवानों के,
मालपुआ, खीर, मिठाई।
चंदा मामा संग में तुम्हारे,
मुझको भी मिल जाते है।
भाईदूज पर चंदा मामा,
हमको थोड़ा सताते हो।
पहले तुम्हारी पूजा होती,
फिर नम्बर मेरा आता है।
ईद, करवा चौथ, दिवाली,
तुम बिन ये सब आधा है।
यात्रा तुम्हरी अमावस पुन्नी,
निस दिन यूं ही चलती रहती।
-वृंदा पंचभाई
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा दूर के,
पुए पकाए दूर के,
आप खायें थाली में,
मुन्नी को दें प्याली में,
प्याली गई टूट।
मुन्नी गई रूठ,
लायेंगे हम प्यालियां,
बजा बजा के तालियां।
मुन्नी को मनायेंगे,
दूध मलाई खायेंगे।
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा नीचे आना,
मेरी मैया को समझाना।
रोज खिलाती दूध-मलाई,
कहती चंदा मेरा भाई।
पुआ पकाती मां है गुड़ के,
रोज खिलाती तोड़-तोड़ के।
करते हो जग को उजियारा,
दीप तले क्यों है अँधियारा।
बिन कपड़े के रहते हो,
धूप-ठंड सब सहते हो।
बढ़ते-घटते रहते हो,
कथा-कहानी कहते हो।
सारे जग के तुम हो मामा,
नहीं पहनते कभी पजामा।
जब भी भगिनी के घर आना,
रोज नये कपड़े सिलवाना।
-डॉ. प्रतिभा कुमारी
प्यारे चंदा मामा
Hindi Poem On Moon
चंदा मामा हम बच्चों को,
लगते कितने प्यारे।
घंटों तक हम छत पर बैठे,
इनको रहे निहारे।
रूप आपका घटता बढ़ता,
लगता सबको अच्छा।
घर आएँ हम सभी आपके,
मन में होती इच्छा।
सपनों में अब आकर मामा,
हमको सँग ले जाओ।
अंतरिक्ष की सैर कराओ,
तारों से मिलवाओ।
सूरज दादा दिनभर हम पर,
बरसाते अंगारे।
मगर रात को देख आपको,
खुश हो जाते सारे।
शांति-संदेश देते मामा,
शीतलता को धारे।
सीख सिखाते अच्छी हमको,
मामा सबसे न्यारे।
-उदय मेघवाल
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चांद
Poem On Moon In Hindi
रोज रात में आता चांद,
सबको बड़ा लुभाता चांद।
चुपके-चुपके गाने कब,
सपनों में आ जाता चांद।
गोरा-गोरा, दूध नहाया,
सुंदर रूप दिखाता चांद।
आकर पास, कमी हमारे,
लोरी हमें सुनाता चांद।
देखो कितना रूप बदलता,
रोटी भी बन जाता चांद।
शरमा जाए कभी-कभी तो.
बादल में छुप जाता चांद।
दूर-दूर से हमें, निहारे
हाथ नहीं, क्यों आता चांद।
किसने मामा इसे बनाया,
हम को नही बताता चांद।
-सतीश उपाध्याय
चंदा के घर दावत
Chand Par Kavita
चंदा के घर जाऊँगी मैं,
दावत खाकर आऊँगी मैं।
जब भी चंदा नभ में आता,
मुझको संदेशा भिजवाता।
आओ तुम मेरे घर आओ,
चंद्रलोक में खाना खाओ।
तारों के संग दौड़ लगाओ,
बादल के संग हाथ मिलाओ।
चंद्रकिरण संग झूला झूलो,
अंबर की फुनगी को छू लो।
कितनी बार निमंत्रण आया,
मुझको अपने पास बुलाया।
अब कैसे रुक पाऊँगी मैं,
चंदा के घर जाऊँगी मैं।
-डॉ. अलका अग्रवाल
चांद मियां
Poem On Moon In Hindi
बैठे हो कि खड़े हो,
या खाट पर पड़े हो।
झूल रहे झूला या,
कहीं लटके पड़े हो।
ताड़ पर या झाड़ पर,
कहां अटके पड़े हो।
घर के अंदर अपने,
कितने बल्ब जड़े हो।
तारों के आंगन में,
आकर भटके हो।
सच में चांद मियां तुम,
सबसे हटके हो।
-मेराज रजा
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा, चंदा मामा,
प्यारे-प्यारे, चंदा मामा।
पास नहीं मेरे आते हो,
दूर बहुत तुम रहते हो।
अंगुल भर कभी होते हो,
कभी आधी रोटी से दिखते।
कभी गोल माँ की बिंदी सी,
रोज रूप बदला करते हो।
माँ तुम्हारी पूजा करती,
सजा थाली चंदन, रोली की।
आशाओं के दीप जला कर,
आरती नित उतारा करती।
मंगल कामना मन में रखती,
तुमको जल भर अर्घ्य चढ़ाती।
चौथ पुन्नी उपवास भी करती,
रहे सौभाग्य कुशल माँगती।
भोग लगाती पकवानों के,
मालपुआ, खीर, मिठाई।
चंदा मामा संग में तुम्हारे,
मुझको भी ये मिल जाते हैं।
भाईदूज पर चंदा मामा,
हमको थोड़ा सताते हो।
पहले तुम्हारी पूजा होती,
फिर नम्बर मेरा लगाते हो।
ईद, करवा चौथ, दिवाली,
तुम बिन ये सब है अधूरी।
यात्रा तुम्हरी अमावस पुन्नी,
निस दिन यूँही चलती रहती।
-वृंदा पंचभाई
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चंदा ला दो
Moon Par Kavita
विनती है कर जोड़कर
चंदा ला दो तोड़कर
मैं चंदा की थाली में
मम्मी रोटी खाऊंगा
चंदा को ले हाथों में
जग की सैर कराऊंगा
गेंद बनाकर चंदा की
मित्रो के संग खेलूंगा.
ऊपर उसको फेंकूगा
और वापस से झेलूंगा.
बात सुनो मम्मी मेरी
जाओ न मुंह मोड़कर
विनती है कर जोड़कर
चंदा ला दो तोड़कर
तुम कहती वह मामा है
मामा से मिलवाओ न
रोज-रोज मम्मी अब तो
मामा मुझे बनाओ न
बिन चंदा मामा के मैं
आज न रोटी खाऊंगा
चंदा लाकर न दोगी
भूखा ही सो जाऊंगा
गुस्से में न जाओ तुम
मेरी बांह मरोड़कर
चंदा ला दो तोड़कर.
-बलराम निगम
चाँद गुनगुनाया
Poem On Moon In Hindi
कोहरा छाया,
सर्दी लाया।
धूप ने आकर,
कर्ज चुकाया।।
सिर पर टोपी.
भालू ने गाया।
कौवे ने आकर,
शोर मचाया।।
चाट-पकौड़ा.
सभी को भाया।
आ री निंदिया.
चाँद गुनगुनाया।
-राजेंद्र निशेश
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा बोलो कुछ तो
मन की बातें तोलों कुछ तो
तारें हमको लगते प्यारे
ये सब हमको दे दो
क्या तुम हमसे रूठे हो
या दिल से तुम टूटे हो
मीठी-मीठी बातें करते
फिर क्यों हमसे रूठे हो
चंदा मामा बोलो कुछ तो.
-डॉ नवीन दवे
सूरज, चांद, तारे और बादल
Poem On Moon In Hindi
आसमान में चमकता है
सूरज रोशनी देता है,
पूरब से आता हर रोज
धूप और गर्मी देता है।
रात के अंधेरे में चमकता है
बादलों के घेरे में रहता है,
घटता बढ़ता आता हर रोज
चंदा जैसे मेरे छत पर रहता है।
आसमान में टिम टिम करते हैं
कभी जलते और कभी बुझते हैं,
ढेरों रात में आते हर रोज
तारे कितने प्यारे लगते हैं।
बादल घुमड़ घुमड़ कर आते हैं
बड़े सुहाने मौसम लाते हैं,
उजले उजले लगते ये
छम छम बारिश लाते हैं।
-अंजली मिश्रा
चाँद
Poem On Moon In Hindi
सागर किनारे, पुकारती हुई,
कोई कश्ती, बुला रही है।
डूबता हुआ सूरज, देख
कर शाम मुस्कुरा, रही है।
धीरे धीरे शाम अपनी खुश्बू,
फिज़ा, ओ में फेला रही है।
इंद्रधनुष, की किरणें रंग,
धरती पर बिखेर, रही है।
मदमस्त चाँद, की परछाई,
फलक, पर जाक रही है।
सितारों, के अंदर छुपा नूर,
अपनी चमक बहा रही है।
खिड़कियों पर हवा ओ की
खनक कोई ईशारादे रही है
ये सर्द मौसम, में लेहरें,
कोई मधुर, गाना गा रही है।
हाथों की हथेलियां कोई,
कोई तितलियां जूम रही है।
मोतियों, सा कोई कीमती,
ख्याब आँखों मे बूंद रही है।
–नीक राजपूत
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चांद और कान्हा
Moon Par Kavita
हठ कर मांग रहे मैया से
नटखट चांद खिलौना
नहीं चाहिए माखन मिश्री
ना चांदी ना सोना।
मैया बोली लाल मेरे मैं
कैसे तुझे बताऊं
चांद नहीं है कोई खिलौना
कैसे मैं समझाऊं।
नहीं सुना कुछ भी कान्हा ने
जा लेटे धरती पर
मैया ने सोचा थोड़ा सा
वापस गई पलटकर।
एक बर्तन में पानी भर कर
लाल को चांद दिखाया
उसको पाकर नन्हा कान्हा
फूला नहीं समाया।
-सपना सक्सेना
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
आसमान में ढेरों तारे।
झिलमिल-झिलमिल करते सारे।
नीले-नीले अंबर की,
मुझे भी सैर कराओ ना।
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
बादल काका चलते जाते।
घुमड़-घुमड़ कर नाच दिखाते।
जाकर बीच बादलों के,
आंख-मिचोली खिलाओ ना।
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
रैन बसेरा यहाँ जमाते।
दिन में कहां सैर पर जाते?
इसका राज जरा हमको,
जल्दी-जल्दी बताओ ना।
चंदा मामा आओ ना।
संग अपने ले जाओ ना।
–रीनू पाल
चंदा मामा
Hindi Poem On Moon
चन्दा मामा चन्दा मामा
रात में क्यों तुम आते हो
दिन भर कहीं घूमते रहते,
धूप से या डर जाते हो।
उजला उजला रँग तुम्हारा
कहीं न काला पड़ जाए।
दिन में छिप कर रहते हो क्या
छाला कहीं न पड़ जाए।
सूरज जैसे घर को जाता,
झट बाहर आ जाते हो
अपने संग हजारों तारे
आसमान बिखराते हो।
मेरी सारी गर्मी हरते
ठंडी हवा चलाते हो
पानी से नहला कर इनको
ठंडा ठंडा बनाते हो।
माँ कहती मामा हो सबके,
फिर भेट नहीं क्यों लाते हो।
कभी कभी पूरे दिखते हो
कभी कहीं छिप जाते हो।
–गीता गुप्ता
चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा एक बात बताओ
क्यू छुपे-छुपे से फिरते हो,
ये धरती माँ तो है गोल-गोल
तुम क्यू झोल-मोल करते हो?
किसी दिन आधे किसी दिन पौने
कभी पूरे गायब हो जाते हो।
मुझे भी सिखाना तरकीब तुम्हारी,
तुम कैसे छोटे-बड़े हो जाते हो?
सच्ची-सच्ची बात बताना,
यूं छुप-छुपकर तुम कहाँ घूमने जाते हो।
-देवेश गुप्ता
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चंदा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा नीचे आओ,
छोटी सी एक बात बताओ।
रोज़ रात को आते हो,
दिन में क्यों छिप जाते हो।
हम बच्चे थक जाते हैं,
शाम ढले सो जाते हैं।
कभी तो दिन में आओ ना,
संग खेलो बतियाओ ना।
-सपना सक्सेना
चन्दा
Poem On Moon In Hindi
दूर गगन में आता चन्दा,
मन्द-मन्द मुसकाता चन्दा।
धरती के आंचल में अपनी,
शीतलता बरसाता चन्दा।
अंधकार को दूर भगाकर,
उजियारा फैलाता चन्दा।
अपने उर से सारी भू पर,
चांदी सी बिखराता चन्दा।
बच्चे मामा-मामा कहते,
फिर भी पास न आता चन्दा।
दूर-दूर से चमक दिखाता,
नहीं पकड़ में आता चन्दा।
-‘फिगार’ बुलन्दशहरी
चन्दा मामा
Poem On Moon In Hindi
चंदा मामा एक दिन धरती पर
उतर कर आसमान से आए।
देख कर उनको सारे बच्चे
मामा मामा कह कर चिल्लाए।
बोले मामा सब बच्चों से
अपना हाल चाल बताओ।
कौन चांद पर जाएगा
हमें अपना नाम बताओ।
सारे बच्चे चांद पर जाने को
हो गए झट पट तैयार।
चंदा मामा ले कर पहुंचे
सबको चांद के पार।
चंदा मामा के संग
सब बच्चों ने रात बिताई।
सब बच्चों को मामा ने
चांद की खूब सैर कराई।
सुबह आंख खुली तो
मैं बिस्तर पर अपने पाया।
सपना देख रहे थे तुम
मम्मी ने हमें बताया।
-बद्री प्रसाद वर्मा अनजान
चन्दा मामा
Poem On Moon In Hindi
चन्दा मामा किसी रोज तुम,
मेरे घर भी आना।
दिन भर साथ हमारे रहना,
साँझ हुए घर जाना।।
मेरे जन्म दिवस पर घर में,
खूब मजा आयेगा।
उस दिन जो-जो माल बनेगा,
सब तुमको भायेगा।।
लिम्का-माजा-रसना,
कोला, जी भरकर पी जाना।
चन्दा मामा किसी रोज तुम,
मेरे घर भी आना।।
होली का भी दिन अच्छा है,
रंग पड़े जब भारी।
पिचकारी से बच्चे लेंगे,
जमकर खबर तुम्हारी।।
मन चाहा हाथों में लेकर,
खूब गुलाल लगाना।
चन्दा मामा किसी रोज तुम,
मेरे घर भी आना।।
या इस बार दिवाली पर तुम,
मेरे घर आ जाओ।
चरखी और अनार मजे से,
सबके साथ छुड़ाओ।।
पूजन करके खील-बताशे,
साथ बैठकर खाना।
चन्दा मामा किसी रोज तुम,
मेरे घर भी आना।।
कैसे मामा हो तुम मेरे,
समझ न अब तक पाया।
ना मेरे घर आते जाते,
ना घर मुझे बुलाया।।
जब भी आना इस धरती पर,
मामी को सँग लाना।
चन्दा मामा किसी रोज तुम,
मेरे घर भी आना।।
-नरेन्द्र मस्ताना
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