बरसात
Poem On Rain
रिमझिम-रिमझिम करती आई,
बरखा रानी साथ है आई।
मिट्टी की सौंधी खुशबू से,
घर आँगन उपवन महकाई।
गड़-गड़गड़-गड़ बादल गरजे,
कड-कड़,कड़-कड़ बिजली चमके।
पानी बिन जब धरती तरसे,
घुमड़,घुमड़ तब बादल बरसे।
बूंदों की जब पड़ी फुहार,
बागों में छा गई बहार।
मोर पपीहा कोयल गाए,
धरती में हरियाली छाए।
भर गए सरवर,ताल तालाब,
उपवन मे खिल गए गुलाब।
-प्रीतम कुमार साहू
बरखा आई
Poem On Rain
धरती माँ की प्यास बुझाने,
सब जीवों में आस जगाने।
तेज हवा का झोंका आया,
संग में अपने बरखा लाया।
मेंढक करता टर्र-टर्र-टर्र,
पानी बरसे झर-झर-झर।
बादल गरजे गड़-गड़-गड़,
बिजली चमके कड़-कड़-कड़।
मोर पपीहा कोयल गाए,
धरती में हरियाली छाए।
-प्रीतम कुमार साहू
आओ बरखा रानी आओ
Poem On Rain
आओ बरखा रानी आओ,
वसुधा की तुम प्यास बुझाओ।
नाद छेड़कर बादलों में दंगल करो,
इठलाकर प्राणियों का मंगल करो।
बूंदो की रिमझिम झड़ी लगा दो,
मधुमय सावन की लड़ी लगा दो।
सतरंगी मुझे इंद्रधनुष दिखा दो,
मेंढक,झिंगुर की आवाज सुना दो।
आगमन से कूकेंगी कोयल बागों में,
जुगनू पकड़ के रखूगा चिरागों में।
आँख मिचोली खेलूंगा मैं पानी में,
वर्णन तुम्हारा करूँगा कहानी में।
आओ बरखा रानी आओ,
वसुधा की तुम प्यास बुझाओ।
-निमिषा कुरै
वर्षा ऋतु आई है
Poem On Rain
नव जीवन साथ लाई है।
ग्रीष्म से तपती धरा पर,
अमृत धार बरसाई है।
सुखते जल मण्डल में,
मौजो की बहार लाई है।
तितली नाचे भौरे गाये,
मछली मेंढक मौज उड़ाये।
इतनी खुशियां लाई है,
वर्षा ऋतु आई है।।
फूलों की खुशबू से,
महका है चमन सारा।
नजरें जहाँ भी जाती है,
भा रहा हर नजारा।।
कलियों पर मंडराते भंवरे,
प्रेम का गीत सुनते हैं।
उसने भी तृप्ति पाई है,
वर्षा ऋतु आई है।
हरियाली की चादर ओढा,
धरा का कर रहा श्रृंगार।
रूप और सौंदर्य का उसको,
दे रहा अनोखा उपहार।
लगती धरती कितनी प्यारी,
अनुपम अदभुत और न्यारी।।
दृश्य मनोहर छाई है,
वर्षा ऋतु आई है।
-पद्यमनी साहू
बरखा आई
Poem On Rain
छम-छम करती बरखा आई,
देखो आसमान में बदली छाई।
प्यासी धरती करे पुकार,
बरसो बादल करो श्रृंगार।
गरजता मेघ आसमान पर छाया,
मानो प्यास बुझाने धरती की आया।
बादल करता बरसात भारी,
धरती दिखती सुंदर और प्यारी।
देखो धरा लगे बड़ी न्यारी,
मानो ओढ़नी हो हरियारी।
चहुँओर धरा में छाई हरियाली,
जमकर हुई बारिश मतवाली।
पके आम टपके चहुँओर,
कोयल उड़ चली कहीं ओर।
रवि की किरणों को ठंडक पहुँचाई,
तपती धरती की प्यास बुझाई।
-सीमांचल त्रिपाठी
वर्षा रे वर्षा
Poem On Rain In Hindi
पानी आया पानी आया
रंग बिरंगे छाता लाया,
रिमझिम -रिमझिम करता
पानी आया।।
हाथ में हरियाली लाया
कल कल करता,
पानी आया।।
मनमोहित दृश्य लाया
देखो रे भाई देखो
पानी आया,पानी आया।।
-कु.सुषमा बग्गा
आई बरसात
Poem On Rain In Hindi
हवा चली जब सर्र-सर्र,
काले-काले बादल छाए,
बूंदों की सवारी लाए।
बूंद पड़ी जब टप-टप,
बच्चे खेले छप-छप,
पानी भरा है गांव गली,
बच्चों की अब नाव चली।
धरती दिखती हरी भरी,
लगती सबको सोनपरी,
निकले छाता रेनकोट,
कीचड़ में सब लोटपोट।
जुगनुओं की सजी बारात,
खुशी मनाओ आई बरसात।
-प्रकाश किरण कटेन्द्र
वर्षा के पल
Poem On Rain In Hindi
कितने सुंदर वह पल होते,
जब बारिश में भीगे होते।
सर-सर कर के हवा है चलती,
गड़ -गड़ कर बिजली है चमकती।
रिम झिम रिम झिम बरसा पानी,
छम-छम नाचे गुड़िया सयानी।
मैं-तुम, तुम-मैं साथ में होते,
वर्षा में जब भीगे होते।
-अंजूलता भास्कर
वर्षा ऋतु प्यारी है
Poem On Rain In Hindi
वर्षा ऋतु प्यारी है,
आह कितनी न्यारी है।
सुंदर सजी क्यारी है,
लगती बड़ी मनोहारी है।।
वर्षा ऋतु प्यारी है,
पानी की बूंद पड़ी तो।
सुगन्धित हुई धरती न्यारी,
कोयल की गूंजी किलकारी है।।
वर्षा ऋतु प्यारी है,
वर्षा की बौछार पड़ी तो।
मोर ने फैला दी अपनी,
रंगीनी पॅंखो को निराली है।।
वर्षा ऋतु प्यारी है,
चारो ओर फैली हरियाली है।
चहुओर छाई खुशियाली है,
धरती लगती बड़ी सुहानी है।।
-उषा साहू
बरखा रानी
Poem On Rain In Hindi
सावन की बरखा को देखो,
झूमती हुई आयी है।
धरती रानी पाव पसारे,
स्वागत कर हर्षायी है।
काले काले बादल उमड़े,
अम्बर धरा मिलाने को।
अति मंद पवन चल पुरवाई,
मानुष तन मन भाने को।
सावन राजा की अटखेली,
बून्द बूद हमें रिझाते।
झिंगुर बोले अपनी बानी
सुबह-शाम शोर मचाते।
ताल सरोवर तान सुनाते,
नद नालों की कल कल में।
मेढ़क फुदके घर आँगन में,
पंछी चहके पल पल में।
खेत और खलिहानों भरते,
हरी भरी हरियाली से।
पर्वत माला बाह पसारे,
वो बरखा मतवाली से।
-सुशीला साहू
बारिश का मौसम
Poem On Rain In Hindi
मौसम की हालत बदल रही,
अब ऋतु ने ली अंगडाई है।
धरती से मिलने को बूंदें,
अम्बर से चलकर आयीं हैं।
काले से रंग की चुनरी को,
सूरज पर बादल डाल रहे।
हो रही हवायें शीतल सी,
पौधे खुशियों से निहाल रहे।
पत्तों से धूलों की परतें,
और जाले धुल कर दूर हुए।
मुस्काये सारे वेल फूल,
पंक्षी कलरव भरपूर हुए।
गर्मी के रुतबे ढीले अब,
आकाश के रंग अनेक हुए।
मिट्टीी की सोंधी खुश्बू पा,
मेरे तन मन धन सब एक हुए।
मनमीत संग मीठी बातें,
करने को कहती पुरवाई।
तन भीगा सर्द फुहारों से,
मिट रही दिलों से रुसवाई।
खेतों का दामन हरा हुआ,
अब कृषि योग्य उपयुक्त हुए।
नदियाँ झीलें तालाब कुएं,
गर्दन तक जल से युक्त हुए।
-रीतेश दुबे
सावन आया
Poem On Rain In Hindi
चारों दिशाएँ हरितवर्ण,
चमक उठा है कण- कण।
तरुवर संग नभचर डोल रहे,
फूलों संग भँवरे बोल रहे।
बूंदों ने है मार्ग सजाया,
देखो- देखो सावन आया।
मेघों ने जग को घेरा है,
सूरज ने भी मुँह फेरा है।
सूखे सरवर छलक उठे,
खिरमन भी अब दमक उठे।
नदियों ने है गीत सुनाया,
देखो-देखो सावन आया।
कोयल हुई दीवानी है,
जिसकी मीठी वाणी है।
मोरों ने नर्तन शुरू किया,
तृण ने तुहिन श्रृंगार किया।
धरा ने प्रेमगीत है गाया,
देखो-देखो सावन आया।
-आयुष सोनी
आई बरसात
Barish Poem In Hindi
हवा चली जब सर्र-सर्र,
काले-काले बादल छाए
बूंदों की सवारी लाए।
बूंद पड़ी जब टप-टप,
बच्चे खेले छप-छप,
पानी भरा है गांव गली,
बच्चों की अब नाव चली।
धरती दिखती हरी भरी,
लगती सबको सोनपरी,
निकले छाता रेनकोट,
कीचड़ में सब लोटपोट।
जुगनुओं की सजी बारात
खुशी मनाओ आई बरसात
-प्रकाश किरण कटेन्द्र
बरखा प्यारी
Barish Poem In Hindi
आओ सुंदर बरखा प्यारी,
करके मेघों की तुम सवारी।
सूखी नदियां सूखे उपवन,
सूखे कुंऐं सुखा तन मन।
आकर सबको तुम महका दो,
हर जन जीव की प्यास बुझा दो।
थके थके से सबके नैना,
तेरे नखरे उफ क्या कहना।
आ जाओ तुम छम छम करती,
भर दो कुएं भर दो मटकी।
हम बच्चे सब नाव बनाके,
राह निहारे नैन बिछा के।
क्यों नहीं तुम जल्दी आ जाती,
क्यों तुम हो इतना इतराती।
तेरी सुन के मधुर झंकारे,
मन मयूर जंगल में नाचे।
सारे पंख फैलाता ऐसे,
इंद्रधनुष दूजा हो जैसे।
कोयल रानी बहुत उदास है,
उसको तो सावन की प्यास है।
जो आहट तेरी सुन लेती,
कूह कूह से जंगल भर देती।
सूखे खेत और सुखी क्यारी,
मां की तुलसी कुम्हलाई सारी।
जब तेरी शीतल पड़े फौहारे,
खिल जाते फिर सुमन ये सारे।
सूरज की अब तपिश मिटा दो,
आकर अपना महत्व बता दो।
आओ सब मिलकर पौधे लगाएं,
बरखा की राह सुगम बनाएं।
आओ सुंदर बरखा प्यारी,
करके मेघों की तुम सवारी।
-ऋतु गुप्ता
बारिश
Barish Poem In Hindi
बारिश आई, बारिश आई,
खुशहाली को संग है लाई।
बच्चे-बूढ़े मौज मनाते,
हँसते, खेलते और बलखाते।
बारिश ऐसा मौसम सुहाना,
अच्छा लगता पकवान खाना।
तितलियाँ उड़ती लगती न्यारी
फसलें दिखतीं प्यारी-प्यारी।
यह लाती खेत में हरियाली,
किसान की मुस्कराहट निराली।
सॉप-बिच्छू से रहना सावधान,
कभी-कभी ये पहुँचाते नुकसान।
बारिश की है छटा निराली,
किसानों की यही दीवाली।
खुशहाली, हरियाली लाती,
सबके मन को यह बहलाती।
-तेजेश साहू
झमाझम बारिश
Barish Poem In Hindi
मस्ती लेकर बादल आया,
साथ झमाझम पानी लाया।
बिजली ने भी सुर ताल में गाया,
धरती पर फैली बादल की छाया।
पेड़-पौधों को बारिश भायी,
सबके चेहरे पर खुशियां छायी।
बारिश से लगा फसलों का भी मन,
मदमस्त हो गये सारे जन।
-सनातन प्रकाश
वर्षा ऋतु
Barish Poem In Hindi
गड़ गड़ करके बादल गरजे ।
झर झर करके बारिश बरसे।
बिजली कड़के बारिश बरसे झर झर।
मन मेरा हो जाता है बड़ा डर डर ।
पेड़, पौधे नदी का प्यास बुझाई।
सूखी धरती भी खुशी मनाएं।
चारों तरफ हरियाली छाई।
गर्मी से हामे निजात दिलाए।
मोर खुशी से पंख फैलाए।
पशु पक्षी सब घर लौट आए।
बच्चे कागज का नाउ बनाएं।
पानी में उसे खूब चलाएं।
मेंढक भी अब मुस्कुराए।
टर टराई अपने दोस्त बुलाए।
किसान बारिशसे खुश हो जाए।
किसान खेतों में रोपाई कर पाए।
ज्यादा बारिश बार भी लाए।
फिर भी प्रकृति आंख बिछाए।
बारिश की उम्मीद लगाए।
झूम झूम के खुशी मनाएं।
बारिश प्रकृति का प्यास बुझाई।
बिना बारिश के जीवन चल ना पाए।
बर्षा रानी जब धरती पर आए।
ईए मौसम मेरे मन में भाए।
-पियाली दास सूत्रधर
बरखा रानी
Poem On Rainy Season In Hindi
पानी आई, पानी आई,
देखो बरखा रानी आई॥
लगते कितने मौसम अच्छे,
झूम उठे खुशी से बच्चे ।
वन उपवन हरियाली छायी,
पानी आई पानी आई।
देखो बरखा रानी आई ।।
झमझम बरस रही है पानी,
भर गयी सब खेत खेतानी ।
रोपनी की बारी आई,
पानी आई पानी आई।।
देखो बरखा रानी आई।।
-सरस्वती चन्द्रा
वर्षा रानी
Poem On Rainy Season In Hindi
वर्षा रानी मेरे अंगना,
कितना शोर मचाती है।
टिप-टिप, टप-टप करती है ये,
मुझको बहुत लुभाती है।
मैं चाहूं बारिश में भीगं,
पर मम्मी डॉट लगती है।
रामू की कागज की नैया,
इसमें गोते खाती है।
स्वीटी छाता लेकर नाचे,
बारिश में इतराती है।
सभी नाच गा-गाकर झूमें,
पर माँ मेरी आँख दिखाती है।
मम्मी नानी से कह दूंगा,
तुमको वो ये समझाए।
तुम भी तो बारिश में खेली थी,
फिर मुझ पर क्यों तू रोक लगाए।
अच्छी मम्मी, प्यारी मम्मी,
मुझ पर थोडी दया करो।
मुझको जाने दो बारिश में,
इतनी भी न निष्ठुर बनो।
-शिव मेहता
बरखा आई
Poem On Rainy Season In Hindi
छमछम करती बरखा आई,
प्यार का दाना बरखा लाई।
चहक रहे हैं भालू बंदर,
हिरण भी दौड़े मस्त कलंदर।
मोर नाचते पर फैलाए,
चिड़िया घर में दुबकी जाए।
निकल पड़े हैं बच्चे सारे,
पलक, वाचा, वरुण औं लाले।
कहते हम पानी के राजा,
बजता देखो इससे बाजा।
कहते देखो कितनी अच्छी,
पूर्ति रानी की ये मस्ती।
जी भर कर हम मौज उड़ाएँ,
नावों की हम दौड़ लगाएँ।
काली पीली गोरी नावें,
बढ़ती गिरती रुकती नावें।
क्या अजब ये खेल मचा है,
बरखा का भी एक नशा है।
मस्ती बरसा बरखा आई,
बचपन महका बरखा आई।
बरखा आई बरखा आई,
विख्यात गाओ बरखा आई।
-विष्णु सक्सेना
बारिश आ गयी
Poem On Rainy Season In Hindi
कहीं ज्यादा, कहीं कम
बारिश आ गयी
कुम्हलाये सुमनों पर
रंगत छा गयी।
चलते-चलते छाता टूटा
गिरा धम से
आगे था नाला
देख सबको हंसी आ गयी।
कहीं ज्यादा, कहीं कम
बारिश आ गयी
किसी ने बादलों को कोसा
तो किसी ने बादलों का
आभार जताया।
बचपन दौड़ पड़ा आंगन में
कागज की नौका
पानी से भर गयी।
कहीं ज्यादा, कहीं कम
बारिश आ गयी।
-पुरुषोत्तम व्यास
बरसात
Poem On Rain In Hindi
तेरे चाहत के दीवाने हैं
लोग सब सारे,
मर जाते हैं सब यहाँ
प्यास के मारे।
धरती और आसमान का
मीलन होती है तेरे ही सहारे,
बागों का फुल मुस्कराती है,
खुशबू के बहाने।
तेरे पानी का बूंद बरसता है
बादलों के सहारे,
तभी तो ये सजते हैं
सावन सुहाने।
झुमता है आसमान गिरता है
फुलों पर फुहारे,
नदी, पर्वत, झील के नजारे
लगते हैं कितने प्यारे।
तेरे चाहत के दीवाने हैं
लोग सब सारे,
मर जाते हैं सब यहाँ
प्यास के मारे।
पंकज कुमार ‘अमन’
फिर आया सावन
Short Poem On Rain In Hindi
बादल बनकर घिर आया सावन,
दौड़ लगाता फिर आया सावन।
बूंदों की छमछम लगी झड़ी है,
नदी बलखाती फिर चल पड़ी है।
देखो चढ़कर सिर आया सावन,
दौड़ लगाता फिर आया सावन।
दूर-दूर तक पानी के रेले.
गांव-गांव में भरते हैं मेले।
सागर-सागर तिर आया सावन,
दौड़ लगाता फिर आया सावन।
मयूर नाच रहे वन-उपवन में,
खग गाते फिरते चमन-चमन में।
सबकी खातिर आया सावन,
दौड़ लगाता फिर आया सावन।
-गोविंद भारद्वाज
बरखा रानी
Monsoon Poem In Hindi
चाँदी – सी बूंदों की,
पायल छनकाती,
झमाझम आई।
बरखा रानी ने,
दस्तक दी सुबह – सुबह,
किवाड खुले बादलों के।
झाँके बीच से,
सूरज चाचू,
उनके तेवर देख।
सूख गई जान और,
सिर पर पैर रख कर,
झटपट भागी यूँ।
जैसे कभी,
आई ही नहीं थी,
बरखा रानी।
-चेतना भाटी
बरसात
Hindi Poem On Rain For Kids
धरा का तीक्ष्ण तपन मंद हो गई,
सुखद बरसात का मौसम आने से।
सर्व चराचर शीतलता की अनुभूति,
चहुँ ओर काली घटा छा जाने से।।
धरा में बरसात ऋतु आगमन से,
भीषण उष्णता का हुआ गृह गमन।
धरा में चहुँ ओर हरियाली छाई,
प्रकृति परिदृश्य अति मनभावन।।
काली घटाओं के तीब्र गर्जना से,
कानन में नाचे मोर पंख पसार।
द्रुम डाल पर कलियाँ प्रस्फुटित हुई,
विहग फुदक रहें हैं वृक्षों के डार।।
उमड – घुमड कर काले मेघ चले,
शीतल, मंद, सुगंध चले पुरवाई।
रिमझिम रिमझिम पानी बरसे,
धरा में हरित हरीतिमा छायी।।
शस्य – श्यामला धरा की परिधान,
कृषक बीज अंकुरित करतें हैं।
खग,मृग,मोर, पपीहा,वन में मुदित ,
कानन में स्वच्छंद विचरण करते हैं।।
-मनोज कुमार चन्द्रवंशी
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