Top 37+ Best Poem On Birds In Hindi | प्यारी चिड़िया पर सुंदर कविता

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Poem On Birds In Hindi :- पक्षियों का संसार बहुत ही रंगीन और आकर्षक होता है। ये न केवल अपने सुंदर रंग-बिरंगे पंखों से चमकते हैं, बल्कि उनके महत्वपूर्ण कार्यों के कारण भी हमारे प्राकृतिक परिस्थितियों को सुधारने में मदद करते हैं। पक्षियों का संसार विविधता से भरपूर होता है और उनमें अनेक प्रकार की जीवनशैलियाँ पाई जाती हैं।

पक्षियों का प्रमुख कार्य है कीटों को नष्ट करना। वे हमारे कृषि उत्पादों को कीटों से बचाने में सहायक होते हैं और इससे हमारी खेती को बचाने में मदद करते हैं। पक्षियों के बिना, कीटों का प्रबल प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है और यह फसलों के प्रति संकटपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

पक्षियों का मानव समाज में भी महत्व होता है। उनकी गायन और चहचहाने की आवाजें हमारे आसपास की प्राकृतिक छवि को सजीवता प्रदान करती हैं। उनकी सुंदरता और गतिशीलता का दृश्य मनोबल को बढ़ाता है और हमें प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने की क्षमता प्रदान करता है।

अधिकांश पक्षियां पर्यावरण के संतुलन की देखभाल करती हैं और वनस्पतियों के प्रसार में मदद करती हैं। वे जीवों की जानकारी के साथ-साथ मौसम की पूर्वानुमानी में भी मदद करते हैं।

इन सभी कारणों से, हमें पक्षियों के प्रति समर्पित रहना चाहिए और उनकी संरक्षण की दिशा में साथी बनना चाहिए। यह हमारी प्राकृतिक संसाधनों की देखभाल और संरक्षण में मदद करेगा, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण मिलेगा।

आज हम इस पोस्ट में चिड़िया पक्षी पर सर्वश्रेष्ठ कविता (Poem On Birds In Hindi) लेकर आये हैं। ये हिंदी कविताएं प्रसिद्ध कवियों की लोकप्रिय रचनाएँ है। इसमें चिड़िया पक्षी के सुन्दरता के बारे में, पक्षियों की स्वतंत्रता और पक्षियों का महत्व आदि का वर्णन मिलेगा। तो आइये पढ़ते है चिड़िया पर सर्वश्रेष्ठ कविताएँ।

Table of Contents

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

चिड़िया आई, चिड़िया आई,

ची-ची, चूं-चूं, गीत सुनाई।

अब तक क्यों सोये हो बंधु,

प्रातः आकर हमें जगाई।

जल्दी से तुम उठ भी जाओ,

क्यों ले रहे हो तुम अंगड़ाई।

सदा प्रेम से रहना दोस्तों,

आपस में मत करो लड़ाई।

छोटे -बड़े का भाव मन में,

रखें कभी ना भाई-भाई।

-बलदाऊ राम साहू

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

फुदक-फुदक आने वाली,

नन्ही चिड़िया।

ची-चीं गीत सुनाने वाली,

नन्ही चिड़िया।

फुर्र-फुर्र उड़ जाती है,

ना जाने किस ओर।

गाँव शहर दिख जाने वाली,

नन्ही चिड़िया।

चोंच में भर कर,

दाना लाती खलिहानों से।

मेहनत करके खाने वाली,

नन्हीं चिड़िया।

-बलदाऊ राम साहू

चिड़िया का सन्देश

Poem On Birds In Hindi

आंगन में एक चिड़िया आई,

प्यारा एक संदेशा लाई।

देना थोडा दाना-पानी,

रोज कहूँगी नई कहानी।

फिर डाल पर झूलूँगी,

कभी आसमां को छू लुंगी।

चुन तिनका-तिनका लाऊंगी,

एक प्यारा नीड़ बनाउँगी।

कुछ गीत सुहाने गाऊँगी,

और सबका मन बहलाउंगी।

यदि प्रेम तुम्हारा पाऊँगी,

एक स्नेह बसंत दे जाउंगी।

-धारा यादव

चिड़िया आई

Poem On Birds In Hindi

सुनो, सुनो जी चिड़िया आई,

छोटी-छोटी फरियादें लाई।

हमको दे दो मुट्ठी भर दाना,

तभी सुनाएँगे हम गाना।

पानी दे दो एक कटोरी,

नहीं करेंगे सीना जोरी।

दाना खाकर, पानी पीकर,

खुश रहेंगे, निर्भय जीकर।

पेड़ों पर हम रह लेते हैं,

सर्दी, गरमी सह लेते हैं।

आसमान में उड़ जाते हैं,

तारों से खुशियाँ ले आते हैं।

-बलदाऊ राम साहू

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चिड़िया रानी

Poem On Birds

चिड़िया रानी चीं-चीं, चीं-चीं करती है,

मीठी बोली से सबका मन हर्षित करती है।

फुदक-फुदक कर चहचहाती है,

खूब कड़ी मेहनत करके खाती है।

आलस कभी भी नहीं करती है,

सबके मन को खुश रखती है।

तिनका-तिनका संचित करके,

अपना सुन्दर घोंसला बनाती है।

और सबको पुरुषार्थ करने की,

प्रेरणा दे जाती है।

चिड़िया रानी सीधी-सादी

बड़ी प्यारी लगती है।

अपने बच्चों का बड़ी खुशी से,

लालन पालन करती है।

-सीमा यादव

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

चिड़िया चहकी है फुदक,

जब-जब अमुआ ठाँव।

तिनका-तिनका चुन रही,

बना रही निज ठाँव।

बैठी है निज घोंसला,

चूजों का कर ध्यान।

ध्यान लगाकर जाँच लो,

यही है प्रेम विधान।

फुदक-फुदक कर नाचती,

होती बहुत प्रसन्न।

दिख जाता है जब कहीं,

इक-दो दाना अन्न।

कोमल पंख पसारकर,

उड़ती नभ की ओर।

दाना-पानी के लिए,

नाप रही नभ छोर।

चिड़ियों से भी प्यार कर,

द्वेष, कपट रख दूर।

बनने देना घोंसला,

खुशी मिले भरपूर।

-डिजेन्द्र कुर्रे 

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,

दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया।

हरी-भरी सुंदर बगिया में,

मीठे-मीठे गीत सुनाती चिड़िया।

अपने मिश्री-घुले बोलों से,

बच्चों का मन चहकाती चिड़िया।

नित मिल-जुल कर आती,

आपस में नहीं झगड़ती चिड़िया।

प्रेमभाव से रहना सिखलाती,

बहुत बड़ी सीख देती नन्हीं चिड़िया।

तरह-तरह के रुप-रंग वाली,

लाल, हरी, काली, नीली, पीली चिड़िया।

फुदक-फुदक कर नाचती चिड़िया,

दाना चुंगकर उड़ जाती चिड़िया।

-मुकेश कुमार ऋषि

मेरी प्यारी चिड़िया

Poem On Birds

दाना चुगने चिड़िया आती,

चीं-चीं कर खुशहाली लाती।

नाच नाच कर दिल बहलाती,

खुले पंख जब वो फैलाती।

दूर गगन में वह उड़ जाती,

किसी को न हानि पहुँचाती।

फिर भी लोग समझ न पाते,

पकड़ पकड़ चिड़िया को लाते।

पिंजरे में फिर उसे सताते

चोट उसके दिल को पहुँचाते।

-दिव्यांशी शर्मा

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रानी चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

उड़-उड़ जाती रानी चिड़िया

चीं-चीं  शोर मचाती चिड़िया

पास हमारे कभी न आती

लेकिन मन हर्षाती चिड़िया।

चुन-चुन दाना खाती चिड़िया

दूर-दूर तक जाती चिड़िया

लेकिन थोड़ी-सी आहट में

काहे को डर जाती चिड़िया?

अन्न देख ललचाती चिड़िया

खाकर खुश हो जाती चिड़िया

मेहनत कर के तिनके लाती

सुंदर नीड़ बनाती चिड़िया।

-बलदाऊ राम साहू

चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

आओ बैठो, सुनो कहानी।

आँगन में मेरे तुम आ जाओ,

बिखरे दाने चुन-चुन खाओ।

फुदक-फुदककर नाचो- गाओ,

प्यास लगे तो पानी पियो।

स्वतंत्रता के गीत सुनाओ,

मुझको भी उड़ना सिखलाओ।

-विजय लक्ष्मी राव

चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

बड़ी प्यारी चिड़िया रानी।

गाती गीत बढ़िया रानी।।

मीठी कंठ सुरीली तान।

ये ठहरी बगिया की शान।।

नाचती जैसे गुड़िया रानी।

बड़ी प्यारी चिड़िया रानी।।

-टीकेश्वर सिन्हा

चिड़िया

Poem On Birds

आसमान में उड़ती चिड़िया,

लगती सुन्दर प्यारी चिड़िया।

पेड़ों की डाली में चिड़िया,

अपना घर बनाती चिड़िया।

बच्चों को घर में छोड़ चिड़िया,

दाना चुगने जाती चिड़िया।

घर आंगन में जाकर चिड़िया,

चू-चू गीत सुनाती चिड़िया।

कुश बेटा जब दाना देता,

दाना चुग उड़ जाती चिड़िया।

लगी प्यास तब आती चिड़िया,

पानी पी उड़ जाती चिड़िया।

दिनभर मेहनत करती चिड़िया,

ना थकती, ना रुकती चिड़िया।

देख आसमान सूरज ढलता,

घर को लौट जाती चिड़िया।

-प्रीतम कुमार साहू

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चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

आओ बच्चों सुनो कहानी,

एक है प्यारी चिड़िया रानी।

चूं-चूं कर मुझसे बतियाए,

फुदक-फुदक वो नाच दिखाए।

जब भी बैठू खाना खाने,

साथ में मेरे खाना खाए।

दो चार रोज को जाऊं बाहर,

परेशान हो मुझे बुलाए।

लौट के आऊं जब घर को,

झट से कंधे पर चढ़ जाए।

बस मैं कहूं यही कहानी,

वो है मेरी नन्ही रानी।

-अरुण यादव

मेहनत करना है सुखदायी

Poem On Birds In Hindi

चूं-चूं करती आई चिड़ियां,

रंग-बिरंगी आई चिड़ियां।

फुदक-फुदक कर दाना खातीं,

सबके ही मन को ये भातीं।

कठिन परिश्रम है ये करतीं,

कोसों दूर गगन में उड़तीं।

मेहनत करना है सुखदायी,

चिड़ियों ने यह सीख सिखायी।

-अनिल द्विवेदी

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

छोटी सी चिड़िया,

फुदक फुदक कर आती है।

आंगन में बैठ कर,

चींव-चींव गीत सुनाती है।।

रानी सुबह उठ कर,

दाना रोज खिलाती है।

चीव चीव कर के चिड़िया,

दाना खाने आती है।।

रानी चिड़िया को देख कर,

झट से उठ जाती है।

बच्चो के संग छोटी चिड़िया

मीठी गीत सुनाती है।।

एक डाल से दूसरे डाल,

उड़ उड़ कर जाती है।

मीठे मीठे फल खा कर,

बहुत खुश हो जाती है।।

-प्रिया देवांगन

चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

आकाश की लालिमा को देख,

उठ जाती जो चूं-चूं करके,

वह है मेरी चिड़िया रानी।

छोटे छोटे तिनके बटोरकर,

जो बनाती है अपना घोंसला,

वह है मेरी चिड़िया रानी।

पेड़ों की शाखाओं पर जो,

करती है अपना गुजारा,

वह है मेरी चिड़िया रानी।

एक-एक दाना चुनकर जो,

ले जाती है अपने बच्चों तक,

वह है मेरी चिड़िया रानी।

-प्रिया चतुर्वेदी

चिड़िया

Poem On Bird In Hindi

एक नन्ही मुन्नी

छोटी चिड़िया

फुर-फुर फुर-फुर

उड़ती चिड़िया।

डाली से

डाली पर जाती

फुर फुर फुर फुर

उड़ती चिड़िया।

घर घर जाकर

दाने चुगती

फुर फुर फुर फुर

उड़ती चिड़िया।

इधर-उधर

आती-जाती

फुर फुर फुर फुर

उड़ती चिड़िया।

सब लोगों का

मन बहलाती

एक नन्ही

मुन्नी चिड़िया।

ची ची करती

छोटी चिड़िया

मीठे गीत

सुनाती चिड़िया।

-आराध्य नारायण

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रंग-बिरंगी चिड़िया

Poem On Chidiya

रंग-बिरंगी प्यारी चिड़िया,

ची-ची, चूं-चूं करती है।

सुबह सवेरे आंगन आकर,

मधुर गीत सुनाती है।

अपने बच्चों के संग वह,

खाना खाने आती है।

हर रोज मेरी दादी अम्मा,

दाना उसे दे जाती हैं।

पेट उसका जब भरता है तो,

नाच करने लगती है।

नाच देख कर मुनिया रानी,

उसे पकड़ने लगती है।

मुनिया रानी से डरकर वह,

फुर्र से उड़ जाती है।

-मो जमील

सुनाती चिड़िया

Poem On Birds In Hindi

मंगलगीत सुनाती चिड़िया,

भोर पहर आ गाती चिड़िया।

द्वेष-ईर्ष्या भेद-भाव से,

दूर रहो तुम बताती चिड़िया।

खिले फूल सा मन हो तेरा,

कहकर नभ उड़ जाती चिड़िया।

घर-घर प्यार बढ़े नित नूतन,

चूं-चूं बोल हँसाती चिड़िया।

दाना-चुनकर आँगन घूमें,

बालक मन बहलाती चिड़िया।

टॉफी, पिज्जा, पेप्सी, कोला,

छू मत कहे प्रभाती चिड़िया।

अपनेपन की भाषा समझे,

हर पल नाच दिखाती चिड़िया।

स्वार्थ त्याग बनो गुरु नानक,

सेवक ‘मयंक’ जगाती चिड़िया।

-मयंक किशोर शुक्ल

मेरी प्यारी चिड़िया

Hindi Poem On Birds

दाना चुगने चिड़िया आती,

ची ची कर खुशहाली लाती।

नाच नाच कर दिल बहलाती,

खुले पंख जब वो फैलाती।

दूर गगन में वह उड़ जाती,

किसी को न हानि पहुँचाती।

फिर भी लोग समझ न पाते,

पकड़ पकड़ चिड़िया को लाते।

पिंजरे में फिर उसे सताते,

चोट उसके दिल को पहुँचाते।

-दिव्यांशी शर्मा

चिड़िया

Hindi Poem On Birds

सुनो-सुनो क्या चिड़िया कहती,

हवा सुहानी अब ना बहती।

आंगन की शोभा हरियाली,

पेड़ों से अब आंगन खाली।

पीपल, बरगद की छांव नहीं,

हरा भरा अपना गाँव नहीं।

चिड़िया ने अब गाना छोड़ा,

घर-आंगन में आना छोड़ा।

चिड़िया को हम चलो मनाये,

धरती पर फिर पेड़ लगाये।

-हरप्रसाद 

चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

लाल पूँछ की,

चिड़िया रानी,

ची ची करती,

बड़ी सयानी।

दादा जी की थाली से,

ले जाती चावल खाती,

बैठी दादी जी मुस्काती,

चिड़िया का पेट रहे न खाली।

वह खेलती नित,

चीनू मीनू के संग,

दादा जी परसाते नित,

बाहर ही खाने की थाली।

चिड़िया रानी नित नित,

दादा जी की थाली में,

ची ची ची गाना है गाती,

दादा जी को यह बहुत सुहाती।

हम सब का भी यही काम हो,

चिड़ियों पर पूरा स्नेह हो,

पर्यावरण सदा स्वच्छ हो,

घर में बच्चे खुश स्वस्थ हो।

-सतीश 

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चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

दादी अम्मा दादी अम्मा,

चिड़िया को बुलाओ ना।

चिड़िया रानी आएगी,

मुझे गीत सिखाएगी।

चिड़ियों जैसा मैं गाऊंगी,

पंख लगाकर उड़ जाऊंगी।

-नीता सागर चौधरी

प्यार के पंछी

Poem On Birds In Hindi

नन्हे – नन्हे प्यारे पंछी,

लगते सबसे न्यारे पंछी।

फुदक – फुदक कर आते पंछी,

खटपट से उड़ जाते पंछी।

ची-चीं, चूं-चूं करते पंछी,

रंग रंगीले न्यारे पंछी।

कभी पेड़ पर, कभी गगन में,

उड़ते औ मंडराते पंछी।

छत पर दाना डालो तो,

झट से फिर आ जाते पंछी।

डरते-डरते दाना चुगते,

फुर से फिर उड़ जाते पंछी।

लाल – हरे, नीले औ पीले,

मेरे बड़े दुलारे पंछी।

-मुकेश कुमार ऋषि

चिड़िया

Poem About Birds In Hindi

फुदक फुदक कर नन्ही चिड़िया,

दाना चुगने आती।

चीं चीं करती शोर मचाती गाना गाती,

सुबह सुबह आकर हमको रोज जगाती।

अपने नन्हे नन्हे पंखों से,

कभी पेड़ों की डाली पर।

कभी फूलों की डाली पर,

अपने रंग बिरंगे पंखो से धरती।

हो या अम्बर उड़ती रहती,

मेरी भी इच्छा होती।

इनके पंख मुझको लग जाते,

मैं आसमान का सैर कर आती।

-निर्मला राव

चिड़िया

Pakshi Par Kavita

चिड़िया रानी चिड़िया रानी।

तुम हो पेड़ों की रानी।।

सुबह सवेरे उठ जाती हो।

ना जाने क्या गाती हो।।

क्या तुम भी पढ़ने को जाती हो।

या नौकरी करने को जाती हो।।

शाम से पहले आती हो

बच्चों का दाना लाती हो।।

भर-भर चोंच खिलाती दाना।

चूं- चूं चहक सुनाती गाना।।

चिड़िया

Chidiya Par Kavita

इक इक तिनका जोड़ कर चिड़िया,

अपना घर बनाती है।

धूप, हवा बारिश से,

अपना परिवार बचाती है।

मेहनत से तुम ना घबराना,

हम सब को सिखलाती है।

छोटे -छोटे हाथों से यह,

बडे काम कर जाती है।

डरी हुई चिड़िया

Chidiya Poem On Hindi

चिड़िया को डर लगता है,

उन्मुक्त आकाश में उड़ने से।

अपनी पंख को फैलाने से,

उसे हर बार खुले आसमान में।

उड़ते हुए सुई की नोक-सी,

चुभ रही है रेडियो तरंग।

मोबाइल टावर से निकले रेज,

और तरंगों का जाल हर रोज।

खत्म कर दे रही है,

कई प्रवासी पक्षियों का जीवन।

चिड़िया रात में सोने के समय,

सुबकती है अपने बच्चों संग।

पर्यावरण में होते बदलाव को देखकर,

वह दाना चुंगते हुए।

संकट को भांप लेती है,

और अपने बच्चों को स्मरण कर।

डर जाती है चिड़िया की मां,

अब आम के बागों में।

चिड़ियों की कोलाहल,

सन्नाटा में बदल रहा है।

चिड़िया डर से सहम गयी है।

-नितेश कुमार सिन्हा

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आओ चिड़िया

Chidiya Poem On Hindi

आओ चिड़िया डरो नहीं,

हमें छोड़ जाओ न कहीं।

तुम हमारी प्यारी बहिना,

संग हमारे सुख-दुःख सहना।

मिलेगा तुम्हें चारा भरपूर,

मत भटको व्यर्थ में दूर।

हमें सुनाओ आकर गाना,

सबको देख कभी न लजाना।

दादी कहती उसे बुलाओ,

भोजन-पानी उसे खिलाओ।

घोंसले भी हमने हैं बनाये,

देखने वालों को सब हैं भाये।

फुर से उड़कर जल्दी आओ

अपने संग में और भी लाओ।

-डॉ० सुरेंद्र दत्त

चिड़िया

Chidiya Poem On Hindi

एक थी चिड़िया मोटी-ताजी,

उड़ने से लाचार थी।

ऊपर से तो स्वस्थ दिख रही,

अन्दर से बीमार थी।

चलते फिरते दाना खाती,

पानी पीती गटर-गटर।

फूल की सेज पर बैठी-बैठी,

सोती रहती थी दिनभर।

बंदर भालू उसे समझाते,

किया करो तुम भी कुछ काम।

काम करोगी स्वस्थ रहोगी,

सुस्ती छोड़ो त्यागो आराम।

धीरे-धीरे बात पते की,

समझ गई चिड़िया रानी।

अपने काम स्वयं अब करती,

दूर हुई सब परेशानी।

-मीनू सिंह

चिड़िया बोली

Chidiya Ki Kavita

सुबह हुई तो चिड़िया बोली

उठो-उठो प्यारी गुड़िया।

तुम्हें जगाने आई देखो

परीलोक से मैं चिड़िया।

सूर्यदेव ने फैलाई हैं

सुन्दर-सी स्वर्णिम किरणें।

सारे जग पर एक सवेरा

सुन्दर पुनः लगा तिरने।

उठ जाओ, ओ प्यारी गुडिया।

बनो न आलस की पुडिया।

ताजी हवा चल रही सन-सन

प्राण वायु बाँटे सबको।

उठो और अपने पर खोलों

उड़ो और छू लो नभ को।

जाओ! चलो! नहाओ-धोओं

और पढ़ों फिर ओ कुड़िया।

ज्ञान भरी ये गजब किताबें

काश! कभी मैं पढ़ पाती।

चिड़िया हूँ गुड़िया होती तो

मैं भी आगे बढ़ पाती।

हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी

और कभी पढ़ती उडिया।

फिर भी भाए मुझे चहकना

जी भर कर मुसकाती हूँ।

जीवन जो पाया ईश्वर से

मस्त चहकती जाती हूँ।

पद-लिखकर तुम खूब चहकना

और महकना ओ गुड़िया।

-गौरव वाजपेयी

चिड़िया रानी

Chidiya Par Kavita

भुख मुझे लगी हैं,

गर्मी मुझे सताती है।

मैं हूँ एक, चिड़िया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।।

मुझे चाहिए छाँव,

मुझे चाहिए प्यार।

मैं हूँ एक, चिड़िया रानी,

दाना दे दे,पानी दे दे।

मुझे चाहिए ममता,

मुझे चाहिए स्नेह।

मैं हूँ एक, चिड़िया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।।

नही रह सकती भुखा,

नही रह सकती प्यासा।

मैं हूँ एक, चिडिया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।।

गर्मी – पानी सहकर,

जीना सीखा है मैनें।

मैं हूँ एक, चिडिया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।

कोई हमें रुलाता,

कोई हमें सताता।

मैं हूँ एक, चिड़िया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।

आवाज मधुर है,

प्यारा – प्यारा।

मैं हूँ एक, चिड़िया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।।

ची – ची करती चिड़िया रानी,

मधुर आवाज है मेरी।

मैं हूँ एक, चिडिया रानी,

दाना दे दे, पानी दे दे।

-रामभरोस टोण्डे

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चिड़िया रानी

Chidiya Par Kavita

चिड़िया रानी बड़ी सयानी

दाना चुग उड़ जाती है

बैठ डाल पर चोंच हिलाकर

हमको पास बुलाती है

नहीं किसी से वह कुछ माँगे

खुद पर निर्भर रहती है

अपना जीवन खुश हो जीती

ऐसा ही कुछ कहती है

हम भी तो खुश रहना सीखें

बात यही बतलाती है

बैठ डाल पर चोंच हिलाकर

हमको पास बुलाती है

थोड़ी खुशियाँ चोंच में भरकर

नया सवेरा आँखों में

बगिया की खुश्बू पंजों में

पुरवाई भर पाँखों में

बड़े सवेरे खिड़की से वह

हम सब को दे जाती है

बैठ डाल पर चोंच हिलाकर

हमको पास बुलाती है

-पेन्टर मदन

प्यारी चिड़िया

Chidiya Par Kavita

दाना चुगने चिड़िया आती,

ची ची कर खुशहाली लाती।

नाच नाच कर दिल बहलाती,

खुले पंख जब वो फैलाती।

दूर गगन में उड़ जाती,

किसी को न हानि पहुँचाती।

फिर भी दुनिया समझ न पाती,

पकड़ पकड़ कर चिड़िया को खाती।

दुनिया उसको बड़ा सताती,

उसके दिल को चोट पहुँचाती।

जब घर में वो बंद हो जाती,

फिर दुनिया पीछे पछताती।

जब घर में वो बंद हो जाती,

तब दुनिया यह समझ पाती।

जब बीमारी इन्हें सताती,

फिर चीं चीं चिड़िया श्राप दे जाती।

-दिव्यांशी

बतलाओ चिड़िया रानी

Poem On Birds In Hindi

टीचर जी के संग मनाने,

पिकनिक जब पहुँची पिंकी।

खेल,खिलौने,फल डलिया भर,

साथ लिए आई रिंकी।

तभी एक नन्हीं सी चिड़िया,

पास लगी आ मँडराने।

बिठा हाथ पर उसको पिंकी,

लगी प्यार से सहलाने।

फिर बोली वह, कुछ सवाल हैं,

बतलाओ चिड़िया रानी।

फुदक-फुदककर सारा दिन तुम,

करती रहतीं मनमानी।

रोज रात को मैं दादी से ,

सुनती कविता और कहानी।

रोज कहानी तुम दादी से,

सुनती क्या चिड़िया रानी?

नानी के घर जब जाती हूँ,

फल देती मुझको नानी।

क्या तुम भी नानी घर जाकर,

फल खाती चिड़िया रानी?

इस सर्दी में माँ नहलाती,

करके गरम, गुनगुना पानी।

तुमको भी माँ रोज जगाकर,

नहलाती चिड़िया रानी?

पापा कहते खूब पढ़ो तुम,

पढ़-लिखकर बनते ज्ञानी।

मम्मी-पापा के कहने पर,

पढ़ती क्या चिड़िया रानी?

-डॉ. देशबन्धु शाहजहांपुरी

चिड़िया माँ

Chidiya Par Kavita

चिड़िया माँ ने फ़ोन उठाया,

झट बच्चों को फ़ोन मिलाया।

अन्न का दाना मिला नहीं,

दूर बहुत मैं निकल गई।

छतरी घर पर भूल गई,

बारिश झम-झम तेज़ हुई।

बस पकड़कर झट पहुँचूँगी,

देर बिल्कुल नहीं करूँगी।

चार चिरैयां

Chidiya Par Kavita

चार चिरैयां चाई माई,

कूट रहीं हैं धान।

एक का मूसल टूट गया है,

तीन हुईं हैरान।

तीन चिरैयां चाई माई,

पका रही हैं दाल।

झुलस गयी है चोंच एक की,

दो रो कर बेहाल।

दो चिड़ियां अब चाई माई,

गयीं नहाने ताल।

फिसल गया है पैर एक का,

चली गयी पाताल।

एक चिड़ी अब बैठ डाल पर,

सूखा रही है बाल।

तभी चिरौटा आया उसका,

चली गयी ससुराल।

-शिवचरण चौहान

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