Poem On Swami Vivekananda In Hindi :- स्वामी विवेकानंद जी की जन्म तिथि 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि उनकी प्रत्येक बात युवाओं के लिए प्रेरणादायक एवं सकारात्मक होती है इस दिवस को स्कूलों, कॉलेजों और अन्य स्थानों पर स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणादायक सुविचार पर भाषण प्रतियोगिता, गीत, निबंध, कविता, संघर्ष और उनकी जीवनी के बारे में आयोजन किया जाता है।
स्वामी विवेकानंद का सारा जीवन हमें अनुशासन, एकाग्रता, जिज्ञासा और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पण की सीख देता है। वे कहते थे कि कामयाबी न मिले तो फिक्र मत करो, हिम्मत मत हारो, कोशिश जारी रखो, नाकामियों से सबक लेकर संघर्ष करते रहो, एक दिन जीत तुम्हारे कदमों में होगी।
छोटी आयु में इन्होंने अपने विचारों से पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और सभ्यता से अवगत कराया। इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास मौके पर प्रस्तुत है यहां पर हमनें स्वामी विवेकानंद जी पर सुंदर और मार्मिक कविता (Swami Vivekananda Par Kavita) शेयर किये है। हम उम्मीद करते हैं, कि आपको यह हिंदी कविताएं पसंद आएगी। अपने दोस्तों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें, और इसे आगे भी शेयर जरूर करें।
हमारे इस ज्ञान की नगरी वेबसाइट पर बेहतरीन हिंदी कविताएँ का अनोखा संग्रह उपलब्ध कराया गया है, आप जों कविताएं पढ़ना चाहते हैं यहां पर 👉 क्लिक कर पढ़ सकते हैं। धन्यवाद!!!
विवेकानंद
Poem On Swami Vivekananda
जन्म अठारह सौ तिरसठ की बारह जनवरी को पाया, विश्वनाथ दत्त जी के घर बेटा बनकर वह आया।। माता भुवनेश्वरी देवी थी नाम नरेन्द्र धराया, परमहंस श्रीरामकृष्ण को अपना गुरु बनाया।।
ऊँचे कुल में जन्मा फिर भी छुआ नहीं अभिमान, लाल मिला यह भारत माँ को बनकर पुत्र महान। भोग विलास न जिसको भाया सेवा का व्रत धारा, संन्यासी योगी बन जिसने जीवन पूर्ण गुजारा।।
भारत, भारत के जन के उत्थान को लक्ष्य बनाया, घूम घूम कर देश-विदेश में संस्कृति ध्वज फहराया।। दीन हीन जन की सेवा को जिसने पूजा माना, उसे विवेकानंद नाम से सारे जग ने जाना।।
चार जुलाई सन्न उन्नीस सौ दो को स्वर्ग सिधारे, चालीस वर्ष से कम उम्र में थे जग के बने सितारे।। सोया भारत पुनः जगाया स्वाभिमान लहराया, जगत गुरु भारत के सुत को सबने शीश नमाया।। |
-अनीता सेठिया
अनूठा साधक
Poem On Swami Vivekananda In Hindi
तिथि थी 12 जनवरी 1963 जब जन्मा नरेन कलकत्ता में। झुक गई थी लताएं, घटाएं समूची प्रकृति भी थी वंदना में।।
मनचला, उद्विय और हठीला विशाल हृदय, बलिष्ठ गर्वीला। स्वछन्द प्रकृति का परिचायक रूप था जैसे सिंह शावक।।
पुजारी संगीत का, कंठ सुरीला युवकों का नेता आकर्षक छबीला। गुरु रामकृष्ण के कार्य अधूरे साधा संकल्प करेंगे पूरे।।
राष्ट्र जागरण का अभिलाषी देता रहा स्वयं की आहुति। फहरायी पताका पूर्व पश्चिम तक मथा स्वयं को कार्य होने तक।।
दी भारतीय संस्कृति को पहचान दिया दीन दुखियों को त्राण। चिंतन, लेखन भाषण पूजन मानव हित ही मरना हर क्षण।।
सत्य ही शक्ति सत्य कल्याण सत्य ही शुचि है, सत्य ही परमज्ञान। राजनीति से रहे दूर, कहते सत्कर्म का करो आहान।।
सृष्टि की गंगा में कर्म की पतवार दूर करती रही गहनतम अंधकार। था वह झंझावात जो हाकर चला गया सोये भारत को जगा चला गया।।
4 जुलाई 1902 बेलूरमठ में वह संध्या घिर आई थी। अस्ताचल हुआ सूर्य में चला गया अल्पायु 39 वर्ष में।।
चला अग्निशलाका सा यह कौन। करवट बदली छाया चिर मौन। अनूठा साधक था यह कौन। गूंज उठा जयगान जय नरेन। जय नरेन, जय जय नरेन।। |
-डॉ. सुधा गुप्ता
इसे भी पढ़ें :-
- स्वतंत्रता सेनानियों पर कविता
- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर कविता
- सुभाषचन्द्र बोस पर कविता
- शहीद भगत सिंह पर कविता
स्वामी विवेकानंद पर कविता
Poem On Swami Vivekananda
भारत के इतिहास की, गौरवशाली गाथा गाती हूं। आज मैं आपको स्वामी, विवेकानंद की जीवनी सुनाती हूं।
12 जनवरी 1863 को कोलकाता में, लिया इन्होंने जन्म। पिता विश्वनाथ माँ भुवनेश्वरी, बुलाते इन्हें नरेंद्र।
कुशाग्र बुद्धि, अदम्य साहस थी, इनमें बचपन से भरी। धैर्य, तर्कशक्ति साहित थे, ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी।
एक दिन यह भगवान के अस्तित्व पर, कर बैठे तर्क। उनकी इस जिज्ञासा का समाधान, किये गुरु रामकृष्ण परमहंस।
गुरु रामकृष्ण के छत्रछाया में इन्होंने दीक्षा पाई। सन 1893 शिकांगो में, भारतीय सभ्यता और संस्कृति की मान बढ़ाई।
अमेरिकी भाइयों और बहनों शब्द से, जबकी भाषण की शुरुआत। तालियों की गड़गड़ाहट से, गूंजा पूरा हॉल।
रामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन की, उन्होंने स्थापना। उठो जागो और लक्ष्य तक, पहुंचने तक मत रुको की इन्होंने उद्घोषणा।
राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, जैसी रचनाएं हैं इनकी देन। 4 जुलाई 1902 को इन्होंने, त्यागी अपनी देह।
स्वामी विवेकानंद तो, माँ भारती के नंदन है। युवाओं के प्रेरणा स्रोत को, कोटि-कोटि वंदन है। |
विवेक के पुजारी
Poem On Swami Vivekananda
स्वामी विवेकानंद विवेक के पुजारी थे, अन्याय, अनीति, कपट काटने की वे तीक्ष्ण कटारी थे। वेद, उपनिषद, मातृभाषा को, दुनिया मे फैलाया था।
हिन्दुस्तान का परचम जग में, हिम्मत से लहराया था। एकाग्रता, धैर्य, संयम, अनुभव करना सिखलाया।
करो संघर्ष लक्ष्य पाने को, रुकना नहीं ये बतलाया। ऊँच-नीच का भेद मिटाकर, उद्यम करना सिखलाया।
नारी-शिक्षा पर बल देकर, सबल, सशक्त पद दिलवाया। जितना तुम संघर्ष करोगे, उतनी ही विजय तुम पाओगे।
जब तक जीवन है सीखो कुछ, सर्वश्रेष्ठ बन जाओगे। |
-राज जैन
स्वामी विवेकानन्द
Swami Vivekanand Par Kavita
सोयी दुनिया को जगाया, सिंहों को सिंह बनाया। प्रेम योग हो या भक्ति योग हो, एक रहस्यमयी सूत्र उपजाया।
दूसरों के लिए जीना और, नर-पशु में मतभेद बताया। वही आत्मज्ञानी महापुरुष, स्वामी विवेकानन्द कहलाया।
रुको न जब तक लक्ष्य न पाओ, मन दुर्बलता को दूर भगाओ। इंसानियत का यही मर्म, जीवन पथ पर ही सत्कर्म।
सोच लो तो शैतान बनो, सोच लो तो इंसान बनो। आत्म भक्ति ही शक्ति का दर्पण दर्शाया, इंसानियत का धर्म सिखलाया।
वही ज्ञानी महापुरुष, स्वामी विवेकानन्द कहलाया। |
-दीपिका जाँगिड़
युवा संन्यासी
Swami Vivekananda Par
Kavita In Hindi
एक युवा संन्यासी जिसने, सोच बदल दी दुनिया की। निर्धन-शोषित-पीड़ित के प्रति, जिसके मन में करुणा थी।
वह ‘नरेन‘ से बना ‘विवेकानंद‘ तभी इस जग ने जाना। इनकी प्रतिभा, इनकी मेधा का, सबने लोहा माना।
इन्होंने इस दुनिया को बतलाया- एक देश है भारत भी। भाई-बहन का संबोधन, जब इस जग ने पहली बार सुना।
अमरीका की धर्म-सभा का, गूँज उठा कोना-कोना। थमी नहीं तालियाँ देर तक, उसकी ऐसी धाक जमी।
गीता नहीं, देश के युवक, पहले तुम फुटबाल चुनो। मन में संवेदना जगाओ, तन से तुम चट्टान बनो।
वह कहते थे-ऐसे युवकों से ही, इस देश सूरत बदलेगी। लोट-पोट हो गए, वे रेत में ज्यों अपने जहाज से उतरे।
अपनी माँ से लिपटे, ऐसे जैसे की बालक बरसों से बिछड़ा। उनकी पूजा और अर्चना थी, बस भारत माता ही।
भारत की संस्कृति के ध्वज को, जिसने यूँ फहराया हो। जिसके कारण स्वाभिमान, जन-मानस में गहराया हो।
आओ मिलजुल आज मनाएँ, उनकी पावन जन्म तिथि। |
-नरेश शांडिल्य
इसे भी पढ़ें :-
- सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविता
- चंद्रशेखर आजाद पर कविता
- लाल बहादुर शास्त्री पर कविता
- डॉ भीमराव अंबेडकर पर कविता
स्वामी विवेकानंद
Poem On Swami Vivekananda
चलना है यदि पदचिन्हों पर, तो चलो विवेकानंद से। बनना है यदि किसी के जैसा, तो बनो विवेकानंद से।
देश प्रेम और निःस्वार्थ सेवा, सीखो विवेकानंद से। जीना है यदि इस जीवन को, तो जिओ विवेकानंद से।
सदा सुख शांति वैभव, देश में आनंद मै लिख दू। जगाकर राष्ट्रभक्ति काव्य का, वो छंद मै लिख दू।
हे परमेश्वर! सदा करता रहूँ, निज राष्ट्र की सेवा। युवा आदर्श पूछो तो, मै विवेकानंद लिख दू।
वाक्यो की भरमार नही, बस शब्द छंद हो जाये। लिख लिखकर उन्मुक्त, जैसे विवेकानंद हो जाये।
जागो भारत का युवा वर्ग, तुमको इतिहास बनाना है। मिलेगा अतुल आनंद तुम्हे, बस सोया विवेक जगाना है। |
नरेंद्र नाथ बन कर आओ
Poem On Swami Vivekananda In Hindi
जन जन की है मांग धरा पर, युग परिवर्तक फिर आओ। आओ पुनः युवाओं में, नरेंद्र नाथ बन कर आओ।
अल्पायु में ज्ञान दिया जो, फिर से उसे सुना जाओ। विश्व धर्म परिषद में आकर, फिर पहचान बना जाओ।
आज वही पहचान बनाना, युवा शक्ति को सिखलाओ। भारत मां की इच्छा है, फिर विश्व पटल पर छा जाओ।
त्याग, तपस्या, ब्रह्मचर्य का, फिर से भाव जगा जाओ। भारत भूमि को पावन कर, फिर से स्वर्ग बना जाओ।
जन जन की है मांग धरा पर, युग परिवर्तक फिर आओ। आओ पुनः युवाओं में, नरेंद्र नाथ बन कर आओ। |
स्वामी विवेकानन्द
Poem On Swami Vivekananda In Hindi
नवभारत का निर्माण कराया, नवयुग का नवसृजन कराया। मानवता का पाठ पढ़ाकर, जन जागृति अभियान चलाया।
ऐसे वीर ज्ञानी महापुरुष, तुम विवेकानन्द कहलाये। उठो जागो, संघर्ष करो तुम, तब तक चुप मत बैठो तुम।
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति, न करते हो तुम। स्वाभिमान जन-जन में जगाकर, ईश्वर भक्ति का बोध कराया।
मानव पशु में भेद बताकर, आत्मज्ञान से आत्मसात कराया। हर चुनौतियों से पार होकर, सर्व धर्म समभाव से परिचित कराया।
पीड़ितों की सेवा का बीड़ा उठाकर, हर असहाय को सहारा दिया। उठो जागो स्वयं जागकर देश में ही नहीं, अपितु विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम लहराया।
ऐसे मां भारती में जन्में ज्ञानी, महापुरुष को कोटि-कोटि नमन, व शत् शत् वंदन। |
-सुमन किमोठी
स्वामी विवेकानंद जी पर कविता
Swami Vivekanand Poem In Hindi
सोयी दुनिया को जगाया, सिंहों को सिंह बनाया। प्रेम योग हो या भक्ति योग हो, एक रहस्यमयी सूत्र उपजाया।
दूसरों के लिए जीना और, नर-पशु में मतभेद बताया। वही आत्मज्ञान का महापुरुष, स्वामी विवेकानंद कहलाया।
स्वामी विवेकानंद कहलाया, रुको न जब तक लक्ष्य न पाओ। मन दुर्बलता को दूर भगाओ, इंसानियत का यही मर्म।
जीवन पथ पर हो सत्कर्म, सोच लो तो शैतान बनो। सोच लो तो इंसान बनो, आत्म भक्ति ही शक्ति का दर्पण दर्शाया।
इंसानियत का धर्म सिखलाया, वही ज्ञानी महापुरुष। स्वामी विवेकानंद कहलाया, स्वामी विवेकानंद कहलाया।
नव भारतवर्ष का निर्माण, नव आत्म ज्ञान की उत्पत्ति। सत हृदय ईश्वर की भक्ति, कर अग्रसर नवरक्त वाहकों को।
एक उत्कृष्ठ राष्ट्र का बीड़ा उठाया, हां वही महात्मा इस जग का प्यारा। स्वामी विवेकानन्द कहलाया, स्वामी विवेकानंद कहलाया। |
-श्री नूतन पथ (मयंक)
स्वामी विवेकानंद जी पर कविता
Swami Vivekananda Par Kavita
हर युवा के लिए, स्वामी विवेकानन्द सदैव आदर्श हैं। जब भारत के मस्तक पर, पश्चिम का बोलबाला था।
धर्मांतरण की आंधी का, चहुओर प्रभाव विकराला था। अधर्म के अंधियारे में, धर्म का खो गया उजाला था।
तब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था। सहा भूख को, सहा प्यास को, सहा अपमान, सहा तिरहास को।
कितनी भी पीड़ा हो चाहे, कहाँ वो हटने वाला था। देश का प्रतिनिधित्व कर, धर्म का मान बढ़ाना था।
तब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था। धर्म सम्मलेन की सभा में, ज्ञानियों की इस प्रभा में।
केसरिया लबादा ओढ़े, वो एक परवाना था। वो सन्यासी-वो वैरागी, भारत का लाल निराला था।
तब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था। धर्म की बात करि जिसने, भारत की छवि आबाद करि।
शब्दों के सम्मोहन से, सबको मंत्रमुग्ध कर डाला था। तब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था।
धर्मसभा स्तब्ध हुई, ‘विवेकानंद’ का चहुओर बोलबाला था। ‘सत्य-सनातन’ धर्म का, हर एक ने लोहा माना था।
जब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था। भारत के इस युवा संत ने, इतिहास गढ़ा निराला था।
अब भारत के युवा संत का, हर कोई दीवाना था। जब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था।
जब भारत के युवा संत ने, धर्म भार संभाला था। |
-जितेन्द्र राठौर
स्वामी विवेकानंद
Swami Vivekanand Par Kavita
हे पुण्य आत्मा तुम्हें नमन, मानव रूप में पुनः लेना जन्म। लेकर जन्म दोबारा हमकों, राह दिखाना कर मंथन।
पुनः जरूरत आपकी है। आपके दर्शन शास्त्र की है। आपके आदर सुर और नैतिक, आचार-विचार संवाद की है।
हे पुण्य आत्मा तुम्हें नमन, भारत में पुनः लेना जन्म। लेकर जन्म दोबारा, मिटाकर जाना सारे भ्रम।
मिटाकर जाना सारे भ्रम। हे पुण्य आत्मा तुम्हें सादर नमन, हे पुण्य आत्मा तुम्हें सादर नमन। |
-भुपेंद्र बसेरा
भारत का इक संन्यासी
Poem On Swami Vivekananda
जिनका भरा था, रग-रग में स्वाभिमान, जिसने भारत का, जग में बढ़ाया मान।
शिकांगो में जिनका भाषण, सुनकर सारा संसार दंग था। वो भारत का इक संन्यासी, नाम विवेकानंद था।
मेरे अमरीकी भाईयों और बहनों कहकर, जब उसने पुकारा था। शिकागो की आर्ट गैलरी में, भारत का गुंजा जयकारा था।
जिससे दुनिया प्रभावित थी, वो पहला हिन्दू संत था। वो भारत का इक संन्यासी, नाम विवेकानंद था।
शोषित वंचित पीड़ित के लिए, जिसके मन में करुणा थी। एक युवा संन्यासी, जिसने सोच बदल दी दुनिया कि।
जिसके चेहरे पर शांति, और हृदय में आनंद था। वो भारत का इक संन्यासी, नाम विवेकानंद था।
वो भारत का इक संन्यासी, नाम विवेकानंद था। |
-नीरज कुमार
विवेकानंद की कहानी
Swami Vivekanand Par Poem In Hindi
आओं सुनाएं आपको, ऐसे महापुरुष की कहानी। जिसकी ओजपूर्ण धाक, सारी दुनिया ने पहचानी।
भारत माँ के लाल उठों, देशभक्ति का आह्वान करो। अंधकार को दूर भगाने, ज्ञान का दीप रोशन कर लो।
दिव्य ज्योति की ऐसी बाणी, घर घर देशभक्ति जगा गई। अध्यात्म के रंग से रंगी, आत्मा, दिलों में बस गई।
रंग भेद का भेद मिटाकर, रग-रग में देशभक्ति जगाकर। सब को मानवता का पाठ पढ़ाके, सूझ बूझ का मार्ग दर्शा के।
वो संत सौम्य व्यक्तित्व का मालिक, विवेकानंद है जिसका नाम। अपनी वाकपटुता तीक्ष्ण बुद्धि से दे जबाब, अमेरिका को भी किया हैरान, परेशान।
भाषण में ओजस्वी बाणी का कर प्रयोग, देश विदेश में डंका बजवाकर। पाया देश में प्यार भरपूर, ऐसे शख्सियत को करके नमन।
अपने को भाग्यशाली मैं मानूं वीर, महान युवाओं की प्रेरणा, आपको मैं आर्दश जानूं। |
-जगदीश कौर
अद्वितीय महापुरुष स्वामी विवेकानंद
Swami Vivekanand Par Kavita
उलझे हम आनंद में, खोकर आज विवेक, कहें विवेकानंद जी, लक्ष्य एक हो नेक।
उलझन से जाकर मिलो, उठो लिखो आनन्द, नामुमकिन कुछ भी नहीं, कहें विवेकानंद।
अंतर्मन में आपके, कैद सभी आनन्द, खोलो पाल जहाज का, कहें विवेकानंद।
जीरो की परिकल्पना, पूरे का आनन्द, निर्बल को दें हौसला, संत विवेकानंद।
मूल्य चुकाकर चाहते, खुशियाँ सभी अनेक, कहें विवेकानंद जी, जागृत करो विवेक। |
-राजेश जैन
स्वामीजी को नमन
Poem On Swami Vivekananda
धर्म रक्षक देशभक्त एवं एक युवा सन्यासी। सनातन धर्म संस्कृति प्रचारक भारतवासी।। 12 जनवरी 1863 को जन्में पवित्र धरा पे। स्वामी विवेकानंद से पहले नरेंद्र नाथ थे वे।।
कायस्थ वंश में जन्में बंगाली कायस्थ ज्ञानी। कोमल हृदय उदार अध्यात्म के सुंदर ज्ञानी।। माता हैं भुवनेश्वरी देवी पिता विश्वनाथ दत्त। जन्में हैं जिनके कोखी से ये नरेंद्र नाथ दत्त।।
वेद वेदांतों के प्रकाण्ड विद्वान रहे हैं स्वामी। प्रभावशाली आध्यात्मिक विश्वगुरु ये स्वामी।। रामकृष्ण परमहंस को है अपना गुरु बनाया। उनके सानिध्य में रहके अमूल्य शिक्षा पाया।।
11 सितंबर 1893 में विश्व धर्म महासभा हुई। अमेरिका शिकागो में अध्यात्म पर सभा हुई।। भारत के सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। स्वामीजी ने उत्कृष्ट सम्मोहनीय भाषण दिया।।
मेरे अमेरिकी प्रिय भाई एवं बहनों से शुरुआत। स्वामी के दिए आदर से पैदा दिल में जज्बात।। विवेकानंद ने सनातनधर्म पे दिया ऐसा भाषण। देश के इस युवा सन्यासी का सुनते रहे भाषण।।
उठो जागो स्वयं जागकर औरों को भी जगाओ। तबतक नहीं रुको जबतक लक्ष्य ना पा जाओ।। जीवन में कुछ लक्ष्य बनाओ एवं कर्म ईमानदार। संघर्ष बड़ा यदि होगा तो सफलता भी शानदार।।
युग प्रवर्तक महान विचारक सनातन धर्म स्रोत। ये हैं एक युवा सन्यासी युवाओं के प्रेरणास्रोत।। भारतीय धर्म संस्कृति अध्यात्म वेद वेदांत दर्शन। स्वामीजी पहुँचाए युरोप के हर देश में ये दर्शन।।
स्वामीजी गुरु से जाने सारे जीव में है ईश्वर वास। मानव रूप में जन्में हैं तो करें यही एक विश्वास।। जरूरतमंदों की मदद सेवा से ही प्रभु सेवा होती। हर जीव उसका अंश है ये परमात्मा सेवा होती।।
स्वामीजी मात्र इक वेदांत सनातनधर्मी संत नहीं। वैसा देशभक्त उत्कृष्ट लेखक प्रेरक व्यक्ति नहीं।। ओजस्वी विचारक प्रखर वक्ता आदर्श युवा नहीं। भारत गौरव स्वामी जैसा धर्म दर्शन ज्ञाता नहीं।।
स्वामी किए गुरु के विचारों संदेशों को प्रचारित। 130 से ज्यादा केंद्र स्थापित कर किए प्रसारित।। ऐसे युग प्रवर्तक है। महापुरुष मेरा शत-शत नमन। हे! युवाओं के प्रेरणास्रोत मेरा है कोटि-कोटि नमन।। |
-डॉ.विनय कुमार
मुझे उम्मीद है की यह लेख स्वामी विवेकानंद जी पर सुंदर कविता के बारे में जो जानकारी दी गयी है वो आपको अच्छा लगा होगा, यदि आपको यह post 17+ स्वामी विवेकानंद जी पर सुंदर कविता – Poem On Swami Vivekananda In Hindi पसंद आया है तो कृपया कर इस पोस्ट को Social Media अपने दोस्तों के साथ अधिक से अधिक शेयर करें ताकि उन्हें भी इसके बारे में पूरी जानकारी मिल सके। हमारे वेबसाइट Gyankinagri.com को विजिट करना न भूलें क्योंकि हम इसी तरह के और भी जानकारी आप के लिए लाते रहते हैं। धन्यवाद!!!
👉हमारे इस ज्ञान की नगरी वेबसाइट पर बेहतरीन हिंदी कविताएँ का संग्रह उपलब्ध कराया गया है, आप जों कविताएं पढ़ना चाहते हैं यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं –
हिन्दी कविताओं को पढ़ने के लिए 👇 क्लिक करें