37+ महिला दिवस पर सर्वश्रेष्ठ कविताएं | Women’s Day Poem In Hindi

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महिलाओं के दिन 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं के हितों, उनके योगदान, उनके प्रतिनिधित्व और उनके अधिकारों के प्रति धन्यवाद के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को विशेष रूप से पूर्णता, स्वतंत्रता, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी अधिकारों के लिए धन्यवाद करने का मौका देते हैं। महिलाओं के दिन विभिन्न देशों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, जैसे निबंध लेखन, प्रतियोगिताएं, प्रदर्शन, निबंध प्रतियोगिताएं, वृत्तपत्र प्रकाशन, बैठकें, समारोह और स्थानों पर महिलाओं के सम्मान और उनके अहम योगदान के प्रति धन्यवाद के उद्देश्य से आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम होते हैं।

इस दिन महिलाओं के हितों, अधिकारों और समृद्धि के प्रति अहम ध्यान देने और समर्थन करने के लिए हर व्यक्ति के पास एक मुख्य भूमिका होती है। महिलाओं के दिन महिलाओं के हितों, अधिकारों, समृद्धि और स्वतंत्रता के प्रति धन्यवाद के लिए स्वतंत्रता, पूर्णता, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी अधिकारों के प्रति धन्यवाद के लिए मनाया जाता है।

महिलाओं के दिन के अवसर पर पुरुषों को भी महिलाओं के साथ होने वाले समस्याओं के बारे में सोचने को मिलता है। यह महिलाओं के हितों के प्रति समर्थन करने और उन्हें समृद्धि, स्वतंत्रता, उत्तम स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी अधिकारों से सम्बंधित समस्याओं से मुक्त होने में मदद करने के लिए हर व्यक्ति के पास एक मुख्य भूमिका होती है।

महिलाओं के दिन महिलाओं के प्रति स्थान व्यवस्थित करने, उनके अहम योगदान और समृद्धि के प्रति समर्थन करने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा, महिलाओं के समृद्धि, स्वतंत्रता और अधिकारों के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और महिलाओं को उनके अधिकारों और हक़ों के बारे में पता होने में मदद करने की भूमिका भी महिलाओं के दिन पर निभाई जाती है।

महिलाओं के दिन को हमेशा विविध व्यवस्थाओं, समारोहों, शोक अभियानों, नारों और निबंधों के माध्यम से मनाया जाता है। इसे संस्थानों, सरकारों, समूहों और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाया जाता है। महिलाओं के दिन पर विविध देशों में विविध रूप से मनाई जाती है, लेकिन समय के साथ-साथ इसके महत्व को वृद्धि होती है। महिलाओं के दिन पर, हम महिला

महिला सशक्तिकरण तभी सार्थक है जब महिलाओं को अपने निर्णय लेने की स्वतंत्रता हो. उनके लिए क्या सही और क्या गलत है., यह तय करने का उन्हें परा अधिकार हो. महिलाओं को दरशकों से पीडित होना पड़ा है, उनके पास कोई अधिकार नहीं थे और अब भी बहुत सी जगहों, गाँव, यहाँ तक कि बहुत से शहर और देशो में भी नहीं है! महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया और अब भी किया जा रहा है. अपने अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सिखाया गया कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में आत्मनिर्भर कैसे हों.

परुषों के पास हमेशा से सभी अधिकार होते थे. हालाँकि, महिलाओं को इनमें से कोई भी अधिकार नहीं था, यहाँ तक कि मतदान का अधिकार भी महिलाओं को नहीं दिया जाता था. अब चीर्जे बदल गई हैं. महिलाओं ने महसूस किया कि उन्हें भी समान अधिकारों की आवश्यकता है. यह बदलाव अपने अधिकारों की माँग करने वाली महिलाओं द्वारा लाया गया. दुनिया भर के देशों ने खुद को “प्रगतिशील देश” कहा, लेकिन उनमें से हर एक का महिलाओं के प्रति गलत व्यवहार करने का इतिहास है. इन देशों में महिलाओं को आजादी और समान दर्जा हासिल करने के लिए उन प्रणालियों के खिलाफ लड़ना पड़ा, जो उन्होंने आज हासिल किया हैं. हालाँकि, भारत में, महिला सशक्तिकरण अभी भी पिछड़ रहा है. अब भी जागरूकता की बहत अधिक आवश्यकता है.

भारत उन देशों में से एक है जो महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है, इसके कई कारण हैं. उनकी सुरक्षा में कमी का एक कारण ऑनर किलिंग का खतरा भी है. महिलाओं के सामने एक और बड़ी समस्या यह है कि शिक्षा की कमी है. देश में उच्च्च शिक्षा हासिल करने के लिए महिलाओं को हतोत्साहित किया जाता है. इसके साथ ही उनकी शादी जल्दी हो जाती है. महिलाओं पर हावी पुरुषों को लगता है कि महिलाओं की भूमिका उनके लिए काम करने तक सीमित है. वे इन महिलाओं को कहीं जाने नहीं देते हैं, नीकरी नहीं करने देते हैं और इन महिलाओं को कोई स्वतंत्रता नहीं है.

महिला सशत्तीकरण लैंगिक समानता प्राম्त करने का एक महत्वपूर्ण पहलु है. इसमें एक महिला के आत्म-मूल्य, उसकी निर्णय लेने की शक्ति, अवसरों और संसाधनों तक उनकी पहँच, उसकी शक्त और घर के अंदर और बाहर अपने स्वयं के जीवन पर नियंत्रण और परिवर्तन को प्रभावित करने की उसकी क्षमता को बढ़ाना शामिल है. फिर भी लैंगिक मुद्दे केवल महिलाओं पर केंद्रित नहीं हैं, बल्कि समाज में पुरुषों और महिलाओं के बीच संबंधों पर भी हैं. पुरुरषों और लड़कों के कार्य और द्ष्टिकोण लैंगिक समानता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि महिलाएं घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार से गुजर रही हैं, तो वे इसकी सूचना किसी को नहीं देती हैं.

भारत एक ऐसा देश है जिसमें महिला सशक्तिकरण का अभाव है. देश में बाल विवाह का प्रचलन है. माता-पिता को अपनी बेटियों को यह सिखाना चाहिए कि अगर वे अपमानजनक रिश्ते में हैं, तो उन्हें घर आना चाहिए. इससे, महिलाओं को लगेगा कि उन्हें अपने माता-पिता का समर्थन प्राप्त है और वे घरेलू हिंसा से बाहर निकल सकती हैं. महिलाओं को उन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए कि वे अपने सभी लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्राप्त कर सकें जो वो करना चाहती है.

 

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विश्व महिला दिवस

Women’s Day Poem In Hindi

 

 

नारी होती है घर का मान,

करें हर जगह उनका सम्मान,

नारी माँ, बहन, दादी का रूप होती है,

नारी देवी का समरूप होती है।

 

नारी का सम्मान हर रोज होना चाहिए,

नारी का अस्तित्व कभी न खोना चाहिए।

नारी चाहे तो आसमान छू सकती है,

नारी को अवसर समान मिलना चाहिए।

 

क्या संसद, क्या खेल जगत में नाम हो,

नारी पर हम सबको अभिमान हो।

नारी ही क्यों हर कुप्रथा की बलि चढ़ जाती है?

हमें सोचना होगा क्या नारी को समानता से

जीने का अधिकार समाज में दी जाती है?

 

हर बार पर्दे के पीछे नारी ही क्यों रहे?

हर बार हर पीड़ा को नारी ही क्यों सहे?

दहेज प्रथा के नाम पर

नारी की बलियां क्यों दिए जाते हैं?

 

सीखना होगा बस्तर से हमको

जहां नारी के घर वर विदा होकर आते हैं।

बालिका पढ़ेगी, विकास गढ़ेगी

इसको अब अमल करना होगा।

 

समाज में हर महिला को

शिक्षा से सफल करना होगा।

माँ, दादी और बहन का जो,

घर में आदर सत्कार है होता,

क्या कमी रह जाती है

पुरुष के आचरण में की बाहर वो आपा है खोता।

 

हर रोज शहर में अब चीर हरण भी होते हैं,

जब हम अपने घरों में चैन की नींद सोते हैं।

समाज में व्याप्त कुरीति को भी

अब हमें बदलना होगा।

 

नारी कह सके बेझिझक

अपनी बात ऐसा माहौल देना होगा.

8 मार्च को ही क्यों बल्कि

हमको हर रोज महिलाओं का आदर करना होगा।

-ऋषि प्रधान

 

नारी शक्ति

Women’s Day Poem In Hindi

 

 

कुसुमलता सी नार,

फूल सम कोमल नारी।

दो कुल रखती लाज,

सदा बच्चों पर वारी।

 

रखती घर परिवार,

पिरोकर जैसे माला।

मत समझों आसान,

नार बन जाती ज्वाला।

 

प्रेम सुधा संबंध,

रखो सबसे तुम प्यारा।

अपना घर और द्वार,

स्नेह बंधन जग सारा।

 

सरल सहज सी भाव,

सदा बोलो तुम वाणी।

माँ जग जननी कंठ,

विराजो वीणा पाणी।

 

जीवन पथ का सार,

सदा अपनों से कहता।

रोता जीवन देख,

नीर जल आंखों से बहता।

 

कर्म करो तुम आज,

साथ हो पावन नामा।

सादा जीवन साज,

बना सुरभित निज धामा।

 

करें नहीं परिहास,

राह नारी जो चलते।

नित्य करो सम्मान,

मात आँचल तुम पलते।

 

जग करती कल्याण,

सदा है जीवन वारी।

संग निभाओ प्रीत,

वही माँ है जग प्यारी।

 

मानवता का भार,

मात धीरज को धरना।

नारी देवी शक्ति,

कर्म ही पावन करना।

 

दो कुल की है शान,

हृदय रुचि धर अनुरागा।

प्राप्त परम आनंद,

लीन मन पदुम परागा।

-सुशीला साहू

 

नारी शक्ति है

Happy Women’s Day Poem In Hindi

 

 

कोमल और शक्तिशाली भी हो,

नारी तुम हो सृष्टि की अवतारी।

घोर तिमिर में दिव्य प्रकाशमयी,

त्रिदेव सावकों के तुम महतारी।

 

श्रद्धा और भक्ति के प्रतिरूप,

त्याग और समर्पण की देवी।

रूप-रंग सौंदर्य की अधिष्ठात्री,

निश्छल प्रीति पतिव्रता सेवी।

 

देवी अन्नपूर्णा और लक्ष्मी स्वरूपा,

कुटुंबियों की करती उदर पोषण।

सरल स्वभाव माधुर्य भाव लिए,

नीरवता से सहन करती शोषण।

 

अब बन जाओ महारानी लक्ष्मी बाई,

अंग्रेज रूपी ससुराल की करो दमन।

प्राणेश हिटलर को करो सम्मोहित,

तब होगा तुम्हारे जीवन में अमन।

 

सीखना होगा तुम्हें युद्ध कौशल को,

जीवन भर होती रहोगी प्रताड़ित।

साहस से हुंकार भरो आततायी को,

अंगों में प्रवाह करो चालक तड़ित।

 

निराशा छोड़ तुम आशा बन जाओ,

गंगा की शीतल निर्मल धारा समान।

मन की निर्बलता को दूर भगाओ,

तुम्हें पाना ही होगा वापस सम्मान।

 

बन सैनिक रण में जूझने के लिए,

शांति पताका हाथ में लिए चल तू।

मत कर हमला पहले धीरज रख,

उष्ण और आर्द्र परिवेश में ढ़ल तू।

 

तू साध्वी है पवित्र मन से, तन से,

ईश्वर की पूजा से मिलेगा वरदान।

जो तुम्हें समझते हैं निरीह प्राणी,

एक दिन वक्त, जवाब देगा इंसान।

 

युग बदलेगा, बदलेंगे लोगों की सोच,

वक्त सबका आता है आएगा तुम्हारी।

तब तक वनिता रण की करो उपक्रम,

जीत-जीत सोचो मत बैठो मन हारी।

 

अंधेरी रात में निकलोगी बनके बेगम,

डर से थर-थर कांप भागेंगे दुष्कर्मी।

संहार करने तैयार रखना कृपाण को,

सर्वत्र तितर-बितर हो जाएंगे अधर्मी।

-अशोक कुमार यादव

 

नारी

Happy Women’s Day Poems In Hindi

 

 

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे तृ,

रूख हवा का अब मोड़ दे तू,

आंसु बहाना अब छोड़ दे तू,

हासिल कर एक नया मुकाम,

पत्थर भी फूल बन जायेंगे,

कोशिश करना सीख ले तू.

 

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रुख हवा का अब मोड़ दे तू,

अपने आपको आग मे झोंक दें तू,

जीवन की भागदौड़ से न हार मान तू,

संकट आए तो नई राह बना तू,

दर्द मिले तो मुस्कराना सीख ले तू,

 

स्वाभिमान से जीना सीख ले तू,

चिड़ियों की भांति चहकना सीख ले तू,

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रूख हवा का अब मोड़ दे तू,

पिंजरे में रहना अब छोड़ दें तू.

 

आसमां में उडना सीख ले तू,

एक नया अब इतिहास बना तु,

कामयाबी के निशान छोड़ दें तू,

चल अपने रास्ते अब खुद बना तू,

अब तो शिक्षा से वंचित न रह तू.

 

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तु,

रुख हवा का अब, मोड़ दे तू,

उमंगों की लहरों पे भर ऊंची उड़ान,

किसी के रोके न रुक अब तू

किस्मत की लकीरे खुद बना तू.

 

इक दिन ये जहां भी तेरा होगा,

अपनी पहचान बनाना सीख ले तू.

संकटो से जुझना अब सीख ले तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दें तू.

रुख हवा का अब मोड़ दे तू.

अगिनि परीक्षा देना छोड़ दें तू,

 

आत्मसम्मान से जीना सीख ले त.

ख़ुद के लिए भी जीना सीख ले तु,

ये जीवन है इससे हार न मान तू,

आशा की एक नई किरण बना तू.

घुट-घुट कर जीना छोड़ दे तू,

रूख हवा का अब मोड़ दे तू.

-कुमारी गुड़िया

 

उठ स्त्री तुझे जागना होगा

International Women’s Day Poem In Hindi

 

 

तू शक्ति तू भक्ति, तू मुक्ति,

तू जननी इस सूृष्टि की.

तुझसे ही अस्तित्व जग का,

सत्य यह स्वीकारना होगा.

 

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा.

कभी वात्सल्य की देविका,

कभी प्रियवर की प्रेमिका.

नहीं तू घर की निःशुल्क सेविका,

 

अमिट यह मूल्य समझाना होगा.

उठ स्री! तुझे जागना होगा.

पिता की पराई तनया तू,

पराये घर से आई भायों तू.

 

दो सदन सींचती; तेरा गेह कौन?

प्रश्न यह सुलझाना होगा.

उठ सत्री! तुईे जागना होगा.

गौर वर्ण, कुशोदरी तन,

 

हो कृष्ण रंग या स्थूल काया.

नहीं हैं तेरे अस्तित्व की छाया,

विदेह अंगीकार स्वीकारना होगा.

उठ! तुझे जागना होगा.

 

हो अम्बर की तुंगता,

या उदधि की गहनता.

माप लेती तू; है अपार क्षमता,

सामथ्थ्य यह पहचानना होगा.

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा..

 

गुहिणी बन रोटी को दे आकार गोल,

तत्वज्ञानी बन व्योम रहस्य दिए खोल,

है बल तुझमें अपार, अबला नहीं है तू.

छद्यभास ये मिटाना होगा.

 

उठ त्री! तुझे जागना होगा.

नहीं निपट चार दिवारी की शोभिता,

है तुझमें उन्मुक्त उडने की योग्यता,

पितृ समाज की बेड़िया तोड़,

 

स्वछंद परचम लहराना होगा.

उठ स्री! तुझे जागना होगा.

कभी नवरात्र में देवी रूप पूज़ी जाती,

कभी शोषण अमिनि में फँकी जाती.

 

द्वंद्र इस अकिंचन अर्चनीय के पार जा,

समानता का दर्जा पाना होगा.

उठ स्त्री! तुझे जागना होगा.

-समीक्षा गायकवाड़

 

मेरा अस्तित्व

kavita on women’s day in hindi

 

 

मैं नारी हूँ, नारीत्व मेरा अस्तित्व है,

मैं मां हूँ. ममत्व ही मेरा अस्तित्व है.

मैं बेटी हूँ, स्वाभिमान मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

मैं बहन हूँ, सौहाद्र मेरा अस्तित्व है,

 

मैं पत्नी हूँ, सहधर्मिता मेरा अस्तित्व है.

मैं बहु हूँ, मर्यादा मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

मैं शिक्षिका हूँ, शिक्षण मेरा अस्तित्व है,

मैं वैद्य हूँ सेवा मेरा अस्तित्व है.

 

मैं लेखिका हँ,रचनात्मकता मेरा अस्तित्व है.

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

मैं भक्त हूँ, भक्ति मेरा अस्तित्व है,

मैं शक्ति हूँ, सामर्थ मेरा अस्तित्व है.

मैं लक्ष्मी हूँ, ऐ्वर्व मेरा अस्तित्व है,

 

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

मैं एकता हूँ, बंधुत्व मेरा अस्तित्व है,

मैं मुक्ति हूँ. विरक्ति मेरा अस्तित्व है.

मैं युक्ति हूँ बुद्धि मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

 

मैं नेत्र हूं, दर्शन मेरा अस्तित्व है,

मैं ध्वनि हू, एकाग्रता मेरा अस्तित्व है.

मैं सफलता हूँ. प्रयास मेरा अस्तित्व है,

पर इनसे परे भी मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है.

मैं जो भी हँ, मेरा स्वतंत्र अस्तित्व है,

 

मेरा अपना सुख है, अपना दुःख है

मेरे आपने सपने है, स्वतंत्र भावनाएं हैं,

मत भूलो मुझसे भी तेरा अस्तित्व है.

चैन से मुझे भी जीने दो ये समाज,

मैं भी उस ईश्वर की स्वतंत्र रचना हूँ,

मेरा भी अपना स्वतंत्र अस्तित्व है.

-लोकेश्वरी कश्यप

 

श्रमजीवी नारी

Mahila Diwas Par Kavita

 

 

मिट्टी से सनी, मिट्टी की बनी,

मिट्टी अपने सिर पे उठाए.

सैकड़ों ग़म, लाखों तकलीफें,

अपने नाज़क दिल में दबाए.

 

मेहनत से बच्चों को पालती,

चेहरे पर मुस्कान सजाए,

धन्य है वह श्रमजीवी नारी,

घर का स्वाभिमान बढ़ाए,.

 

तन जर्जर पर, मन से चुस्त है,

सुकून है कि बच्चे तंदुर्स्त हैं,

शौहर पर वह बोझ नहीं है.

साहस दिल में भी एकमुश्त है.

 

नहीं किसी से भीख मांगती,

नहीं किसी के तलवे चांटती,

अपने दम पर दाम कमाकर,

नहीं किसी की थाल ताकरती.

 

भले ऐश की नहीं जिंदगी,

रोज पकाए, रोज खिलाए,

हार नहीं माने वो ख़ुद से,

चाहे कोई मुसीबत आए,

 

ख़ुदन पढ़ पाई फिर भी वह,

बच्चों को तालीम दिलाए,

धन्य है वह श्रमजीवी नारी,

घर का स्वाभिमान बढ़ाए.

-तुषार